यूपी उपचुनाव: पश्चिम में योगी के आगे कितनी सफल होगी अखिलेश की चाल? पुराने साथ हो गए हैं अलग
यूपी की नौ सीटों पर विधानसभा उपचुनाव हो रहा है. इनमें पश्चिमी यूपी की चार महत्वपूर्ण सीटें हैं. इनमें गाजियाबाद, मीरापुर, खैर और कुंदरकी शामिल हैं. लेकिन इस बार पश्चिम का चुनाव रोचक हो गया है.
UP Bypolls 2024: पश्चिमी यूपी को सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ अपना मजबूत सियासी मैदान मानते हैं और इस मैदान पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी मजबूत बैटिंग करने का सपना देख रहें हैं. योगी के हर बड़े दाव की काट अखिलेश पीडीए फार्मूले के सहारे ढूंढ रहें हैं. अखिलेश यादव ने पश्चिमी यूपी की सियासी पिच पर जो भी खिलाड़ी उतारे हैं. उन्हें उम्मीद है कि हर खिलाड़ी सियासत के मैदान में बड़ा शॉट लगाएगा, लेकिन उसे सीएम योगी के धुरंधर बॉलरों से कड़ा मुकाबला करना पड़ेगा.
2022 के मीरापुर विधानसभा उपचुनाव में सपा रालोद के बीच गठबंधन था और तब यहां चंदन चौहान चुनाव जीते थे. चंदन चौहान बिजनौर से सांसद बन गए और मीरापुर की सीट रिक्त हो गई. 2022 की कहानी भी बदल गई. अब जयंत चौधरी और अखिलेश यादव की राहें अलग-अलग हैं. जयंत बीजेपी के साथ हैं और अखिलेश अब राहुल गांधी के साथ. सीएम योगी और जयंत चौधरी यहां मजबूत फिल्डिंग लगाए हुए हैं, लेकिन अखिलेश यादव यहां मजबूत बैटिंग करने का सपना देख रहें हैं. सपा ने यहां से पूर्व सांसद कादिर राणा की पुत्रवधू सुम्बुल राणा को टिकट दिया तो बीजेपी ने सपा को उसी के अंदाज में चुनौती देने के लिए मिथलेश पाल को मैदान में उतार दिया. यहां की लड़ाई इसलिए भी दिलचस्प बनी हुई है, क्योंकि दोनों बड़े दलों से महिला प्रत्याशी मैदान में हैं.
पश्चिम का गढ़
यूपी की नौ सीटों पर विधानसभा उपचुनाव हो रहा है. इनमें पश्चिमी यूपी की चार महत्वपूर्ण सीटें हैं. इनमें गाजियाबाद, मीरापुर, खैर और कुंदरकी शामिल हैं. अखिलेश यादव ने गाजियाबाद में जाटव समाज से ताल्लुक रखने वाले सिंहराज जाटव को मैदान में उतारा है, मीरापुर में सियासत के बड़े घराने कादिर राणा की पुत्रवधू सुम्बुल राणा को टिकट दिया है. जबकि खैर सीट पर चारू केन पर दांव लगाया है और कुंदरकी में हाजी मौहम्मद रिजवान पर दांव खेला है.
सीएम योगी और आरएलडी ने भी मिलकर यहां मजबूत फिल्डिंग लगाई है. लोकसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी में भले ही बीजेपी का स्कोर उम्मीद के मुताबिक न आया हो, लेकिन विधानसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी की चार सीटों पर कमल खिलाकर सीएम योगी बड़ा संदेश देना चाहते हैं. मीरापुर में सीएम योगी ने अपनी पार्टी की मिथलेश पाल को अपने सहयोगी रालोद के कोटे से चुनावी जंग में उतारा है. गाजियाबाद सीट से संजीव शर्मा, खैर से सुरेन्द्र दिलेर और कुंदरकी से ठाकुर रामवीर सिंह को टिकट दिया है. एक तरफ अखिलेश की सेना होगी और दूसरी तरफ सीएम योगी की.
हर बयान पर तुरंत पलटवार करते हैं अखिलेश
सीएम योगी ने बयान दिया कि कटेंगे तो बटेंगे, अखिलेश यादव ने तुरंत ही रिएक्शन दिया कि जुड़ेंगे तो जीतेंगे. योगी सरकार ने डीजीपी की नियुक्ति दो साल के लिए करने का आदेश पारित किया तो अखिलेश ने तुरंत ही सरकार को घेरा कि क्या गारंटी है सरकार दो साल रहेगी. वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र शर्मा का कहना है कि योगी की मजबूत पिच पर मजबूत बैटिंग करने की अखिलेश की मजबूत रणनीति है. अखिलेश यादव के हर टिकट में इसकी छाप दिखती है, लेकिन ये बैटिंग इतनी भी आसान नहीं होगी. हां अखिलेश सीएम योगी को घेरने और हमलावर नजर आने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं, अब इसका चुनाव की पिच पर कितना असर होगा ये वक्त तय करेगा.
वरिष्ठ पत्रकार शादाब रिजवी का कहना है कि यूपी उपचुनाव का मैदान बड़ा है और बड़े मैदान में बैटिंग करना हर किसी खिलाड़ी के बसकी बात नहीं है. कहीं ऐसा न हो कि अखिलेश के बेटसमैन पश्चिमी यूपी की सियासत के मैदान में बड़े शॉट्स न खेल पाएं. ये भी असंभव लगता है कि अखिलेश यादव की गुगली योगी को आउट कर पाए, क्योंकि सीएम योगी की फिल्डिंग कसी हुई है और उपचुनाव के सीएम योगी धुरंधर हैं.
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चार चुनावों से जीत रही बीजेपी
वहीं वरिष्ठ पत्रकार संतोष शुक्ला का कहना है कि चार चुनावों में इस बार के लोकसभा चुनाव को छोड़ दें तो बीजेपी का प्रदर्शन बेहतरीन रहा है. इस उपचुनाव में अखिलेश यादव की भी परीक्षा है और सीएम योगी की भी. सपा और बसपा अपनी खोई जमीन तलाशने की कोशिश में जुटी है और सीएम योगी अपनी मजबूत रणनीति से विपक्ष की उम्मीदों पर पानी फेरना चाहते हैं. लोकसभा चुनाव में तो बीजेपी घिर गई लेकिन उपचुनाव में बीजेपी को घेरना आसान नहीं होगा क्योंकि यहां मुकाबला सीएम योगी से है.