UP Divorce News: कहते हैं बुढ़ापे में इंसान को हमसफर की सबसे ज्यादा जरुरत होती है. जवानी में जहां हमसफर की जरुरत यौन वेग को शांत करने और अपनी नस्ल को आगे बढ़ाने के लिए होती है, तो वहीं बुढ़ापे में एक स्त्री पुरुष तन्हाई को दूर करने और एक दूसरे की बच्चों की तरह केयर करने में महती भूमिका अदा करते हैं. वहीं आपको ये जान हैरानी होगी, उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बुजुर्गों में तलाक (Divorce) लेने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. 


उत्तर प्रेदश की राजधानी लखनऊ में बुजुर्गों के जरिये तलाक के लिए सबसे अधिक अर्जियां दी गई हैं. लखनऊ के पारिवारिक न्यायलय के रिकार्ड के मुताबिक साल 2022 में 50 से 70 साल की उम्र के बीच के 465 से अधिक लोगों ने तलाक की अर्जियां दायर की हैं. जिनमें 50 से 60 साल की उम्र के 400 लोगों ने तो वहीं 60 से 70 साल की उम्र के बीच के 65 लोगों ने तलाक के लिए अर्जियां दायर की हैं. वहीं नए साल में बीते 9 जनवरी तक लखनऊ में तलाक के कुल 20 मामले आए हैं, जिनमें 4 लोग की उम्र 60 साल से अधिक है.


13 बुजुर्गों ने अलीगढ़ में भी दायर की तलाक की अर्जी


अलीगढ़ में बीते एक साल के दौरान 50 साल से अधिक उम्र के लोगों में 13 दंपत्तियों ने तलाक की अर्जी दाखिल की है. शहर के सासना गेट के रहने वाले 75 साल के रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी ने 72 साल की पत्नी से तलाक लेने के लिए अर्जी दायर की है. इस मामले में पति-पत्नी एक ही घर के दो अलग-अलग फ्लोर पर रहते हैं. पति और पत्नी में बेटे को लेकर किसी बात पर विवाद हो गया था. इसी तरह अलीगढ़ के हरदुआगंज की रहने वाली एक बुजुर्ग महिला ने शादी के 43 साल बाद पति से अलग होने के लिए तलाक मांगा है. 


आगरा में पेंशन को लेकर तलाक मांग रहे दंपत्ति


ताज नगरी आगरा को मोहब्बत की नगरी कहते हैं, लेकिन आगरा में दो बुजुर्ग दंपति इस बात पर तलाक लेने के लिए अड़ गए कि वेतन और पेंशन कितना मिलता है. ये मामला अप्रैल 2022 का है, जब शादी के 45 साल बाद दंपति में सैलरी कितनी मिल रही थी और पेंशन कितनी मिल रही जैसी मामूली बात को लेकर विवाद हो गया. अब तलाक का मामला कोर्ट में है. 


सीएम के शहर में भी बुजुर्गों में बढ़ रहा तलाक का रुझान


गोरखपुर की पारिवारिक न्यायलय में बीते साल 2022 में 646 लोगों ने तलाक के लिए अर्जियां दायर कीं, जिनमें से 50 साल की उम्र के 386 लोगों ने तलाक के न्यायलय का दरवाजा खटखटाया. मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक 50 फीसदी से अधिक तलाक के मामलों को देखकर पारिवारिक न्यायलय के न्यायधीश भी हैरान हैं.


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