नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में पहली बार आजाद भारत के बाद किसी महिला को फांसी दी जाएगी. मथुरा स्थित उत्तर प्रदेश के इकलौते फांसी घर में अमरोहा की रहने वाली शबनम को फांसी पर लटकाया जाएगा. इसके लिए मथुरा जेल में तैयारियां भी शुरू हो गई हैं. हालांकि फांसी कब होगी, इसकी अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है. इस बीच शबनम के बेटे ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से उसकी मां को माफ करने की अपील की है. राष्ट्रपति ने 15 फरवरी को उसकी दया याचिका खारिज कर दी थी.


सुप्रीम कोर्ट से खारिज,  राष्ट्रपति ने भी बरकरार रखी फांसी की सजा


सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद अब हत्या के आरोप में बंद शबनम की फांसी की सजा को राष्ट्रपति ने भी बरकरार रखा है, ऐसे में अब उसका फांसी पर लटकना तय हो गया है. मथुरा जेल में महिला फांसीघर में शबनम की फांसी की तैयारी भी शुरू हो गई है. डेथ वारंट जारी होते ही शबनम को फांसी दे दी जाएगी. निर्भया के दोषियों को फंदे से लटकाने वाले पवन जल्लाद अब तक दो बार फांसी घर का निरीक्षण भी कर चुके हैं.


शबनम के बेटे ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा है कि मेरी राष्ट्रपति जी से अपील है कि मेरी मां को फांसी न दें, मैं उनसे बहुत प्यार करता हूं.  दरअसल 13 साल पहले अमरोहा की रहने वाली शबनम ने प्रेमी के साथ मिलकर परिवार के 7 लोगों की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी. शबनम अभी रामपुर जेल में बंद है, जबकि उसका प्रेमी आगरा जेल में है.


क्या हुआ था 13 साल पहले?


गौरतलब है कि अमरोहा जिले के हसनपुर क्षेत्र के गांव बावनखेड़ी के शिक्षक शौकत अली की इकलौती बेटी शबनम के सलीम के साथ प्रेम संबंध थे. सूफी परिवार की शबनम ने अंग्रेजी और भूगोल में एमए किया था. उसके परिवार के पास काफी जमीन थी. वहीं सलीम पांचवीं फेल था और पेशे से एक मजदूर था. इसलिए दोनों के संबंधों को लेकर परिजन विरोध कर रहे थे.


शबनम ने सात लोगों को कुल्हाड़ी से काटकर मार डाला था


शबनम ने 14 अप्रैल, 2008 की रात अपने प्रेमी के साथ मिलकर ऐसा खूनी खेल खेला कि सुनकर पूरा देश हिल गया था. शबनम ने अपने माता-पिता और 10 माह के भतीजे समेत परिवार के सात लोगों को पहले बेहोश करने की दवा खिलाई. बाद में सभी को कुल्हाड़ी से काटकर मार डाला था.


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