UP Election 2022: आगरा में अपने दरकते किले को बचाने में जुटी BSP, सोशल इंजीनियरिंग के साथ ही सॉफ्ट हिंदुत्व पर दांव
UP Elections: BSP आगरा की नौ में से आठ सीटों पर नीला परचम फहरा चुकी है. इनमें से छावनी सीट ऐसी है, जिस पर BSP ने जीत की हैट्रिक भी पूरी की है.
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UP Assembly Election 2022: अपनी सोशल इंजीनियरिंग के दम पर यूपी की सत्ता हासिल कर चुकी बीएसपी के सितारे विरोधी गर्दिश में जरूर मान रहे हैं, लेकिन टिकट वितरण में सामाजिक फॉर्मूले पर अमल कर नीला खेमा बिना शोर शराबे के चुनावी तैयारी को अमलीजामा पहनाने में जुटा है. आगरा की बात की जाए तो सबसे पहले बीएसपी यहां से अपने उम्मीदवारों के नाम का एलान कर रही है. दलित बाहुल्य आगरा में बसपा के प्रत्याशी लगभग फाइनल हैं. आगरा में अब तक बीएसपी ने 9 में से पांच सीटों पर प्रत्याशियों के नाम घोषित भी कर दिए हैं.
एत्मादपुर से सर्वेश बघेल, छावनी सीट से भारतेंदु अरुण, आगरा दक्षिण से रवि भारद्वाज, फतेहाबाद से शैलू जादौन तो बाह से नितिन वर्मा संभावित प्रत्याशी हैं. वहीं फतेहपुरसीकरी सीट से मुकेश राजपूत और ग्रामीण सीट से महिला प्रत्याशी के तौर पर किरन केसरी के नाम का जल्द एलान हो सकता है. अगर आगरा उत्तर सीट से पार्टी मुस्लिम समाज के व्यक्ति पर दांव खेलती है, तो बसपा की सोशल इंजीनियरिंग का एक नया दांव है.
नौ में से आठ सीटों पर नीला परचम फहरा चुकी है BSP
BSP आगरा की नौ में से आठ सीटों पर नीला परचम फहरा चुकी है. इनमें से छावनी सीट ऐसी है, जिस पर BSP ने जीत की हैट्रिक भी पूरी की है. आगरा ग्रामीण और एत्मादपुर सीट पर भी BSP का परचम तीन तीन बार फहर चुका है, वहीं खेरागढ़, सीकरी सीट पर से दो बार हाथी के महाबत विधानसभा में पहुंचने में सफल रहे हैं. बाह, फतेहबाद पर भी बसपा ने एक एक बार जीत हासिल की है. आगरा जिले में मजबूत जनाधार रखने वाली बसपा ने 1996 विधानसभा चुनाव से जीत की शुरुआत की. इस चुनाव में पार्टी को दयालबाग और एत्मादपुर सीट पर जीत मिली. दयालबाग से सेठ किशनलाल बघेल और एत्मादपुर से जीपी पुष्कर चुनाव जीतने में सफल रहे थे. साल 2002 में बसपा ने दयालबाग पर कब्जा बरकरार रखा जबकि एत्मादपुर सीट पर पार्टी को हार मिली, वहीं आगरा छावनी से चौधरी बशीर चुनाव जीतने में सफल रहे.
साल 2007 विधानसभा चुनाव में बसपा ने सोशल इंजीनियरिंग के सहारे एत्मादपुर, छावनी, पश्चिम, फतेहपुरसीकरी, खेरागढ़ और बाह सीट पर कब्जा किया था. पार्टी मामूली अंतर से अपनी परंपरागत दयालबाग सीट हार गयी थी. साल 2009 लोकसभा चुनाव से पहले हुए परिसीमन में विधानसभा सीटों का भूगोल और नाम बदला तो सियासी समीकरण भी बदल गये. दयालबाग विधासभा सीट का शहरी हिस्सा छावनी, दक्षिण और उत्तर में शामिल हो गया. ये सीट आगरा ग्रामीण के नाम से जानी जाने लगी, वहीं आगरा पश्चिम, और पूर्वी सीट का नाम क्रमशः दक्षिण और उत्तर हो गया. इस परिसीमन में छावनी और आगरा ग्रामीण सीट रिजर्व हो गईं, जबकि अब तक रिजर्व रही एत्मादपुर और पश्चिम जो अब दक्षिण के नाम से जानी जाती है, ये सीटें सामान्य हो गयीं.
