UP Election 2022: बरेली से यूपी को पहला सीएम देने वाली कांग्रेस 1985 के बाद से क्यों नहीं खोल सकी खाता, जानें
पंडित गोविंद बल्लभ पंत बरेली से चुनाव लड़े थे और संयुक्त प्रान्त यूपी के पहले मुख्यमंत्री चुने गए थे. 1985 के बाद से कांग्रेस हाशिये पर चली गई और बरेली में आज तक अपना खाता नहीं खोल सकी है.
![UP Election 2022: बरेली से यूपी को पहला सीएम देने वाली कांग्रेस 1985 के बाद से क्यों नहीं खोल सकी खाता, जानें UP Election 2022 Bareilly Congress Pandit Govind Ballabh Pant first CM of UP Know why Congress not win since 1985 ANN UP Election 2022: बरेली से यूपी को पहला सीएम देने वाली कांग्रेस 1985 के बाद से क्यों नहीं खोल सकी खाता, जानें](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/01/13/d9b5594705279833f94b2caa3db13ce4_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश का बरेली सियासतदानों के लिए भी बहुत खास रहा है. देश आजाद होने के बाद जब उत्तर प्रदेश में पहला विधानसभा चुनाव हुआ था तो पंडित गोविंद बल्लभ पंत बरेली से चुनाव लड़े थे और आजाद भारत में पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में संयुक्त प्रान्त यूपी के पहले मुख्यमंत्री चुने गए थे. 1985 के बाद से कांग्रेस हाशिये पर चली गई और बरेली में आज तक अपना खाता नहीं खोल सकी है. भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने. वे काफी लोकप्रिय नेता थे. कितनी बड़ी बात है कि जिस बरेली ने कांग्रेस के नेता पर भरोसा किया और पंडित गोविंद बल्लभ पंत को चुनाव में जिताकर मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला उसी बरेली में 1985 से कांग्रेस हाशिये पर आ गई. 1985 के बाद से कांग्रेस यहां अपना खाता नहीं खोल सकी.
कांग्रेस नेता ने क्या कहा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य रामदेव पांडेय का कहना है कि पंडित गोविंद बल्लभ पंत प्रकांड विद्वान और खांटी कांग्रेसी थे. उनकी विचारधारा देशभक्ति की थी. देश में तरक्की और हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई की भावना से ओतप्रोत थे. उस समय के जो भी कांग्रेसी थे उनके अंदर यह भावना रही है. सांप्रदायिक सद्भाव, प्यार से लोगों को जोड़ना और देश को तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़ाना. 1985 के बाद से कांग्रेस हाशिये पर चली गई इस सवाल के जबाब में रामदेव पांडेय का कहना है कि यकीनन यह बात सही है और बहुत ही सोचनीय है. 1985 के बाद कांग्रेस पार्टी का ग्राफ लगातार घटा है. हमारे नेताओं की कार्यशैली के वजह से हमारा वोट प्रतिशत बढ़ा है उसमें कोई शक नहीं है.
इसपर विचार होना चाहिए-रामदेव
ऐसे समीकरण बन गए कि हम सरकार नहीं बना पाए. उसमें कोई दोराय नहीं है. इसपर विचार मंथन होना चाहिए और बड़े-बड़े पुराने कांग्रेसी विचारक को इसपर बैठकर विचार करना चाहिए. इस तरीके से हम फिर से केंद्र और राज्यों में अपनी सरकार स्थापित कर पाएंगे. कांग्रेस पार्टी को चाहिए कि वो भी ब्राह्मण लोग हैं उनको आगे बढ़ाए और यह ब्राह्मण निश्चित रूप से पंडित गोविंद बल्लभ पंत के बताए रास्ते पर चलकर कांगेस पार्टी को आगे बढ़ाएंगे. कांग्रेस नेता ने कहा कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी काफी मेहनत कर रहे हैं लेकिन भविष्य में क्या होगा यह समीकरणों पर निर्भर करता है. समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, भारतीय जनता पार्टी किस तरीके से क्या गेम करती हैं. वर्तमान दौर को देखें तो यहां स्थिति बहुत ही चिंताजनक दौर से गुजर रहा है. लोगों को तमाम संकाय, आशंकाएं हैं.
पंत से नेताओं को सबक लेनी चाहिए-सपा नेता
वरिष्ठ पत्रकार और हाल ही में राजनीति में आये सपा नेता पवन सक्सेना का कहना है कि पंडित गोविंद बल्लभ पंत अद्भुत व्यक्तित्व के स्वामी थे और उनको हिम्पुत्र भी कहा जाता था क्योंकि वो पहाड़ के थे. गोविंद बल्लभ जी 1932 में नेहरू जी के साथ बरेली जेल में बंद रहे. कांग्रेस से पंडित जी की नजदीकियां बढ़ती गईं. वह सादगी की प्रतिमूर्ति और नैतिकता की मिसाल थे. वे सरकारी आयोजन में भी चाय नाश्ता भीअपने पैसों से लेते थे. वे मानते थे यह देश का पैसा है और देश में ही लगना चाहिए. पंडित गोविंद जी का बरेली से बहुत सरोकार रहा. पंत जी से आज के दौर के राजनेताओं को भी सबक लेना चाहिए.
कांग्रेस के हाशिये पर जाने के पीछे कांग्रेस नेता- सपा नेता
सपा नेता ने कहा कि 1985 के बाद से कांग्रेस के हाशिये पर जाने के पीछे भी कांग्रेस के नेता ही हैं. जब देश आजाद होना था तो उस भारत के निर्माण की पूरी संरचना कांग्रेस के नेताओं ने बनाई थी और भारत की जनता ने उसे स्वीकार किया और लगातार कांग्रेस की सरकारें बनती रहीं. इंदिरा जी और राजीव गांधी जी के जाने के बाद देश का माहौल बदला और कांग्रेस लीडरशिप देश की जनता को ये समझाने में नाकाम रही कि आईडिया ऑफ इंडिया क्या है कि इंडिया को किस तरह से बनाया गया. भारतीय जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के जो अन्य दल है उन सब ने मिलकर लोगों के दिमाग में एक नफरत का बीज बोने का काम किया. जिसको कांग्रेस के लोग नहीं समझ सके. कांग्रेस ने अपने इतिहास पर काम नहीं किया और यह एक बड़ा कारण था लोगों के मन से कांग्रेस धीरे-धीरे बाहर होती चली गई.
पवन सक्सेना ने कहा कि, एक दौर था जब उत्तर प्रदेश में सिर्फ कांग्रेस का ही दबदबा था. 1985 तक कांग्रेस का जलवा कायम रहा. कांग्रेस की कमान जबतक पंडित जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के हाथ में थी तब तक कांग्रेस को कोई मात नहीं दे सका.1985 के बाद से बहुत कुछ बदल गया और कांग्रेस आईसीयू में चली गई. जिसके बाद क्षेत्रीय पार्टियों का जन्म हुआ और फिर उन पार्टियो की वजह से कांग्रेस का जनाधार खिसक गया.
ये भी पढ़ें:
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![शंभू भद्र](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/fdff660856ace7ff9607d036f59e82bb.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)