UP By-Elections 2024: उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर प्रस्तावित उपचुनाव में बड़ा खेला हो सकता है. उत्तर प्रदेश स्थित नगीना से लोकसभा सांसद चंद्रशेखर आजाद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी हाथ मिलाने जा रहें हैं. यदि ऐसा हुआ तो यूपी में ये नया समीकरण बड़े दिग्गजों की नींद उड़ा सकता है. सबसे ज्यादा नुकसान समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को हो सकता है, क्योंकि ये नया गठबंधन अखिलेश यादव के पीडीए फॉर्मूले में सेंध लगा सकता है. कांग्रेस की भविष्य की संभावनाओं पर भी ब्रेक लग सकता है. 


सियासत के लिहाज से दोनों ही नाम बड़े हैं और यदि दोनों में गठबंधन की घोषणा हुई तो फिर यूपी की सियासत में बहुत कुछ बदल सकता है. सूत्रों की मानें तो 2027 से पहले इस गठबंधन में ओबीसी या जनरल वर्ग का नेतृत्व भी शामिल करने की तैयारी है जिसका असर यूपी विधानसभा की 300 से ज्यादा सीट पर पड़ सकता है.


गठबंधन पर हुई बात पक्की!
चंद्रशेखर आजाद और असदुद्दीन ओवैसी के बीच अच्छे रिश्ते हैं और ये रिश्ते किसी से छिपे भी नहीं हैं. लेकिन अब इन्हीं अच्छे रिश्तों की बुनियाद पर यूपी में दोनों गठबंधन करने जा रहे हैं. सूत्रों की मानें तो आजाद समाज पार्टी और AIMIM के बीच गठबंधन पर बात लगभग फाइनल हो चुकी है और इस पर कभी भी मुहर लग सकती है. इस गठबंधन पर मुहर लगी तो फिर यूपी में इस गठबंधन का बड़ा असर देखने को मिल सकता है. गठबंधन पर मुहर लगते ही ओवैसी और चंद्रशेखर यूपी विधानसभा उपचुनाव की बाकी बची सीटों पर अपने प्रत्याशियों का एलान कर सकते हैं.


यूपी विधानसभा उपचुनाव के लिए सबसे पहले सांसद चंद्रशेखर आजाद की पार्टी आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने पश्चिमी यूपी की सबसे महत्वपूर्ण सीट मीरापुर सीट पर अपना प्रत्याशी घोषित किया है. मुजफ्फरनगर लोकसभा की मीरापुर विधानसभा सीट से चंद्रशेखर आजाद ने जाहिद हसन, गाजियाबाद सीट से सतपाल चौधरी और मीरापुर की मंझवा सीट से धीरज मौर्य को प्रत्याशी घोषित किया है. 


चंद्रशेखर आजाद ने यूपी विधानसभा उपचुनाव में सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान करके सबको चौका दिया था और सबसे पहले कई सीटों पर प्रत्याशी घोषित करके भी अपने इरादे जता दिए थे कि उपचुनाव भी उनके लिए कितना महत्वपूर्ण हैं. ओवैसी के साथ चंद्रशेखर आजाद कितनी सीटों पर मिलकर चुनाव लडेंगे इसपर भी लगभग बात बन गई है, बस अंतिम फैसला होना बाकी है.


दोनों नेताओं की बड़ी प्लानिंग
चंद्रशेखर आजाद और ओवैसी एक बड़ी प्लानिंग के तहत आगे बढ़ेंगे. उपचुनाव के दोनों नेता बड़ा प्रयोग करने जा रहे हैं. सूत्रों की मानें तो इस गठबंधन में ओबीसी और जनरल वर्ग से प्रतिनिधित्व देने की भी बड़ी रणनीति पर काम किया जा जा रहा है. अगर ऐसा हुआ तो यूपी की 300 से ज्यादा ऐसी सीट हैं जहां दलित, मुस्लिम बड़ी तादात में हैं और यदि ओबीसी और जनरल वर्ग का साथ मिल जाए तो कहानी बहुत कुछ बदल सकती है. 


