By Elections 2024: यूपी में जल्द ही जिन दस सीटों पर विधानसभा का उपचुनाव होना है, उनमें संगम नगरी प्रयागराज की फूलपुर सीट भी शामिल है. फूलपुर में उपचुनाव यहां के विधायक प्रवीण पटेल के सांसद निर्वाचित हो जाने की वजह से होना है. इस सीट पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला होने की उम्मीद जताई जा रही है. बीजेपी के लिए यह सीट कतई आसान नहीं मानी जा रही है. साल 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा यहां तकरीबन दो हजार वोटो के मामूली अंतर से ही जीतने में ही कामयाब हो सकी थी, जबकि दो महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में उसे अठारह हजार से ज्यादा वोटो से हार का सामना करना पड़ा था.
हालांकि लोकसभा चुनाव में करारी हार का सामना करने के बाद बीजेपी ने चुनाव को लेकर अभी से अपनी तैयारियां शुरू कर दी है. पार्टी ने पिछले हफ्ते काशी प्रांत की कार्य समिति की बैठक फूलपुर क्षेत्र में ही आयोजित कर यह संदेश दे दिया है कि यहां कमल खिलाने को लेकर उसका पूरा फोकस है. हालांकि समाजवादी पार्टी से नजदीकी लड़ाई से पहले बीजेपी को उम्मीदवार का नाम तय करने में खासी मशक्कत करनी पड़ रही है. यहां से अब तक तकरीबन 40 दावेदारों के नाम सामने आ चुके हैं. आने वाले दिनों में यह संख्या बढ़कर पचास तक जा सकती है.
दावेदारों की बड़ी संख्या होने की वजह से पार्टी के सामने दिक्कत यह है कि किसी एक को टिकट मिलने पर बाकी दावेदार नाराज या निष्क्रिय होकर घर बैठ सकते हैं और संगठन को उसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. वैसे जातीय समीकरण के मद्देनजर पार्टी किसी ब्राह्मण या पटेल को टिकट देने का मन बना रही है. टिकट के सबसे ज्यादा दावेदार भी इन्हीं दो वर्गों से ही हैं. फूलपुर विधानसभा सीट पर यादव वोटर भी निर्णायक स्थिति में है. ऐसे में पार्टी के रणनीतिकार किसी यादव को मैदान में उतारकर विपक्षी वोट बैंक में सेंधमारी करने पर भी गंभीरता से विचार कर रहे हैं.
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एक दर्जन ब्राह्मण नेताओं ने दावेदारी जताई
फूलपुर सीट पर तकरीबन एक दर्जन ब्राह्मण नेताओं ने टिकट को लेकर दावेदारी जताई है. ब्राह्मण वर्ग के दावेदारों में सबसे बड़ा नाम इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राधाकांत ओझा का है. उनकी संघ में जबरदस्त पैठ है. उनके भाई यूपी में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं और वह लोकसभा चुनाव में भी इलाहाबाद सीट से टिकट के प्रबल दावेदार थे. इसके अलावा पूर्व विधायक प्रभाशंकर पांडेय, पूर्व जिलाध्यक्ष कन्हैया लाल पांडेय, पूर्व जिला उपाध्यक्ष अरुण कुमार मिश्र उर्फ पिंटू नेता, बहरिया के ब्लॉक प्रमुख शशांक मिश्र, स्कूल संचालक संगम लाल मिश्र, डीपी पांडेय और पूर्व पार्षद उमेश द्विवेदी भी प्रमुख दावेदार हैं.
पटेल बिरादरी से दावेदारी करने वालों में सबसे प्रमुख नाम पूर्व विधायक दीपक पटेल का है. वह फूलपुर की निवर्तमान सांसद केशरी देवी पटेल के बेटे हैं. लोकसभा चुनाव में पार्टी ने केशरी देवी का टिकट काट दिया था. ऐसे में उनके बेटे को उम्मीदवार बनाकर उनकी नाराजगी को दूर किया जा सकता है. मौजूदा सांसद प्रवीण पटेल की पत्नी गोल्डी पटेल भी प्रबल दावेदारों में एक हैं. हालांकि उन्होंने औपचारिक तौर पर अभी आवेदन नहीं किया है. सांसद प्रवीण पटेल के रिश्तेदार अनिरुद्ध पटेल भी टिकट मांग रहे हैं. फूलपुर लोकसभा सीट से सांसद रहे नागेंद्र पटेल वैसे तो सहयोगी पार्टी अपना दल एस में है, लेकिन वह भी यहां से बीजेपी का टिकट चाहते हैं. इसके अलावा फूलपुर के ब्लॉक प्रमुख जितेंद्र सिंह पटेल, पूर्व विधायक करन सिंह पटेल के बेटे और पार्टी के वरिष्ठ नेता विक्रम पटेल, गंगापार की जिलाध्यक्ष कविता पटेल और युवा नेता विपेन्द्र पटेल भी दावेदारी कर रहे हैं.
