Sisamau By Polls 2024: सपा के गढ़ सीसामऊ में बीजेपी की तरफ से टिकट के सैकड़ों दावेदार,किसे मिलेगी जिम्मेदारी? जानें
Sishamau By Election 2024: उत्तर प्रदेश 9 विधानसभा सीटों पर अगले माह 13 नवंबर को उपचुनाव होगा, जिसमें सीसामऊ सीट भी शामिल है. बीजेपी, सपा सहित अन्य दलों ने चुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं.
Sishamau Bypoll Election 2024: उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीख का सियासी दल इंतजार कर रहे थे. उनका यह इंतजार अब खत्म हो गया है. हालांकि उत्तर प्रदेश की सिर्फ 9 सीटों पर ही चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान किया है, जिसमें कानपुर की बहुचर्चित सीसामऊ सीट भी शामिल है.
प्रदेश की सभी 9 सीटों पर उपचुनाव अगले महीने 13 नवंबर को होगा. हालांकि सत्तारूढ़ बीजेपी ने अभी तक प्रत्याशियों के नामों का ऐलान नहीं किया है, दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी 6 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान पहले ही कर चुकी है. सपा ने अपनी पारंपरिक सीट पर एक बार फिर सोलंकी परिवार पर भरोसा जताया है.
किला बचाने में जुटी सपा
कानपुर की सीसामऊ सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी की तस्वीर साफ नहीं हो पाई है. बीजेपी की तरफ से इस सीट पर कई प्रत्याशी टिकट के दावेदारों में शामिल हैं, जो सपा के पारंपरिक गढ़ में अपनी सियासी किस्मत आजमाना चाहते हैं. सपा में भी इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए कई दावेदार शामिल थे, लेकिन पार्टी आलाकमान ने यहां पर पहले से प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर इन कयासों पर विराम लगा दिया.
सीसामऊ सीट से बीजेपी की तरफ से सैकड़ों प्रत्याशी टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं, इन्हीं दावेदारों में से शीर्ष नेतृत्व को किसी का एक प्रत्याशी का चयन करना है. हालांकि इस सीट पर सियासी समीकरण, मतदाताओं पर मजबूत पकड़ और जिताऊ प्रत्याशियों के रुप में महज कुछ ही नाम शामिल हैं.
यह प्रत्याशी ही बीजेपी के समीकरण में कुछ हद तक फिट बैठते हैं. बीजेपी की तरफ से टिकट की दौड़ में कई दिग्गज शामिल हैं, जिनमें कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होने वाले पूर्व विधायक अजय कपूर, पूर्व मंत्री और बीजेपी सांसद सत्यदेव पचौरी के बेटे अनूप पचौरी, एमएलसी सालिस विश्नोई, पूर्व विधायक उपेंद्र पासवान और अकील अहमद शामिल हैं.
सीट पर जातिगत समीकरण
इस सीट पर 40 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, जो किसी भी प्रत्याशी की हार जीत तय करने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं. इसके अलावा 60 फीसदी मतदाताओं में बड़ी संख्या में दलित और ब्राह्मण शामिल हैं, इसके अलावा अन्य जाति के मतदाता भी हैं. प्रदेश की अन्य सीटों की तरह यहां पर जातीय समीकरणों को जीत का आधार माना जाता है.
इसके तहत पहला यह कि 40 फीसदी मुस्लिम मतदाता किसी प्रत्याशी को समर्पित होकर वोट कर दें, तो उस प्रत्याशी की जीत तय मानी जाती है. इसकी वजह यह है कि अन्य बचे हुए 60 फीसदी वोट अलग-अलग दलों में बंटेंगे. इसमें भी मुस्लिम मतदाताओं के बंटने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा.
दूसरा समीकरण यह है कि इस सीट पर दलित और ब्राह्मण एकजुट होकर किसी प्रत्याशी को वोट कर दें, तो जीत पक्की है. यह समीकरण इससे पहले कारगर भी रहा है, जब दलित विधायक संजीव दरियाबादी इन समीकरण को साधने में सफल रहे थे. संजीव दरियाबादी को कांग्रेस ने दलित प्रत्याशी के रुप में मैदान में उतारा था, उनकी ब्राह्मण मतदाताओं में अच्छी पैठ थी. इन दोनों जातियों के वोटर्स के बदौलत संजीव की जीत हुई और वह विधानसभा पहुंचे.
दलित-ब्राह्मण को साधने का प्लान
इस बार अजय कपूर, सीसामऊ सीट से बीजेपी के टिकट के लिए प्रबल दावेदारों में शामिल हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व उन्हें टिकट भी दे सकता है, इसकी वजह यह है कि अजय कपूर आर्थिक रुप से मजबूत हैं. कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामने वाले अजय कपूर की मुस्लिम मतदाताओं में भी अच्छी पकड़ है.
यहां के युवाओं में अजय कपूर की फैन फॉलोइंग अच्छी है, इसके साथ उन्हें बीजेपी का फिक्स वोट मिलना भी तय है. कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं. यहां के व्यापारियों से भी अजय कपूर के संबंध अच्छे हैं और व्यापारी वर्ग इस सीट पर बड़ी संख्या में है.
बीजेपी की तरफ से उपेंद्र पासवान भी टिकट की दौड़ में शामिल हैं, पार्टी शीर्ष नेतृत्व उन्हें भी मैदान में उतार सकता है. इसकी वजह है दलित मतदाताओं को साधने के लिए दलित चेहरा कारगर साबित हो सकता है. इससे पहले बीजेपी इस सीट पर दलित मतदाताओं के बीच लगातार अपने नेताओं को भेज रही थी.
सपा के मिलेगी कड़ी टक्कर
इस संवाद के जरिये बीजेपी दलित वोटरों को साधने के लिए पहले से कोशिश कर रही है. बीजेपी को उम्मीद है कि अगर उपेंद्र पासवान को मैदान में उतारा गया तो दलित और ब्राह्मण वोट को साधने में आसानी होगा. इसके सहारे वह सपा के वोट बैंक में भी सेंध लगा सकते हैं. फिलहाल सीसामऊ सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी के नाम का इंतजार है, जो सपा को उसके गढ़ में चुनौती दे सके.
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