पर्दे के पीछे कई अन्य वर्ग के बड़े नेताओं से भी बात चल रही है और कई बड़े नेताओं ने भी भविष्य के लिए सहमति जता दी है. अगर ऐसा हुआ तो फिर भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस के लिए भी भविष्य के मुश्किलों के पहाड़ खड़े हो सकते हैं. चंदशेखर और ओवैसी एक तीसरा मोर्चा बनाकर एक नया विकल्प तैयार करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.


दीगर है कि अखिलेश यादव ने पीडीए फॉर्मूले के सहारे ही लोकसभा चुनाव में कमाल करके दिखा दिया. पश्चिमी यूपी में इस फॉर्मूले का बड़ा असर दिखा कि बीजेपी सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, कैराना और बिजनौर जैसी महत्वपूर्ण सीटें हार गई. अब चंद्रशेखर आजाद और ओवैसी के बीच गठबंधन फाइनल होता है तो दोनों के यूपी उपचुनाव लड़ने का सबसे ज्यादा नुकसान सपा मुखिया अखिलेश यादव को उठाना पड़ सकता है, क्योंकि ये नया गठबंधन सबसे ज्यादा पीडीए फॉर्मूले को ही नुकसान पहुंचाएगा. 


Ram Mandir: अयोध्या राम मंदिर निर्माण में आई तेजी, उपमंदिर और परिसर निर्माण पर खर्च होंगे इतने करोड़ रुपये


राजनीति में बढ़ रहा कद
इतना ही नहीं अखिलेश यादव के साथ नई संभावनाएं तलाश रही कांग्रेस को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है. नगीना लोकसभा से अपने दम पर सांसद बनने के बाद चंद्रशेखर आजाद का कद राजनीति में कई गुना बढ़ गया है और ओवैसी का साथ लेकर वो यूपी की सियासत में कुछ नया करना चाहते हैं, जिसका बड़ा नुकसान बीजेपी को भी उठाना पड़ सकता है.


सांसद बनने के बाद चंद्रशेखर आजाद राजनीति में नए-नए प्रयोग कर रहें हैं. हरियाणा में जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला से गठबंधन करके चंद्रशेखर आजाद हरियाणा विधानसभा चुनाव में 20 सीटों पर चुनाव लड़ रहें हैं. चंद्रशेखर आजाद की इंदिरा गांधी स्टेडियम में हुई रैली में उमड़ी भीड़ ने कई दिग्गजों की नींद उड़ा डाली. चंद्रशेखर आजाद भले ही हरियाणा विधानसभा चुनाव में किसमत आजमाने निकले हैं, लेकिन यूपी पर भी उनकी पैनी नजर है. चंद्रशेखर आजाद ओवैसी से गठबंधन करके यूपी उपचुनाव लड़कर भी एक बड़ा प्रयोग करना चाहते हैं, जिसके दम पर 2027 की नई कहानी लिखी जा सके.


चंद्रशेखर आजाद गरीब, दलित, मुस्लिम, पिछड़े, किसान, नौजवान सभी की समस्याओं पर मुखर होकर बोलते हैं, सांसद बनने के बाद तो यूपी में पूरब से पश्चिम तक हर मुद्दे पर हो गंभीरता दिखा रहे हैं. एक नजर देश पर है तो दूसरी नजर पूरे यूपी पर. बात किसानों की है, पहलवानों की हो, महिलाओं पर अत्याचार की हो, दलित, मुस्लिम और कमजोर वर्ग के शोषण की हो ज्यादातर जगह चंद्रशेखर पहुंचकर हुंकार भरते हैं. हालत देखकर उन्हें लगता है कि गठबंधन का एक ऐसा मजबूत विकल्प तैयार किया जाए जो बीजेपी, कांग्रेस, बसपा, सपा से नाराज लोगों को एक मंच दे सके और यूपी में इस गठबंधन के सहारे सियासी हवा बदल सके.