यूपी: भ्रष्टाचार और लापरवाही पर फिर चला सीएम योगी का हंटर, दो उपायुक्त निलंबित
सरकारी काम में उदासीनता और अनियमितता के आरोपों में बहराइच और वाराणसी के उपायुक्त (स्वत: रोजगार) को निलंबित करने का आदेश दे दिया.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार और लापरवाही के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए बुधवार को फिर एक बार हंटर चलाया और सरकारी काम में उदासीनता और अनियमितता के आरोपों में बहराइच और वाराणसी के उपायुक्त (स्वत: रोजगार) को निलंबित करने का आदेश दे दिया. दोनों ही अधिकारियों के खिलाफ अब विभागीय जांच होगी. मुख्यमंत्री कार्यालय ने बुधवार को ट्वीट कर यह जानकारी दी.
बहराइच उपायुक्त सुरेंद्र गुप्ता पर कईं गंभीर आरोप
वर्तमान में उपायुक्त (स्वत: रोजगार) के पद पर बहराइच में पोस्टेड सुरेन्द्र कुमार गुप्ता पर आरोप है कि जनपद हारदोई के ब्लॉक अहिरोरी में खंड विकास अधिकारी रहते हुए उन्होनें ग्राम खाड़ाखेड़ा के आंगनबाड़ी केन्द्र के स्थलीय विवाद होने के स्थिति में न तो कोई कार्य कराया और न ही किसी फर्म से किसी भी निर्माण सामग्री की आपूर्ति ली. यही नहीं कोई मापाकंन भी नहीं कराया गया. बावजूद इसके भुगतान किया गया. इस प्रकार गुप्ता ने न केवल प्रक्रियात्मक त्रुटि की, बल्कि शासकीय धन का अनियमित तरीके से भुगतान करने की गड़बड़ी भी की.
अनुशासनिक कार्यवाही के भी आदेश मुख्यमंत्री ने इसे घोर अनुशासनहीनता, लापरवाही और स्वेच्छाचारिता माना है. निलंबन का आदेश देते हुए मुख्यमंत्री ने आरोपी अधिकारी के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही के आदेश भी दिए हैं. संयुक्त विकास आयुक्त, लखनऊ मंडल, लखनऊ को मामले में जांच अधिकारी बनाया गया है. निलंबन अवधि में यह कार्यालय आयुक्त, ग्राम्य विकास, लखनऊ से संबद्ध रहेंगे.
वाराणसी उपायुक्त पर अधीनस्थों को धमकाने का आरोप इसी तरह वाराणसी के उपायुक्त (स्वत: रोजगार) सुरेश चन्द्र केसरवानी, पर राज्य ग्रामीण आजिविका मिशन के कार्यों में शिथिलता बरतने का आरोप है. केसरवानी के खिलाफ अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल तथा उन्हें धमकाने की शिकायत भी मिली है. बीते दिनों मुख्य विकास अधिकारी, वाराणसी ने इनके कार्यालय का निरीक्षण किया था, जहां पत्रावलियों के निस्तारण तथा वित्तीय अनियमितता संबंधी शिकायतें सामने आई थीं.
केसरवानी की उदासीनता के कारण दिसम्बर 2019 तक के लक्ष्य के सापेक्ष मासिक प्रगति की पूर्ति नहीं की जा सकी. इसके अलावा इन्हें जून 2019 में विकास खंड हरहुआ का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था, जिसके निर्वहन में भी केसरवानी ने लगातार उदासीनता बनाए रखी. मुख्यमंत्री ने अब इन्हें निलंबित कर इनके खिलाफ विभागीय जांच कराने का आदेश दिया है.
ये भी पढ़ें
भारत-नेपाल सीमा पर वनकर्मियों और लकड़ी तस्करों में फायरिंग, वनकर्मी को गोली मारकर नेपाल भागे तस्कर