(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
यूपी में दांव पर लगी सीएम योगी, शिवपाल सिंह यादव और अजय राय की प्रतिष्ठा, तीन सीटों पर सियासी संग्राम
Uttar Pradesh में उपचुनाव को लेकर 10 सीटों पर सबकी नजर है लेकिन तीन ऐसी सीटे हैं जिस पर बीजेपी, सपा और कांग्रेस तीनों के बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है.
UP By Polls 2024: उत्तर प्रदेश में आने वाले दिनों में 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं. इन दस सीटों पर भारतीय जनता पार्टी, इंडिया गठबंधन और बहुजन समाज पार्टी ने अपने हिसाब से तैयारी शुरू कर ली है. इस तैयारी के बीच बड़े नेताओं ने अलग-अलग सीटों पर खुद मोर्चा संभाल लिया है. सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ पूरे जी जान से मिल्कीपुर जीतने के लिए मेहनत कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी के गढ़ मैनपुरी की करहल की सीट की जिम्मेदारी चाचा शिवपाल यादव के कंधों पर है. साथ ही यूपी कांग्रेस के मुखिया अजय राय को मंझवा सीट की जिम्मेदारी दी गई है. इन दिग्गजों के कंधों पर इन सीटों की जिम्मेदारी से इनकी साख भी दांव पर लग गई है.
अयोध्या की मिल्कीपुर सीट की बात करें तो भाजपा ने इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है. वर्ष 2017 में सत्ता में आने के बाद से अयोध्या में विकास के नए आयाम लिखने की शुरुआत से लेकर राम मंदिर को लेकर आए फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण के साथ अयोध्या के हो रहे विकास के दावों बावजूद अयोध्या लोकसभा सीट हारने का झटका पूरी भारतीय जनता पार्टी को लगा है.
मिल्कीपुर में क्या है स्थिति?
सीएम योगी आदित्यनाथ अब किसी भी हाल में इस सीट को अपने खाते में करना चाहते हैं. योगी आदित्यनाथ के कंधों पर मिल्कीपुर और कटेहरी की जिम्मेदारी मिली है. मिल्कीपुर सीट अब हॉट सीट बन गई है. इस सीट को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ लगातार मेहनत कर यहां का तीन बार दौरा कर करोड़ों की योजनाओं की सौगात मिल्कीपुर को दे चुके हैं.
सपा के नेता अखिलेश यादव लोकसभा में फैजाबाद सीट पर जीत के बाद अयोध्या की जीत के बाद से ही अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद को जीत की ट्रॉफी के रूप में हर जगह प्रस्तुत कर रहे हैं. अयोध्या की जीत से इंडिया गठबंधन के बढ़े हुए मनोबल को कम करने के लिए योगी आदित्यनाथ किसी भी हाल में मिल्कीपुर की सीट जीतना चाहते हैं और इस कारण उनकी मेहनत लगातार जारी है.
करहल की जिम्मेदारी शिवपाल सिंह के पास
समाजवादी पार्टी ने करहल विधानसभा सीट की जिम्मेदारी शिवपाल यादव को दी है. शिवपाल यादव ने साल 2017 चुनाव के बाद अलग-थलग होकर अपनी नई पार्टी बना ली थी. हालांकि साल 2022 चुनाव के पहले नेताजी (मुलायम सिंह यादव) की कोशिश से सपा के साथ वापस से आए . इस चुनाव के बाद अखिलेश ने नेताजी की मृत्यु के बाद उनके कंधों पर मैनपुरी की जिम्मेदारी दी.
इसको शिवपाल ने बखूबी निभाया और मैनपुरी की सीट से बड़े मार्जिन से डिंपल यादव को जिताया. फिर अखिलेश यादव ने उनके कंधों पर घोसी की भी जिम्मेदारी दी जहां पर वह एक बार फिर सफल हुए और अब इस बार फिर सपा की गढ़ करहल की सीट की जिम्मेदारी चाचा शिवपाल को अखिलेश यादव ने फिर से दी है.
मझवां में अजय राय की प्रतिष्ठा दांव पर
कांग्रेस पार्टी ने भी पार्टी के उत्तर प्रदेश के मुखिया अजय राय के कंधों पर मिर्जापुर की मंझवा सीट की जिम्मेदारी दी है. हालांकि अभी इस बात का निर्णय नहीं हो पाया है कांग्रेस पार्टी यह सीट लड़ पाएगी या नहीं. इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस पार्टी ने 5 सीटों की डिमांड समाजवादी पार्टी से की है जिसमें मंझवा सीट भी है और इसके प्रभारी अजय राय खुद हैं. मंझवा सीट का प्रभारी बनने के बाद कयास इस बात के लगाए जा रहे हैं कि इस सीट से अजय राय के परिवार से जुड़ा कोई सदस्य मैदान में उतर सकता है. मंझवा विधानसभा सीट पर कांग्रेस और बसपा का दबदबा रहा है. इस सीट पर आठ बार कांग्रेस ,पांच बार बहुजन समाज पार्टी ,दो बार भाजपा को जीत मिली है .
जातिगत समीकरणों के अनुसार मझवां सीट पर करीब 90,000 ब्राह्मण और 25,000 भूमिहार हैं. दलित और बिंद करीब 60-60 हजार हैं. इस सीट पर कांग्रेस ने बसपा से कांग्रेस में आए पूर्व मंत्री सदल प्रसाद को पर्यवेक्षक भी बनाया है.