UP Assembly Election 2022: अगले साल 2022 में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में होने वाले विधानसभा चुनावों (Assembly Election) को लेकर सभी बड़े दल छोटे दलों के साथ गठबंधन करने में लगे हुए हैं, लेकिन बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अब तक अकेले ही चुनाव लड़ने के अपने बयान पर टिकी हुई है. हालांकि बसपा के विधायक लगातार पार्टी छोड़कर जा रहे हैं. साल 2017 में बसपा के 19 विधायक जीते थे. मगर उनके विधायकों के लगातार दूसरे दलों में जाने से अब उनके पास केवल चार विधायक बचे हैं.
अकेले ही मैदान में उतरेगी बसपा
उत्तर प्रदेश में चुनावी गठबंधन को लेकर मायावती ने कहा है कि बसपा 2007 की तरह बहुमत से सत्ता में आएगी, क्योंकि उनका गठबंधन प्रदेश की जनता के साथ हो चुका है. वे किसी अन्य पार्टी से गठबंधन नहीं करेंगी. भले ही राजनीति को संभावनाओं का खेल कहा जाता हो, लेकिन मायावती के इस बयान के साथ ही ये तय हो गया कि अन्य बड़े दलों की तरह बसपा किसी अन्य पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी और अकेले ही मैदान में उतरेगी. वहीं बसपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधींद्र भदौरिया ने कहा कि फिलहाल उनकी पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है. अन्य किसी दल के साथ उत्तर प्रदेश के चुनाव में जाने की अब तक सहमति नहीं बनी है. वहीं कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर उन्होंने कहा कि चर्चा हो रही है, लेकिन यह गठबंधन होगा या नहीं, इसको लेकर अभी तक कोई निर्णायक फैसला नहीं हुआ है.
कांग्रेस ने बसपा से गठबंधन रास्ता खोला
दूसरी ओर कांग्रेस ने बसपा से गठबंधन के लिए दरवाजा खोल दिया है. लेकिन बसपा इस बार किसी बड़े दल से गठबंधन नहीं करना चाहती, खासतौर पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के साथ. उत्तर-प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो बसपा ने साल 1996 में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. फिलहाल, बसपा कांग्रेस के साथ 2022 के चुनाव में गठबंधन में नहीं आना चाहती. इससे यह जाहिर है कि कांग्रेस के साथ बसपा का गठबंधन अनुभव कहीं न कहीं पार्टी के लिए ठीक नहीं रहा.
इस वजह से गठबंधन नहीं करना चाहती बसपा
दरअसल, यूपी में गठबंधन से चुनाव लड़ने की राजनीति की शुरुआत साल 1993 हुई थी, जब बसपा ने सपा के साथ मिलकर बीजेपी को चुनौती दी थी. तब सपा-बसपा गठबंधन ने मिलकर 176 सीटों पर जीत हासिल की थी, जिसमें सपा को 67 सीटों पर जीत मिली थी. साल 1995 में हुए गेस्ट हाउस कांड से सपा और बसपा के रिश्ते खराब होते चले गए. जिसके बाद बसपा ने बीजेपी और कांग्रेस से समर्थन लेना जारी रखा. बसपा ने इसी तरह लगातार चुनावी गठबंधन जारी रखा और पार्टी को मजबूत करती चली गई. साल 1996 में बसपा और कांग्रेस के गठबंधन में बसपा को एक बार फिर 67 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, लेकिन पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़कर 27 फीसदी हो गया था. इसके बाद बसपा ने साल 2017 में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस दोनों के साथ गठबंधन किया था लेकिन मोदी लहर में बसपा को कुछ हासिल नहीं हुआ. यही वजह है कि बसपा इस बार कांग्रेस से फिलहाल गठबंधन नहीं करना चाहती.
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