बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में भले ही सरकारी आकड़ों में अब तक 221 लोगों की कोरोना से मौत हुई हो लेकिन बरेली में पिछले महीने कोरोना से मरने वाले करीब 1000 से अधिक लोगों का अंतिम संस्कार हुआ है. एबीपी गंगा की टीम ने शहर के 3 बड़े श्मसान भूमि के कर्मचारियों से बात की तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए है. 


शवों जलाने की जगह नहीं 
बरेली में 3 श्मसान भूमि हैं. जिसमें सिटी श्मसान भूमि, संजय नगर श्मशान भूमि और सेटेलाइट स्थित गुलाबबाड़ी श्मशान भूमि पर एबीपी गंगा की टीम ने पड़ताल की. पड़ताल में सामने आया कि श्मशान भूमि पर इन दिनों शव जलाने तक की जगह मौजूद नहीं है. 


परेशान हो रहे हैं लोग 
संजय नगर श्मशान भूमि के कर्मचारी भगवान स्वरूप ने बताया कि पहले रोजाना 7 से 8 शव आते थे और अब एक दिन में 40 से 50 तक शव आ रहे हैं. जिसमें ज्यादातर कोरोना से मरने वालों के शव होते हैं. कर्मचारी का कहना है कि इतने ज्यादा शव आने से अंतिम संस्कार करने में भी लोगों को काफी दिक्कत हो रही है. लकड़ी के दाम भी बढ़ गए हैं. दूसरे दिन ही अस्थियां हटा दी जा रही हैं. 


कोविड प्रोटोकॉल का होता है पालन 
इसी तरह का हाल गुलाबबाड़ी श्मशान भूमि का है. श्मशान भूमि के कर्मचारी सोमपाल ने बताया कि वहां महीने में 10 से 15 शव आते थे लेकिन अब यहां पर रोजाना 10 से 15 शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है. इस दौरान कोविड प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन किया जाता है. 


अंतिम संस्कार के लिए लड़ाई झगड़े होते हैं
कुछ ऐसा ही हाल शहर के सबसे बड़े सिटी श्मशान भूमि का है. यहां अप्रैल महीने में करीब 400 शवों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाल के तहत हुआ है. हालात ये हैं कि आये दिन यहां अंतिम संस्कार के लिए लड़ाई झगड़े होते हैं. यहां पार्किंग तक में लोग अंतिम संस्कार कर रहे हैं. 


बढ़ी है शवों की संख्या 
यही हालात रामगंगा घाट पर भी देखने को मिले. जहां पर रोजाना 30 से 40 शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है. जबकि, आम दिनों में यहां पर 5 से 7 शवों का ही अंतिम संस्कार होता था. 


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