नोएडा. देश को नई शिक्षा नीति को लेकर पर खास चर्चा हुई. एबीपी गंगा ने खास कार्यक्रम शिक्षा e-अधिवेशन का आयोजन किया. इस कार्यक्रम हम जानेंगे कि इस नई शिक्षा नीति से शिक्षा में कितना सुधार होगा? छात्रों को कितना फायदा मिलेगा? परीक्षा प्रणाली में कितना सुधार होगा? इन सब बातों को लेकर एबीपी गंगा ने यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा से बातचीत की.
"पहले की शिक्षा नीति में जमीनी तौर पर परिवर्तन नहीं"
डिप्टी सीएम ने कहा कि देश में साल 1968 में पहली और दूसरी 1986 में लागू हुई. दुर्भाग्य ये रहा कि दोनों बार शिक्षा का समावेशी रूप नहीं हो पाया. इसमें परिवर्तन भी जमीनी तौर पर नहीं हो पाया. मुझे खुशी है कि 34 साल बाद देश के पीएम के मार्गदर्शन में मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने शिक्षा का प्रारुप शिक्षा नीति के रूप में रखा. इसमें युवाओं पर ज्यादा फोकस किया गया है. क्योंकि अगले कुछ सालों में सबसे अधिक युवाओं वाला देश भारत होगा. इन युवाओ को जितनी उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मिलेगी उतना भारत के निर्माण में सगायता मिलेगी.
नई शिक्षा नीति में रोजगार पर फोकस
आने वाला समय मशीनीकरण का होगा. कुशल श्रमिक या कामगार की महत्वता कम होने वाली है. शिक्षा का ऐसा स्वरूप जो रोजगार प्रदान करने वाला हो, उसकी आवश्यकता पड़ेगी. शिक्षकों की भी ट्रेनिंग किस तरह से हो ये बातें हमें जोड़नी होंगी. नई शिक्षा नीति में इन बातों का ध्यान रखा गया है. हमें शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा को लाना है और गुणवत्ता के लिए हमें शिक्षक कों केंद्र बिंदू बनाना है.
दिनेश शर्मा ने ये भी कहा कि इस नीति में इस बात का ध्यान दिया गया है कि सर्वसामान्य शिक्षा को हम कैसे उपलब्ध कराएं. साथ ही ग्रामीण और शहरों की बीच की खाई को कैसे कम किया जाए. इसका ये ही उद्देशय है.
"धन का अभाव था शिक्षा के विस्तार में बाधक"
डिप्टी सीएम ने कहा कि पहले धन का अभाव शिक्षा के विस्तार में बाधक था. अब जीडीपी का 6 प्रतिशत एक बड़ी घोषणा है. इससे नए शिक्षण इक्विपमेंट, शिक्षकों के प्रशिक्षण और करीब 2.5 करोड़ बच्चे जो शिक्षा से वंचित हैं, उनको शिक्षा प्रदान करने में ये पैसा खर्च किया जाएगा.
विपक्ष को दिया जवाब
दिनेश शर्मा ने शिक्षा नीति पर सवाल उठाने वाले विपक्ष को जवाब भी दिया. उन्होंने कहा कि इस नीति का शिक्षा पर सकारात्मक बदलाव ही होगा ना कि विपक्ष की नकारात्मक सोच के अनुसार बदलाव होगा. उन्होंने कहा कि स्कूल रेगुलेरिटी अथॉरिटी और हायर एजुकेशन रेगुलेरिटी अथॉरिटी के गठन करने का साथ-साथ उच्च शिक्षा आयोग का गठन होगा, जिसके अध्यक्ष पीएम होंगे. राज्य शिक्षा आयोग के अध्यक्ष सीएम होंगे. इन सभी अथॉरिटी के गठन होने के बाद इसकी व्यापकता बढ़ेगी, इसमें आलोचना की कोई बात नहीं है.
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