UP News: गोरखपुर की गोल्डन गर्ल आदित्या यादव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों सम्मान पाकर काफी खुश हैं. योगिराज बाबा गम्भीरनाथ प्रेक्षागृह में देश-दुनिया में प्रतिभा का जौहर दिखानेवाले दिव्यांगजनों का सम्मान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों हुआ. बैडमिंटन चैंपियनशिप में भारत को गोल्ड समेत कई पदक दिलानेवाली आदित्या यादव प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुकी हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने खेल के क्षेत्र असाधारण योगदान पर गोल्डन गर्ल को सम्मान दिया था. बैंडमिटन के ओपेन वर्ग में भी गोल्डन गर्ल भारत का झंडा बुलंद कर रही हैं. महज 14 साल की उम्र में आदित्या यादव को कई पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं.
गोरखपुर की बेटी सीएम योगी के हाथों सम्मानित
भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु भी गोल्डन गर्ल के खेल की तारीफ कर चुकी हैं. बैडमिंटन की कोर्ट पर आदित्या की खेल प्रतिभा देश और दुनिया में गूंज रही है. आदित्या के पिता दिग्विजयनाथ यादव सैयद मोदी रेलवे स्टेडियम में बैडमिंटन के कोच भी हैं. बैडमिंटन कोच पिता आदित्या की प्रतिभा को चमकाने के लिए मेहनत करते हैं. दिग्विजयनाथ यादव आदित्या से इशारे में मुख्यमंत्री के हाथों सम्मानित होने का सवाल पूछते हैं. बेटी सवाल के जवाब में धीरे से मुस्कुरा देती हैं.
गोल्डन गर्ल के नाम से मशहूर हैं आदित्या यादव
खुश होने का हाथों से इशारा भी करती हैं. दिग्विजयनाथ यादव बेटी को नार्मल कैटेगरी में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने की ट्रेनिंग दे रहे हैं. खेल प्रतिभा में बेटी को मिले सम्मान से पिता गदगद हैं. राष्ट्रपति के हाथों प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार मिला. प्रधानमंत्री ने आवास पर बुलाकर बेटी का हौसला बढ़ाया. बेटी के सम्मान पर पिता भावुक हैं. स्वर्गीय सैयद मोदी के तीन चार दशक बाद पिता को लगता है कि बेटी बैडमिंटन में मेडल लेने वाली खिलाड़ी हैं. अब तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुल 11 मेडल और पुरस्कार प्राप्त कर चुकी बेटी के लिए पिता उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं. पिता की चाहत है कि बेटी नार्मल कैटेगरी में ओलंपिक पदक जीतकर भारत का नाम रोशन करे.
खेल में उपलब्धियों की वजह से नाम किया रोशन
बच्चों के लिए आदित्या प्रेरणास्रोत बन सके. साल 2022 में आदित्या ने उत्कृष्ट खेल का प्रदर्शन किया था. आदित्या की उम्र 12 साल थी. ब्राजील डेफ ओलिंपिक के निर्णायक मैच में जापान को हराकर आदित्या गोल्ड भारत की झोली में दिलाया था. बैडमिंटन चैंपियनशिप में भारत ने पहली बार गोल्ड मेडल जीता. आदित्या की पैदाइश के तीन साल बाद परिजनों को पता चला कि बेटी दिव्यांग है. बेटी सुनने-बोलने की क्षमता नहीं रखती है. परिवार की चिंता बढ़ना स्वाभाविक था.
पिता दिग्विजय को बेटी के भविष्य की चिंता सताती थी. बचपन में बेटी के रैकेट पकड़ने से खेल प्रतिभा का अंदाजा हो गया. पांच साल की उम्र में आदित्या खेलने जाने लगी. एक साल बाद आदित्या बड़ी उम्र के खिलाड़ियों को मात देनी शुरू कर दी. खेल स्पर्धा में बेटी जीतकर आती थी. इसलिए छोटी सी उम्र में आदित्या का नाम गोल्डेन शटल गर्ल पड़ गया. दस साल की उम्र में बेटी ने चीन में खेल प्रतिभा का लोहा मनवाया था. चीन में वर्ल्ड चैंपियनशिप का आयोजन हुआ था. दिल्ली में आदित्या का खेल देखकर देश की महान बैंडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु भी दंग रह गईं थीं.
बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु भी कर चुकी हैं तारीफ
आदित्या के पिता दिग्विजय यादव एक अच्छे बैंडमिंटन खिलाड़ी और कोच भी हैं, लिहाजा पीवी सिंधु ने पिता को बेटी की खेल प्रतिभा निखारने की सलाह दी. उन्होंने दिक्कत होने पर मदद की भी पेशकश की. पीवी सिंधु ने आदित्या को बैडमिंटन के अच्छे टिप्स भी दिए थे. आदित्या यादव बैडमिंटन के प्रति जुनूनी हैं. संडे को भी प्रैक्टिस करना नहीं भूलती हैं. कोरोना काल में भी घर की दीवार पर प्रैक्टिस करना नहीं छोड़ा. फिटनेस पर भी गोल्डन गर्ल का पूरा ध्यान रहता है. पिता दिग्विजयनाथ यादव रेलवे में बैडमिंटन के कोच हैं. उन्होंने बेटी आदित्या की खेल प्रतिभा को परवान चढ़ाया है.