गोरखपुर, एबीपी गंगा। बीआरडी मेडिकल कॉलेज ये नाम तो आपको याद ही होगा। नहीं याद आया तो चलिए हम आपको बता देते हैं कि ये वही मेडिकल कॉलेज है जहां 10-11 अगस्त 2017 की रात ऑक्सीजन की कमी से हुई 36 बच्चों की मौत से पूरा देश हिल गया था। इस हृदय विदारक घटना ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज को रातों रात सुर्खियों में ला दिया था।
सांसद रहने के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उसी मेडिकल कॉलेज में इंसेफेलाइटिस से हो रही बच्चों की मौत को लेकर तमाम आंदोलन और धरना-प्रदर्शन भी किया। लेकिन, उनके शासनकाल में हुई बच्चों की मौत ने उन्हें अंदर तक हिला दिया। यही वजह है कि जहां कोटा में बच्चों की मौत ने राजस्थान की सरकार में हाहाकार मचाकर उसे कटघरे में खड़ा कर दिया है तो वहीं, सीएम योगी के गेम चेंजर प्लान ने बीआरडी में चमत्कार कर दिया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब गोरखपुर के सांसद रहे तो वो बच्चों की असमय हो रही मौतों को लेकर काफी चिंतित भी रहे। तमाम आंदोलनों और धरना-प्रदर्शन के बावजूद भी जब ये सिलसिला नहीं थमा तो उन्होंने संसद तक में इस मामले को उठाया। लेकिन, हुआ कुछ नहीं। जब साल 2017 में 19 मार्च को उन्होंने भाजपा की यूपी में सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो इस बीमारी को जड़ से खत्म करने की ठानी। लेकिन, इसके बावजूद 10-11 अगस्त 2017 की रात ऑक्सीजन की कमी के कारण बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौत ने उनके सरकार की खूब किरकिरी की।
यही नहीं उस साल जेई और एईएस से होने वाले बच्चों की मौतों का आंकड़ा भी बढ़ गया। इससे चिचिंत योगी आदित्यनाथ ने गेम चेंजर प्लान बनाया। उन्होंने प्राथमिक स्कूल से लेकर कॉलेज ओर यूनिवर्सिटी और शहर से लेकर गांव तक गोरखपुर और बस्ती मंडल के साथ प्रभावित जिलों में अभियान चलवाया।
इंसेफेलाइटिस जागरूकता कार्यक्रम को सफल बनाने लिए योगी आदित्यनाथ ने सभी विभागों को लगा दिया। इसके बाद शुरू हुए दस्तक अभियान ने रैलियों और नाटक के माध्यम से लोगों को साफ-सफाई के साथ मच्छरों से बचने और शुद्ध जल के प्रयोग के लिए जागरूक किया जाने लगा। सीएम योगी आदित्यनाथ के इस गेम चेंजर प्लान ने ऐसा चमत्कार किया कि बीआरडी के साथ गोरखपुर और आसपास के जिलों में भी इसका व्यापाक असर दिखाई दिया।
एबीपी गंगा की टीम ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज के एसआईसी डा. जीसी श्रीवास्तव से बात की। उन्होंने बताया कि साल 2019 में जेई से 13 मौतें बीआरडी मेडिकल कालेज में हुईं, जबकि 2018 में 19 और 2017 में 76 बच्चों की मौत हुई थी। उन्होंने बताया कि बिहार से 2019 में 66 मरीज जेई-एईएस का इलाज कराने लिए आए थे।
दस्तक सहित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा चलाए गए तमाम अभियानों ने चमत्कारिक रूप से काम किया है। उन्होंने बताया कि एएफआई दूसरी बीमारी है जब बुखार के साथ दिमाग पर असर होता है तो एईएस डिटेक्ट किए जाते हैं। जेई और एईएस में झटका आ भी सकता है और नहीं भी आ सकता है। एनआईवी से रिपोर्ट के आधार पर डिटेक्ट कर पाते हैं।
डा. जीसी उपाध्याय ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में बेड भी कम थे। पिछले वर्ष एक 79 बेड का एचडीयू और आईसीयू बना है। बेड की समस्या नहीं रही है। ऑक्सीजन भी प्रचुर मात्रा में है। एक टैंक और लगने के कारण अब ऑक्सीजन की कमी नहीं होगी। साल 2017 में अगस्त माह में 409 केस एईएस के डिटेक्ट हुए थे। 80 की डेथ हुई थीय़ साल 2018 में 116 मरीज भर्ती हुए थे इसमें 6 की डेथ हुई थी। 2019 में 108 मरीज भर्ती हुए थे जिसमें चार की डेथ हुई थी। वहीं जेई के अगस्त माह में भी भर्ती हुए मरीजों की संख्या और मरने वालों की संख्या में भी काफी कमी आई है।