यूपी उपचुनाव में इस सीट पर सबसे कम हुई वोटिंग, छुट्टी के बावजूद नहीं निकले लोग
UP Bypoll 2024 Results: उपचुनाव में अक्सर वोटिंग पर्सेंटेज कम रहता है लेकिन गाजियाबाद सीट पर जितनी वोटिंग हुई वो काफी निराशाजनक कही जा सकती है. एक तिहाई लोग ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया.
UP Bypoll 2024 Voting: उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए बुधवार को मतदान संपन्न हो गया. चुनाव आयोग के मुताबिक इस बार अनुमानित मतदान 49.3 फीसदी तक रहा. लेकिन गाजियाबाद विधानसभा सीट पर सबसे कम वोटिंग हुई. छुट्टी के बावजूद लोग घरों से बाहर नहीं निकले और उन्होंने वोटिंग में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. यूपी के सभी नौ सीटों में यहां सबसे कम 33.3 प्रतिशत वोटिंग हुई.
उपचुनाव में अक्सर वोटिंग पर्सेंटेज कम रहता है लेकिन गाजियाबाद सीट पर जितनी वोटिंग हुई वो काफी निराशाजनक कही जा सकती है. एक तिहाई लोग ही अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए घरों से बाहर आए. गाजियाबाद में सिर्फ 33.3 प्रतिशत वोटिंग ने सबको हैरान कर दिया. जबकि 2022 के चुनाव में इस सीट पर 51.78 फ़ीसद वोटिंग हुई थी और 2017 में 53.27 फ़ीसद वोटिंग प्रतिशत रहा था.
गाजियाबाद में बहुत का हुई वोटिंग
गाजियाबाद से इतर मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर लोगों ने दिख खोलकर वोट किया. यहां सबसे अधिक 57.32 प्रतिशत मतदान हुआ. इसके अलावा यूपी की अन्य सीटों की बात की जाए तो चुनाव आयोग द्वारा बुधवार शाम तक जारी किए आंकड़ों के मुताबिक सीसामऊ सीट पर 49.03% फीसद, मझावां में 50.41 फीसद, मीरापुर में 57.02 फीसद, खैर में 46.35 फीसद, फूलपुर में 43.43 फीसद, करहल में 53.92 फीसद और कटेहरी सीट पर 56.69 वोटिंग हुई.
गाजियाबाद में 507 बूथों पर मतदान हुआ और 23 नवंबर को काउंटिंग होनी है. ये सीट पहले बीजेपी के पास थी. इस सीट पर भाजपा का दबदबा रहा है. पिछली तीन बार से लगातार यहां भाजपा का कब्जा रहा है. 2022 के चुनाव में इस सीट से बीजेपी के अतुल गर्ग ने जीत हासिल की थी. लेकिन 2024 में अतुल गर्ग के सांसद बनने के बाद ये सीट खाली हो गई. जिसके बाद इस सीट पर उपचुनाव कराया गया.
बीजेपी ने गाजियाबाद सीट से संजीव शर्मा को उम्मीदवार बनाया है जबकि सपा की ओर से सिंहराज जाटव और बसपा ने पीएन गर्ग को टिकट दिया है. सियासी जानकारों का मानना है कि वैसे तो उपचुनाव में वैसे ही लोग कम दिलचस्पी दिखाते हैं लेकिन, इस क्षेत्र में ज्यादातर कामकाजी लोग रहते हैं. जो छुट्टी होने के बावजूद भी वोटिंग से परहेज करते हैं. वो इस दिन को भी छुट्ठी के तौर पर इंजॉय करते हैं.
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