Gorakhpur News: विजयादशमी के पावन पर्व पर गोरखनाथ मंदिर से भव्य शोभायात्रा निकली और दशकों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सुरक्षा की दृष्टि से पहली बार बुलेटप्रूफ रथ पर सवार होकर गोरखनाथ मंदिर से भव्य शोभायात्रा में निकले. इस दौरान हजारों की संख्या में मौजूद लोगों ने उनका फूल बरसाकर स्वागत किया और वह रामलीला मैदान पहुंचे. सीएम योगी ने यहां पर प्रभु श्री राम का राजतिलक किया.


इस दौरान उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यह खुद तय करना होगा कि किसको मानव बनना है और किसको दानव बनना है. उन्होंने कहा कि गरीबों और महिलाओं पर अत्याचार करने वालों का अंत भी रावण की तरह ही होगा. इसके साथ ही सीएम योगी ने कहा कि हम सभी को एकजुट रहना होगा, संगठित रहेंगे तो सुरक्षित भी रहेंगे. देश को भी सुरक्षा प्रदान कर पाएंगे और खुद को भी सुरक्षा प्रदान करेंगे.






सीएम योगी ने कहा कि आज से 10 साल पहले किसी ने सोचा नहीं था कि अयोध्या में राम मंदिर बनेगा लेकिन हम जैसे कुछ आस्थावान लोगों को ही यह भरोसा था कि अयोध्या में जल्द ही राम मंदिर बनेगा और आज हमारा सपना पूरा हो गया. भारत का हिंदू एवं सनातन समाज कभी भी विपन्न नहीं रहा. बल, बुद्धि और वैभव में सदैव दुनिया के अंदर अग्रणी रहा. 


सीएम योगी ने दिया गुलामी के समय का उदाहरण


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुलामी के समय का उदाहरण देते हुए कहा कि संगठित रहेंगे तो सुरक्षित भी रहेंगे. काशी-अयोध्या-मथुरा का मंदिर अपवित्र क्यों हुआ, क्योंकि हम गुलाम थे. जिन कारणों से विधर्मियों और विदेशी आक्रांताओं ने जब देश के अंदर घुसकर हमें गुलामी की जंजीर में जकड़ा था, महिलाओं, बहन-बेटियों पर अत्याचार किया था तब हम संगठित नहीं थे. 


सीएम योगी ने कहा कि अगर कोई मानवता के खिलाफ कार्य करेगा, गरीबों, महिलाओं पर अत्याचार करेगा, अधर्म और असत्य के मार्ग पर चलेगा तो उसका पुतला भी ऐसे ही जलाया जाएगा जैसे रावण के पुतले जलाए जाते हैं. राजनीतिक स्वतंत्रता, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्वतंत्रता की भी वाहक होती है.  


जाति-मजहब देश से बढ़कर नहीं हो सकता- सीएम योगी


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जाति-धर्म, ऊंच-नीच छुआछूत के नाम पर जो बांटने काम उस काल में हुआ था उसके कुछ अंश यत्र-तत्र इधर-उधर आज भी बिखरे हुए हैं. जो लोगों को बांटने का काम कर रहे हैं, ऐसी शक्तियों का समूल नाश हो जाएगा. पर्व और त्योहार हमें अपने अपने विरासत के साथ भी जोड़ते हैं. हमारा धर्म, जाति-मजहब देश से बढ़कर नहीं हो सकता है, पहले देश और राष्ट्र उसके बाद कुछ और होगा.


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