प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। नागरिकता संशोधन बिल अभी भले ही राज्यसभा में पेश न हुआ हो लेकिन यूपी सरकार ने सूबे में अवैध रूप से रह रहे लोगों को बाहर करने के लिए कमर कस ली है। यूपी में इसकी शुरुआत संगम नगरी प्रयागराज से की जानी है।


सूबे के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का दावा है कि अकेले प्रयागराज में एक लाख से ज़्यादा लोग अवैध रूप से रह रहे हैं। इनमें तमाम लोग बांग्लादेश-पाकिस्तान व अन्य देशों से आए हुए हैं और ज़्यादातर ने यहां के डाक्यूमेंट्स भी हासिल कर रखे हैं। डिप्टी सीएम का कहना है कि इनके कागजात निरस्त कर बेदखल किया जाएगा।



केशव मौर्य के इस बयान पर न सिर्फ कोहराम मच गया है, बल्कि इस पर सियासत भी शुरू हो गई है। डिप्टी सीएम के एलान से तमाम लोग आशंकित हो गए हैं। शक के घेरे में आए लोगों का कहना है कि सरकार का यह फैसला मनमाना है और वह इसे कतई मानने को तैयार नहीं हैं। दूसरी तरफ विपक्षी पार्टियों ने इसे सियासी बयान बताते हुए कहा है कि सरकार ध्रुवीकरण करने के लिए एक तबके के लोगों को डराने की कोशिश कर रही है।



डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का दावा है कि केंद्र सरकार की मंशा के मुताबिक समूचे यूपी में अवैध रूप से रह रहे लोगों की पहचान की जा रही है। इसके तहत अकेले प्रयागराज में एक लाख से ज़्यादा लोग चिन्हित किये गए हैं। उनका कहना है कि इनमे से ज़्यादातर लोग बांग्लादेश और पाकिस्तान के रहने वाले हैं और उन्होंने आधार कार्ड, वोटर कार्ड व अन्य कागजात भी बनवा लिये हैं। इन कागजातों को निरस्त कराया जाएगा और इनकी बेदखली की कार्रवाई की जाएगी।


डिप्टी सीएम का कहना है कि विपक्षी पार्टियां इस मामले में बेवजह विरोध कर रही हैं, लेकिन सरकार उनके विरोध और एतराज को नजरअंदाज कर कार्रवाई जारी रखी जाएगी। उनके मुताबिक ये एक लाख लोग प्रयागराज के नागरिकों का हक मार रहे हैं। प्रयागराज के साथ ही यूपी के दूसरे हिस्सों में भी यह अभियान चलाया जाएगा।



डिप्टी सीएम केशव के इस एलान के बाद से हड़कंप मच गया है। अभी भले ही यह साफ नहीं हुआ है कि वह एक लाख लोग कौन हैं, लेकिन तमाम लोग खुद पर गाज गिरने की आशंका से डर गए हैं। आजादी के बाद पूर्वी पाकिस्तान से आकर शहर की दरभंगा कॉलोनी में रहने वाले शरणार्थियों के वंशज हों या फिर झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोग या फिर पाकिस्तान व बांग्लादेश में रहकर आए हुए लोग। हर किसी को इस बात की आशंका है कि एक लाख की लम्बी सूची में उनका नाम भी हो सकता है।



ज़्यादातर लोगों के पास आधार कार्ड, वोटर कार्ड व दूसरे अन्य दस्तावेज हैं। तमाम लोग ऐसे हैं, जिन्होंने भारत में ही जन्म लिया है। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय नियमों के मुताबिक वह खुद ही भारत के नागरिक कहे जाएंगे। शक के दायरे में आए तमाम लोग खुलकर इसका विरोध करने लगे हैं। उनका कहना है कि यह फैसला मनमाने तरीके से लिया जा रहा है, जिसे वह कतई मानने को तैयार नहीं हैं।



कांग्रेस पार्टी का कहना है कि सरकार लोगों को डराकर वोटों का ध्रुवीकरण करने की सियासत कर रही है तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी भी इसे गलत मान रही है। कांग्रेस नेता अभय अवस्थी का कहना है कि इससे बीजेपी सरकार का असली चेहरा उजागर हो गया है।


सपा नेता व वरिष्ठ पार्षद आनंद घिल्डियाल के मुताबिक अगर लोगों को बेदखल किया जाता है तो वह लोग इसका विरोध करेंगे। वैसे यह कहना गलत नहीं होगा कि घुसपैठ का यह मुद्दा जमीनी कम और सियासी ज़्यादा है। इसके जरिये दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए जमीन तैयार की जा रही है।