Uttar Pradesh News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज अयोध्या में जानकी महल में आयोजित श्री राम जानकी विवाह उत्सव में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि इसी प्रकार का भव्य आयोजन आज जनकपुर धाम में भी हो रहा है. छह साल पहले भारत व यूपी सरकार के योजनान्तर्गत विवाह पंचमी पर जनकपुर धाम में जाने और मां जानकी के भव्य मंदिर के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ था. आज जानकी महल में विवाह पंचमी कार्यक्रम में फिर से जोड़ने का अवसर प्राप्त हो रहा है. 


उन्होंने कहा कि सामर्थ्य के अनुसार देश व धर्म के लिए कुछ करने के साथ ही समाज और हर एक को जोड़ने की आवश्यकता है. देश है तो धर्म है, धर्म है तो हम सब हैं. हमारा ध्येय सनातन धर्म की रक्षा और भारत को विकास के परम वैभव तक पहुंचाने का होना चाहिए. सीएम ने जाति के नाम पर बांटने वालों  से बचने का आह्वान किया. 


जानकी महल कई पूज्य संतों व आयोजनों का केंद्र बिंदू
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्री राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान इसे नई ऊंचाई तक पहुंचाने में यह महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु था. मेरे पूज्य गुरुदेव महंत अवेद्यनाथ जी महाराज राम जन्मभूमि आंदोलन से संबंधित किसी महत्वपूर्ण बैठक या आंदोलन के लिए आते थे तो अक्सर वे रात्रि विश्राम जानकी महल में ही करते थे. यह अनेक पूज्य संतों व आयोजनों का केंद्र बिंदु रहा है.


22 जनवरी का दिन बेहद महत्वपूर्ण रहा है
सीएम योगी ने कहा कि यह साल बहुत महत्वपूर्ण रहा. जब 22 जनवरी 2024 को अयोध्या धाम में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम लला के रूप में विराजमान हो चुके हैं. भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया में कोई भी ऐसा सनातन धर्मावलंबी नहीं था, जो उस क्षण से वंचित हुआ हो. 500 वर्ष तक चले संघर्षों का सामना करते-करते कई पीढ़ियां चली गईं, लेकिन यह सौभाग्य हमारे भाग्य में था कि फिर से भव्य मंदिर में रामलला को विराजमान होते हमने देखा है. 22 जनवरी को हर सनातन धर्मावलंबी उत्साहित और पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर रहा था.


रामराज्य एक आदर्श व्यवस्था थी
सीएम योगी ने कहा कि 14 साल बाद अयोध्या आने से पहले श्रीराम ने हनुमान जी को भेजा कि जाओ, देखो- ऐसा तो नहीं कि भरत को राज्य का मोह हो गया है, यदि वह राज करना चाहते हो तो मैं अयोध्या वापस नहीं जाऊंगा. हनुमान जी ने देखा कि संन्यासी के रूप में भरत श्री राम जी का इंतजार कर रहे हैं. यह बातें हनुमान जी ने श्रीराम को बताई, तब भगवान राम ने आकर प्रजा की भावनाओं का सम्मान करते हुए जिस व्यवस्था को आगे बढ़ाया, वह रामराज्य की आदर्श व्यवस्था थी. 


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