यूपी कॉलेज पर वक्फ बोर्ड की दावेदारी से छात्रों में नाराजगी, विरोध की आशंका के बीच पुलिस फोर्स तैनात
Udai Pratap College Controversy: वाराणसी स्थित उदय प्रताप कॉलेज की भूमि को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. वक्फ बोर्ड के जरिये साल 2018 में भेजे गए नोटिस का खुलासा होने पर छात्रों में काफी नाराजगी है.
Varanasi News Today: वाराणसी स्थित 115 साल पुराने उदय प्रताप कॉलेज हालिया दिनों वक्फ बोर्ड ने अपनी संपत्ति घोषित करते हुए नोटिस जारी करने की खबर सामने आई थी. इस घटना के बाद उदय प्रताप कॉलेज के स्टॉफ और छात्रों में काफी नाराजगी है. बीते शुक्रवार (29 नवंबर) को छात्रों के एक दल ने कॉलेज परिसर में स्थित मस्जिद में नमाज के लिए आने वाले लोगों की संख्या को सीमित करने की मांग की थी.
उदय प्रताप कॉलेज में छात्रों की नाराजगी के और विरोध प्रदर्शन की आशंका के मद्देनजर मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात किया गया है. सोमवार (2 दिसंबर) को भी कॉलेज नियत समय के अनुसार खुला. इस दिन दौरान छात्र कॉलेज आते जाते हुए दिखाई पड़ रहे हैं, लेकिन छात्रों के विरोध प्रदर्शन के संकेत मिलने पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान वक्फ बिल संशोधन की संभावनाओं के बीच वाराणासी स्थित सौ साल से भी अधिक पुराने उदय प्रताप कॉलेज को नोटिस जारी किया गया था, जिसमें कॉलेज को वक्फ बोर्ड की संपत्ति होने का दावा किया गया है.
उदय प्रताप कॉलेज की जमीन पर मालिकाना हक जताते हुए इसे सुन्नी वक्फ बोर्ड से अटैच होने की बात कही गई है. वक्फ बोर्ड की इस दावे के बाद बवाल खड़ा हो गया. उदय प्रताप कॉलेज के छात्रों और स्टाफ ने इस पर आपत्ति जताई है.
15 हजार छात्र हैं रजिस्टर्ड
वाराणसी के भोजूबीर क्षेत्र में स्थित उदय प्रताप कॉलेज की स्थापना महाराजा राजर्षि सिंह जू देव ने 1909 में की थी. यहां के परिसर में उदय प्रताप इंटर कॉलेज, रानी मुरार बालिका इंटर कॉलेज, उदय प्रताप पब्लिक स्कूल, मैनेजमेंट कॉलेज साथ ही उदय प्रताप स्वायत्तशासी कॉलेज संचालित किया जाता है.
इन सभी संस्थानों को मिलाकर यहां पर कुल 15 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं. कालेज परिसर में घुसते ही तकरीबन 100 मीटर की दूरी पर एक मस्जिद स्थित है. इसमें आसपास के लोग नमाज अदा करने जाते हैं.
2018 में वक्फ ने भेजा था नोटिस
साल 2018 में भोजूबीर के रहने वाले एक व्यक्ति ने लखनऊ स्थित वक्फ बोर्ड कार्यालय को एक आवेदन दिया था, जिसमें उन्होंने कॉलेज की संपत्ति को वक्फ की प्रॉपर्टी बताया था. इस आवेदन के आधार पर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 2018 में कॉलेज प्रबंधन को एक नोटिस जारी किया था.
इस नोटिस का जवाब देते हुए उदय प्रताप कालेज प्रबंधन के जरिये कहा गया कि मस्जिद अवैध तरीके से बनी है. मस्जिद के कोई कागजात नहीं है, जबकि कॉलेज की संपत्ति इंडाउमेंट ट्रस्ट की है जो जमीन न खरीदी जा सकती है न ही बेची जा सकती है. विवादों के बीच मामला एक बार फिर सुर्खियों में है.
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