2012 में समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव का जादू भले ही पूरी यूपी में चला लेकिन आगरा में बसपा ने वही रुतबा बरकरार रखते हुए एक बार फिर छह सीटें झोली में डाल दीं. इस बार पार्टी को बाह, दक्षिण और उत्तर सीट पर हार मिली, वहीं छावनी, सीकरी, एत्मादपुर, फतेहाबाद, खेरागढ़ और आगरा ग्रामीण सीट पर जीत मिली. 2014 से मोदी लहर ने बसपा के प्रताप को कम करना शुरु कर दिया था. 2017 चुनाव में पार्टी का वोट आगरा जिले में बढ़ा जरूर, लेकिन BJP ने यहां बसपा का क्लीन स्वीप कर दिया. 2022 विधानसभा चुनाव में पार्टी ने एक बार सामाजिक ताना बाना बुनते हुए इस बार चुनावी जीत की रणनीति बनाई है, पार्टी ने इस बार रणनीति में बदलाव करते हुए बाह, खेरगढ़, फतेहपुरसीकरी और एत्मादपुर से क्रमशः निषाद, कुशवाह, लोधी और बघेल समाज को प्रतिनिधित्व देने की रणनीति तैयार की है, वहीं फतेहाबाद से क्षत्रिय, आगरा दक्षिण से ब्राहमण, छावनी और ग्रामीण से दलित और आगरा उत्तर से मजबूत मुस्लिम प्रत्याशी घोषित करने की तैयारी है. पार्टी की कोशिश अपने बेस वोट के सहारे भाईचारा बनाकर जीत हासिल करने की है. अब देखने वाली बात ये होगी की जब तमाम राजनीतिक विश्लेषक बसपा को यूपी के सत्ता संघर्ष की लड़ाई से बाहर मान रहे हैं, ऐसे में बसपाई छुपा रुस्तम साबित होकर मायावती को सीएम की गद्दी तक पहुंचाने में कामयाब होते है या नहीं. इसको लेकर BSP के जिलाध्यक्ष विक्रम सिंह कहते हैं कि जनता इस बार बरगलाने वाली नहीं हैं. सर्वसमाज के साथ बहन जी को जनता सत्ता की चाबी सौंपेंगी.
BSP सॉफ्ट हिंदुत्व का भी कार्ड खेल रही है
वहीं बहुजन समाज पार्टी सोशल इंजीनियरिंग के साथ ही सॉफ्ट हिंदुत्व का भी कार्ड खेल रही है. यही वजह है बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा मथुरा पहुंच कर संतों के साथ भोजन करने वाले हैं. अभी हाल ही में ब्रजरज महोत्सव के उद्घाटन कार्यक्रम वाले दिन योगी आदित्यनाथ ने भी संतों के साथ भोजन किया था. इसको लेकर एक तरफ समाजवादी पार्टी का कहना है कि सर्वसमाज पूरी तरह एसपी के साथ है ना कि BSP के, वहीं संत हों या सूफी, समाजवादी पार्टी सभी का सम्मान करती है. वहीं BJP से आगरा सांसद और केंद्रीय मंत्री एस पी सिंह बघेल कहते हैं कि bSP आगरा में शून्यता की ओर है. जो पार्टी केवल एक जाति विशेष की बात करती थी, वो अब सर्वसमाज की बात करती है. रही बात हिंदुत्व की तो मुझे याद आ रहा है वीर सावरकर का बयान कि एक दिन ऐसा आयेगा जब लोग कोट के ऊपर जनेऊ पहनेंगे और आज वो सच साबित हो रहा है.
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