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UP Bypolls: उपचुनाव में अखिलेश यादव ने बदली रणनीति, 2024 लोकसभा चुनाव से पहले चला ये बड़ा दांव

UP Politics: आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में सपा ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है. अखिलेश एक बार फिर मुलायम सिंह यादव के रास्ते पर चल पड़े हैं.

Azamgarh And Rampur Loksabha By Election: 2024 के लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) से पहले अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है और ये बदलाव आजमगढ़ (Azamgarh), रामपुर (Rampur) में हो रहे उपचुनाव में साफ देखने को मिल रहा है. 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने पार्टी की इमेज को बदलने की दिशा में तमाम कदम उठाएं लेकिन जब नतीजा पक्ष में नहीं आया तो एक बार फिर अखिलेश यादव अब मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के ट्रैक पर चलते हुए पार्टी के पुराने एम वाई फैक्टर (MY Factor) पर ही आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं.

उपचुनाव में अखिलेश यादव ने बदली रणनीति

आजमगढ़ और रामपुर में होने वाले उपचुनाव के लिए आज चुनावी शोर थम गया. 23 जून को इन दोनों सीटों पर वोट डाले जाने है. लेकिन ये चुनाव 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी को अपनी बदली हुई रणनीति और उससे मिलने वाली सफलता को जांचने का सबसे बड़ा पैमाना माना जा रहा है. और शायद यही वजह है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश ने पार्टी की जो इमेज को बदलने की कोशिश की उसे पीछे छोड़ते हुए एक बार फिर सपा के पुराने एमवाई फेक्टर पर ज्यादा भरोसा करते नजर आ रहे हैं. आजमगढ़ और रामपुर दोनों जगहों पर अखिलेश ने अपनी रणनीति को पूरी तरह बदल दिया है. 

सपा को फिर एमवाई फैक्टर का सहारा 
- 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने यादव उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में कम उतारा
- अखिलेश यादव ने परिवारवाद के आरोप से बचने के लिए परिवार के लोगों को भी चुनाव में टिकट नहीं दिए.
- मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोप से बचने के लिए  विधानसभा चुनाव में किसी जनसभा में कोई बड़ा मुस्लिम चेहरा नजर नहीं आया.
- वहीं उपचुनाव में पार्टी ने एक पर यादव प्रत्याशी और दूसरी सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. 

अखिलेश यादव ने आजमगढ़ में चचेरे भाई धर्मेन्द्र यादव और रामपुर में आजम खान के करीबी आसिम रजा को मैदान में उतारा है. वहीं हर चुनावी मंच पर पार्टी के सबसे बड़े मुस्लिम चेहरे आजम खान को भेजा जा रहा है. यहां तक कि खुद अखिलेश कहीं भी चुनाव प्रचार के लिए नहीं गए. जबकि आजम खान ना केवल चार्टर्ड से आजमगढ़ गए बल्कि रामपुर में भी प्रचार के हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल कर रहे हैं. 

जानिए रणनीति बदलने की असल वजह
दरअसल अखिलेश यादव की इस बदली हुई रणनीति के पीछे भी कई वजह हैं. 2014 का लोकसभा चुनाव, 2017 का विधानसभा चुनाव, 2019 का लोकसभा चुनाव हो या फिर 2022 का विधानसभा चुनाव. समाजवादी पार्टी की रणनीति चारों ही चुनाव में सफल नहीं हुई. अखिलेश यादव ने पार्टी को परंपरागत इमेज से निकालने की काफी कोशिश की लेकिन जब अब चुनाव परिणाम पक्ष में नहीं आए तो वो वापस मुलायम सिंह यादव के पुराने रास्ते पर चलते दिख रहे हैं. पार्टी का सबसे मजबूत पक्ष है एमवाइ फैक्टर है उस पर ही उन्होंने भरोसा जताया है. चाहे राज्यसभा में सदस्यों को भेजने की बात हो या फिर विधान परिषद में सदस्यों को भेजने की, फर्क साफ नजर आया. 

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2024 लोकसभा चुनाव से पहले चला दांव

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते और यही वजह है कि अब वह मुलायम सिंह यादव के पुराने दांव को ही आजमाते नजर आ रहे हैं. कोशिश यही है कि मुस्लिम समाज पार्टी के साथ बना रहे इसीलिए तो रामपुर में ही चुनाव प्रचार के लिए आजम खान को हेलीकॉप्टर तक मुहैया कराया गया. चुनाव प्रचार के अंतिम दिन तक आजम खान ने विरोधियों पर जमकर निशाना साधते नजर आए. दूसरी तरफ डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का कहना है कि सपा कितना भी रणनीति में बदलाव करे लेकिन जनता ने पहले भी उन्हें नकारा और अब भी नकार देगी. 

उपचुनाव को लेकर बीजेपी का दावा

बीजेपी आजमगढ़ और रामपुर सीट को लेकर काफी आश्वस्त नजर आ रही है. दोनों ही सीटों पर सीएम योगी ने पार्टी के पक्ष में धुआंधार प्रचार भी किया है. 2022 में बीजेपी की जीत का जो सबसे बड़ा फैक्टर माना जा रहा है उसी फार्मूले को बीजेपी दोनों ही उपचुनाव में दोहरा रही है. जिसमें पीएम मोदी का राशन और यूपी में बाबा का बुलडोजर वाला शासन ये दोनों ही फैक्टर बीजेपी इस चुनाव में भी इस्तेमाल कर रही है. इसीलिए आज जब सीएम योगी रामपुर पहुंचे तो उन्होंने इसी बात का साफ तौर पर जिक्र भी किया. 

सपा-बीजेपी के लिए नाक का सवाल
सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के लिए आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव बेहद अहम है. दोनों ही सीटें समाजवादी पार्टी के सांसदों के इस्तीफा देने के बाद खाली हुईं है. इसलिए सपा उसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रही है, तो बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इन सीटों पर जीत हासिल कर एक मैसेज देने की कोशिश में लगी हुई है. अब जनता क्या फैसला लेगी ये तो चुनाव परिणाम सामने आने के बाद ही पता चलेगा. 

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