UP Politics: उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन करके हुए एनडीए को चित कर दिया था और अब सबकी नजरें यूपी की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनावों पर टिकी हुई है. इस बीच सवाल उठ रहे हैं कि क्या लोकसभा के बाद उपचुनाव में भी कांग्रेस-सपा साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है. लेकिन फिलहाल ये मुश्किल दिखाई दे रहा है. 


उत्तर प्रदेश जल्द ही दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं. माना जा रहा है कि ये चुनाव महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के साथ अक्टूबर में कराए जा सकते हैं. हालांकि अभी तक तारीखों को लेकर अधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. लेकिन, पक्ष और विपक्ष ने अभी से अपनी तैयारी तेज कर दी है. सपा और कांग्रेस के बीच भी सीटों के बंटवारे को लेकर कई दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन, दोनों के बीच सहमति नहीं बन पाई है. 


कांग्रेस सपा में नहीं बन पाई सहमति
कांग्रेस पार्टी जहां यूपी का 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव मे भागेदारी मांग रही है तो वहीं सपा की नजरें महाराष्ट्र और हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव पर लगी हुई है. सूत्रों की माने तो कांग्रेस ने सपा के सामने दो सीटों की मांग रखी है, जबकि समाजवादी पार्टी ने इसके एवज में हरियाणा में 5 और महाराष्ट्र में 12 सीटों की मांग की है. लेकिन, कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं दिख रही. पार्टी की ओर से सपा को कोई आश्वासन नहीं दिया गया है. 


खबरों के मुताबिक सीट बंटवारे को लेकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के बीच कई दौर की वार्ता भी हो चुकी हैं. खुद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, सांसद राम गोपाल यादव और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल इस बातचीत में शामिल हुए. लेकिन कोई फाइनल फॉर्मूला तय नहीं हो सका.


वहीं सीट बंटवारे को लेकर सपा-कांग्रेस में बयानबाजी भी देखने को मिल रही है. हरियाणा कांग्रेस का कहना है कि सपा का कोई जनाधार नहीं है. तो वहीं समाजवादी पार्टी भी यूपी में कांग्रेस के जनाधार की बात कर रही है. सपा का मानना है कि यूपी में कांग्रेस को जितनी सीटें मिली है उसमें सपा का बड़ा योगदान रहा है. सपा के मुताबिक अगर जनाधार की ही बात है तो 2022 के चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 2.35 फीसद ही वोट मिला था और ज्यादातर सीटों पर उनकी जमानत जब्त हो गई थी. 


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