UP Bypolls 2024: कानपुर की सीसामऊ सीट पर एक ऐसा मतदाता समूह जो एक तरफ वोट से जो किसी भी दल का सियासी समीकरण पटल देंगे, उनकी संख्या महज 15 हजार के लगभग है. लेकिन पिछले रिकॉर्ड को देखा जाए तो साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में सीसामऊ सीट पर सपा 12 हजार वोट से जीती थी और बीजेपी 12 हजार वोट से हारी थी. 


इस 12 हजार वोटों की संख्या एक खास समुदाय के मतदाताओं के हाथ में जीत और हार के फर्क को बदलने की ताकत मुहैया कराती है. कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में करीब 15 हजार सिख मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानपुर में सिख समुदाय के बीच रैली की और गुरुद्वारे का दर्शन किया, जिससे इस समुदाय का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की गई है.


22 साल का इंतजार
सीसामऊ सीट पर बीजेपी ने 22 साल पहले जीत दर्ज की थी, लेकिन यह सीट सपा की पारंपरिक गढ़ मानी जाती है. सोलंकी परिवार यहां लंबे समय से काबिज है. 2022 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सपा से महज 12 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. अब, सिख समुदाय पर विशेष ध्यान देते हुए यह सवाल उठता है कि क्या मोदी की रैली और गुरुद्वारे के दर्शन से सिख मतदाता बीजेपी का समर्थन करेंगे, क्योंकि जिस समुदाय के मतदाता को अन्य दल मामूली समझते हैं वो इस जीत ओर हार के फर्क को मिटा सकते हैं. बस जरूरत है तो इस समुदाय के मतदाताओं को अपनी ओर करने की.


इसके लिए बीजेपी ने पहले से ही विधानसभा क्षेत्र में पीएम की रैली आयोजित कर लोकसभा चुनाव के बीच सियासी पैरा चल दिया था. इस सीट पर लगभग 40 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता भी हैं, जो निर्णायक भूमिका निभाते हैं. सपा के साथ कांग्रेस का गठबंधन फिलहाल तय नहीं है, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है. हाल ही में राहुल गांधी ने सिख समुदाय के बारे में विवादास्पद टिप्पणियां की थीं, जो कांग्रेस के लिए हानिकारक हो सकती हैं.


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क्या बदलेगा सियासी गणित
कानपुर की सीसामऊ सीट पर सपा और कांग्रेस के एक जुट होकर चुनाव लड़ने के कयास बरकरार हैं, जिससे सिक्ख समुदाय का मतदाता क्या सपा का सहयोग करेगा फिलहाल ये सियासी गणित है. लेकिन चुनाव की तारीख साफ हो चुकी है और मैदान में सपा ने अपना प्रत्याशी उतार दिया है. जबकि बीजेपी के प्रत्याशी का इंतजार है.


इन सभी कारकों के चलते सिख समुदाय का मतदाता अब बीजेपी की ओर देख रहा है. क्या मोदी की पहल इस समुदाय के बीच बीजेपी के लिए समर्थन जुटा पाएगी? उपचुनाव के परिणाम यह तय करेंगे कि सीसामऊ की राजनीतिक दिशा किस ओर जाती है. इस बार का चुनाव सिख मतदाताओं के समर्थन से कई समीकरण बदल सकते हैं सवाल कई है लेकिन अभी बीजेपी अपने उन मतदाताओं पर मेहनत करती दिख रही है जो छोटे छोटे टुकड़ों में बीजेपी के लिए जीत का सबब बन सकते हैं.