UP Election 2022: क्या जेल से चुनाव लड़ पाएंगे बाहुबली विधायक विजय मिश्र? बीजेपी ने चला ये सियासी दांव
संजय निषाद खुलकर उनकी पैरवी भी करते हैं. वे विजय मिश्र को अपराधी नहीं मानते. उनका दावा है कि महज मुकदमा दर्ज होने या जेल भेजे जाने से कोई अपराधी नहीं हो जाता.
UP Assembly Election 2022: भदोही के बाहुबली विधायक विजय मिश्र एक बार फिर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. कई आपराधिक मुकदमे दर्ज होने के बाद वे इन दिनों यूपी की आगरा जेल में बंद हैं. विजय मिश्र जेल से ही चुनाव लड़ेंगे. जेल से चुनाव लड़ने पर पत्नी रामलली मिश्र और दोनों बेटियां उनके प्रचार की कमान संभालेंगी. हालांकि वे किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे, यह फिलहाल बहुत साफ नहीं है. विजय मिश्र फिलहाल निषाद पार्टी से विधायक हैं. निषाद पार्टी के अध्यक्ष डा० संजय निषाद से उनके अच्छे रिश्ते अब भी कायम हैं.
ज्ञानपुर से चार बार रहे हैं विधायक
संजय निषाद खुलकर उनकी पैरवी भी करते हैं. वे विजय मिश्र को अपराधी नहीं मानते. उनका दावा है कि महज मुकदमा दर्ज होने या जेल भेजे जाने से कोई अपराधी नहीं हो जाता. हालांकि विजय मिश्र के टिकट पर बीजेपी ने पेंच फंसा रखा है. अगर संजय निषाद बीजेपी को अपनी बात मनवा पाने में नाकाम रहे तो उन्हें विजय मिश्र से दूरी बनानी पड़ेगी. ऐसी सूरत में यह देखना दिलचस्प होगा कि विजय मिश्र निषाद पार्टी छोड़कर निर्दलीय मैदान में उतरेंगे या फिर अपनी जगह पत्नी रामलली मिश्र को चुनाव लड़ाएंगे.
विजय मिश्र भदोही जिले की ज्ञानपुर सीट से चार बार विधायक रहे हैं. वह तीन बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते हैं, जबकि साल- 2017 का आखिरी चुनाव निषाद पार्टी से जीते थे. ज्ञानपुर सीट पर निषाद वोटर निर्णायक भूमिका में होते हैं.
विजय मिश्र अपराधी नहीं-संजय निषाद
विजय मिश्र इस बार भी ज्ञानपुर सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. परिवार ने जेल से ही उनका नामांकन कराने की तैयारी भी कर रखी है. निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद उन्हें इसबार भी चुनाव लड़ाना चाहते हैं. निषाद पार्टी का इस चुनाव में बीजेपी से गठबंधन है. समझौते में ज्ञानपुर की सीट इसबार भी निषाद पार्टी के ही खाते में जा रही है.
संजय निषाद का साफ कहना है कि विजय मिश्र अपराधी नहीं हैं. उन्हें किसी भी अदालत ने दोषी नहीं ठहराया है. सिर्फ मुकदमा दर्ज होने या फिर जेल भेज दिए जाने से किसी को अपराधी नहीं ठहराया जा सकता. संजय निषाद ने यह भी सफाई दी है कि उन्होंने कुछ दिनों पहले अपराधियों और तमंचा रखने वाले दागियों को टिकट नहीं देने की बात कही थी. विजय मिश्र इस कैटेगरी में नहीं आते. पार्टी की चुनाव कमेटी जल्द ही उनके टिकट पर फैसला करेगी.
बीजेपी नहीं चाहती चुनाव लड़ें
दूसरी तरफ विश्वसनीय सूत्रों ने जानकारी दी है कि बीजेपी ने विजय मिश्र के निषाद पार्टी से टिकट मिलने पर पेंच फंसा रखा है. दरअसल बीजेपी यह नहीं चाहती कि जिस विजय मिश्र के खिलाफ पचास से ज्यादा मुकदमें दर्ज हैं और जिसके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसकी सरकार ने उसे जेल भेजा है, वह उसके गठबंधन से जेल में रहते हुए चुनाव लड़े. ऐसे में अब दो ही सूरत बचती है. विजय मिश्र या तो किसी दूसरी पार्टी का टिकट हासिल करें या निर्दलीय मैदान में उतरे या फिर अपनी जगह परिवार के किसी दूसरे सदस्य को निषाद पार्टी का सिम्बल दिलाकर उसे चुनाव लड़ाएं.
पत्नी भी लड़ सकती हैं चुनाव
दूसरे विकल्प की संभावना ही ज्यादा नजर आ रही है. अगर ऐसा होता है तो विजय मिश्र की पत्नी रामलली मिश्र निषाद पार्टी के टिकट पर बीजेपी गठबंधन से चुनाव लड़ सकती हैं. हालांकि बीजेपी इसपर भी तैयार होती है या नहीं, अभी यह भी साफ होना बाकी है. रामलली मिश्र अभी एमएलसी यानी विधान परिषद की सदस्य हैं. हालांकि उनका कार्यकाल जल्द ही खत्म होने वाला है.
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