UP Assembly Election 2022: बीजेपी छोड़ने वाले दारा सिंह चौहान ने राजनीतिक जीवन का सफर आजमगढ़ के डीएवी कॉलेज से छात्र नेता के रूप में शुरू किया. वैसे तो दारा सिंह चौहान ने कई राजनीतिक दलों में रहकर राजनीतिक सुख हासिल किया. योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद जिस तरह से उनकी नजदीकियां सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ देखी जा रही हैं इससे यह बात साफ है कि वे जल्दी समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर सकते हैं अगला चुनाव कहां से लड़ेंगे यह बात साफ नहीं है. दारा सिंह चौहान के बीजेपी से इस्तीफा देने के बाद आजमगढ़ में मिली जुली प्रतिक्रिया है. कई लोग गुस्से में हैं. 


कुछ लोग पक्ष में तो कुछ खिलाफ
स्थानीय लोग बातचीत में कहते हैं कि अवसरवादी नेताओं को सबक सिखाना चाहिए. चुनाव आने पर यह नेता अपने फायदे के लिए दल बदलते हैं. ऐसे में इन नेताओं को नकार देना चाहिए. ये नेता जिस दिल में जाते हैं उस दल को भी यह सोचना चाहिए कि ऐसे नेताओं को टिकट ना दिया जाए क्योंकि इनको टिकट देने से पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटता है. वहीं कुछ कुछ लोग दारा सिंह चौहान के इस कदम को सही कदम बताते हैं. उनका कहना है कि दारा सिंह चौहान गलत दल के साथ जुड़ गए थे अब उन्होंने भूल सुधार कर लिया. बता दें कि दारा सिंह चौहान मूल रूप से आजमगढ़ सदर विधानसभा क्षेत्र के गोलवारा गांव के रहने वाले है.


1 साल से लग रही थी अटकलें
योगी सरकार ने भले ही दारा सिंह चौहान को कैबिनेट में जगह दी थी लेकिन करीब 1 साल से वह राजनीतिक रूप से भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय नहीं थे. कुछ दिन पहले घोसी में अमित शाह के आने का कार्यक्रम था लेकिन उस कार्यक्रम की तैयारियों में दारा सिंह चौहान कहीं नजर नहीं आ रहे थे. जिससे पहले से लग रही अटकलों को बल मिल रहा था कि वे बीजेपी छोड़ सकते हैं. वैसे तो वे 6 दिसंबर को जिले के सगड़ी विधानसभा में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही कार्यक्रम में आए थे. बीजेपी नेताओं का कहना है कि जिले और मंडल में होने वाले  कार्यक्रमों में मंत्री की सहभागिता नहीं थी.


कई दलों में रह चुके हैं दारा
दारा सिंह चौहान को दल बदलने में माहिर माना जाता है. डीएवी पीजी कॉलेज, आजमगढ़ से राजनीतिक सफर की शुरूआत के बाद वे काफी दिनों तक कांग्रेस संगठन में बतौर पदाधिकारी रहे. 1996 में सपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने उन्हें राज्यसभा भेजा था. 2000 में कार्यकाल पूरा होने पर फिर 2000 से 2006 तक राज्यसभा में सपा का प्रतिनिधित्व किया. इसके बाद वे बसपा में शामिल हो गए. बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें घोसी लोकसभा सीट से 2009 में चुनाव लड़ाया. जीतकर वे पहली बार लोकसभा सदस्य बने. 


2014 में फिर बसपा के टिकट पर लोकसभा के लिए मैदान में उतरे लेकिन बीजेपी के हरिनारायण राजभर उन्हें शिकस्त दी. 2014 के बाद बदले समीकरण के चलते उन्होंने 2015 में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली. 2017 के विधानसभा चुनाव में वे बीजेपी के टिकट पर मऊ की मधुवन सीट से निर्वाचित हुए और योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बने.


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