फूलपुर विधानसभा सीट पर यादव वोटरों की संख्या तकरीबन साठ हजार है. ऐसे में पार्टी के कुछ नेता यादव उम्मीदवार उतारने की मांग कर रहे हैं. बीजेपी के पास यहां दो मजबूत यादव नेता भी है. बहादुरपुर के ब्लॉक प्रमुख अरुणेंद्र यादव उर्फ डब्बू यादव जोर शोर से दावेदारी कर रहे हैं. ब्लॉक प्रमुख चुनाव में वह अपने राजनीतिक कौशल का प्रदर्शन भी कर चुके हैं. उन्हें क्षेत्र में लोकप्रियता और पार्टी के एक बड़े नेता के करीबी होने का फायदा भी मिल सकता है. इसके अलावा काशी क्षेत्र के उपाध्यक्ष और नगर पंचायत के चेयरमैन अमरनाथ यादव भी यहां से टिकट चाहते हैं.
वैश्य समुदाय से भी बड़ी संख्या में दावेदारी
ब्राह्मण और पटेल के बाद वैश्य समुदाय से भी बड़ी संख्या में नेताओं ने दावेदारी की है. पूर्व महानगर अध्यक्ष और काशी प्रांत के मौजूदा उपाध्यक्ष अवधेश गुप्त टिकट को लेकर पूरा जोर लगाए हुए हैं. उन्हें ओबीसी वर्ग से होने का फायदा मिल सकता है. वह डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बेहद करीबियों में गिने जाते हैं. वैश्य समुदाय के अन्य दावेदारों में चायल के पूर्व विधायक संजय गुप्ता, जिला कोषाध्यक्ष आशीष केसरवानी, व्यापार प्रकोष्ठ के संयोजक रामबाबू केसरवानी, नमामि गंगे के संयोजक रहे गोपीनाथ स्वर्णकार अपनी दावेदारी जता रहे हैं. क्षत्रिय समाज से सहसो के पूर्व ब्लाक प्रमुख राकेश सिंह और महिला मोर्चे में पदाधिकारी विजयलक्ष्मी सिंह चंदेल ने दावेदारी की है. पाल बिरादरी से पूर्व जिला उपाध्यक्ष चंद्रकेश पाल और जिला मंत्री कमलेश पाल टिकट चाहते हैं. दलित वर्ग से आने वाली पूर्व एमएलसी और तेज तर्रार महिला नेत्री निर्मला पासवान भी दावेदारों में शामिल है. वह कौशांबी सीट से लोकसभा का टिकट भी मांग रही थी. ऐसे में उन्हें दलित वर्ग से इकलौती महिला दावेदार होने का फायदा मिल सकता है. निषाद समुदाय की पूर्व डिप्टी मेयर प्रदेश कार्यकारिणी में पदाधिकारी अनामिका चौधरी का नाम भी दावेदारों की लिस्ट में है.
फूलपुर के जातीय समीकरण की बात की जाए तो यहां यादव - पटेल, ब्राह्मण और मुसलमान वोटर निर्णायक स्थिति में है. इन चार वर्गों के वोट तकरीबन साठ फीसदी हैं. यही वजह है कि बीजेपी पटेल या ब्राह्मण में से किसी एक वर्ग को उपचुनाव में उम्मीदवार बनाने की तैयारी में है. वैसे पार्टी किसी यादव नेता को टिकट देकर सपाई खेमे में हलचल मचाने का मास्टर स्ट्रोक खेल दे तो उसमें हैरानी की कोई बात नहीं.