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यूपी में सीएम योगी का कब-कब गरजा बुलडोजर? सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद जानें पूरी डिटेल

UP News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 12 जनवरी 2022 को भूमि अतिक्रमण से निपटने की अपनी प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए अपने बुलडोजर अभियान को तेज करते हुए 59 अवैध बस्तियों को निशाना बनाया.

UP Bulldozer Action News: उत्तर प्रदेश में शुरू हुए बुलडोजर एक्शन की चर्चा पूरे देश में है. इस पर राजनीतिक बयानबाजी भी होती रहती है. वहीं अब सुप्रीम कोर्ट ने भी यूपी समेत कई राज्यों में अपराधियों के खिलाफ हो रही बुलडोजर कार्रवाई पर सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी का घर सिर्फ इसलिए कैसे ध्वस्त किया जा सकता है क्योंकि वह आरोपी है. वहीं कई राजनीतिक दलों का कहना है कि ये कैसा न्याय है. आइए जानते हैं योगी सरकार में अब तक कहां-कहां और कब-कब बुलडोजर एक्शन हुआ है. 

यूपी में कब-कब हुई बुलडोजर कार्रवाई

3 अप्रैल, 2021: उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में एक ही दिन की कार्रवाई में 124 अवैध निर्माणों को बुलडोजर द्वारा ध्वस्त कर दिया गया.

17 जुलाई, 2021: बुलडोजर की कार्रवाई के परिणाम स्वरूप विभिन्न शहरों में 87 अवैध निर्माणों को ध्वस्त कर दिया गया, 15 एकड़ से अधिक सरकारी भूमि पर कब्जा कर लिया गया.

5 सितंबर, 2021: सार्वजनिक सड़कों और सरकारी स्वामित्व वाले भूखंडों पर अतिक्रमण को साफ करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, एक बड़े अभियान में बुलडोज़रों ने 176 अनधिकृत संरचनाओं को तोड़ दिया.

22 नवंबर, 2021: एक सप्ताह तक चले ऑपरेशन में, बुलडोजरों ने 312 अवैध इमारतों को ध्वस्त कर दिया, जो हाल के महीनों में अनधिकृत निर्माणों पर सबसे व्यापक कार्रवाई में से एक है.

12 जनवरी, 2022: उत्तर प्रदेश सरकार ने भूमि अतिक्रमण से निपटने की अपनी प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए, अपने बुलडोजर अभियान को तेज करते हुए 59 अवैध बस्तियों को निशाना बनाया और लगभग 25 एकड़ भूमि को पुनः प्राप्त किया.

यूपी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ क्या एक्शन लिया?

मई 2019: उत्तर प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) की स्थापना की, जिसमें भ्रष्टाचार और दुर्भावना के हाई-प्रोफाइल मामलों पर ध्यान केंद्रित किया गया.
सितंबर 2019: सरकार ने राज्य की शिक्षा प्रणाली में भ्रष्ट आचरण पर कार्रवाई शुरू की, परीक्षा अनियमितताओं और रिश्वतखोरी में शामिल कई अधिकारियों को निलंबित कर दिया.
जून 2019: राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार शिकायत हेल्पलाइन शुरू की, जिसके संचालन के पहले छह महीनों के भीतर 10,000 से अधिक शिकायतें प्राप्त हुईं.
मार्च 2020: पारदर्शी सार्वजनिक खरीद प्रक्रियाओं के लिए ऑनलाइन पोर्टल की शुरुआत के साथ भ्रष्टाचार विरोधी उपायों को मजबूत किया गया, जिससे रिश्वतखोरी और पक्षपात के अवसर कम हो गए.
सितंबर 2020: सरकारी अनुबंधों के व्यापक ऑडिट में 300 से अधिक निविदाओं में विसंगतियां उजागर हुई, जिसके कारण कई ठेकेदारों को काली सूची में डाल दिया गया और दुरुपयोग किए गए धन में ₹100 करोड़ की वसूली की गई.
अप्रैल 2021: यूपी सरकार ने सरकारी विभागों की पारदर्शिता और जवाबदेही का मूल्यांकन करते हुए एक सार्वजनिक अखंडता सूचकांक पेश किया. प्रारंभिक आकलन से प्रमुख क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सुधार का पता चला, पिछले वर्ष की तुलना में रिपोर्ट किए गए भ्रष्टाचार के मामलों में 20% की कमी आई.
अगस्त 2021: जन कल्याण योजनाओं में भ्रष्टाचार की जांच के लिए एक विशेष अभियान चलाया गया, जिसके कारण सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के लिए धन के गबन के आरोपी कई अधिकारियों की गिरफ्तारी हुई.
दिसंबर 2021: एक महत्वपूर्ण कदम में, राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार के अपराधों के लिए सख्त दंड पेश किया, जिसमें अवैध तरीकों से अर्जित संपत्तियों को जब्त करने के प्रावधान भी शामिल हैं, जिसका उद्देश्य भ्रष्ट आचरण को प्रभावी ढंग से रोकता है.

ये भी पढ़ें: यूपी के 26 डॉक्टरों को बर्खास्त करने का निर्देश जारी, लापरवाही और गैर हाजिर रहने का लगा आरोप

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