अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारिया कांग्रेस ने तेज कर दी हैं. प्रियंका गांधी वाड्रा को विधानसभा चुनाव में पार्टी का चेहरा बनाए जाने के बाद इसमें और तेजी आई है. इसी के तहत पार्टी ने शनिवार को तीन प्रतिज्ञा यात्राओं की शुरुआत की. बाराबंकी से शुरू हुई प्रतिज्ञा यात्रा को प्रियंका ने हरी झंडी दिखाई. इसके साथ ही कांग्रेस योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर में एक चुनावी रैली करने जा रही है. इससे पहले कांग्रेस ने 10 अक्तूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क्षेत्र वाराणसी में 'किसान न्याय रैली' आयोजित किया था.  


गोरखपुर में कांग्रेस का प्रदर्शन


उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के इस इलाके को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. लेकिन गोरखपुर जिले में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा है. अगर हम 2002 से 2017 तक के चुनाव पर नजर डालें तो कांग्रेस को केवल 2007 में एक सीट मिली थी. कांग्रेस उम्मीदवार माधो प्रसाद ने मुंडेरा बाजार (सुरक्षित) सीट पर जीत दर्ज की थी. 


गोरखपुर जिले में विधानसभा की कुल 9 सीटें हैं. साल 2002 के चुनाव में इनमें से बसपा ने 4, सपा ने 2, अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने 1, अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस ने 1 और एक  निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी.  


वहीं 2007 के चुनाव में बसपा ने 4,  कांग्रेस ने 1, सपा ने 1, बीजेपी ने 2 और एक निर्दलीय उम्मीदवार जीता था. इसी तरह 2012 के चुनाव में बसपा ने 4, सपा ने 1, बीजेपी ने 3 और एनसीपी ने 1 सीट पर जीत दर्ज की थी. वहीं 2017 के चुनाव में बीजेपी ने जिले की 8 और बसपा ने एक सीट जीती थी. 


इन चुनावों में कांग्रेस का गोरखपुर के आसपास के जिलों में भी अच्छा प्रदर्शन नहीं रहा है. हालांकि यह बात जरूर है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू गोरखपुर के पड़ोसी जिले कुशीनगर की तमकुही राज सीट से लगातार दो बार से जीत रहे हैं. लेकिन इस बार बीजेपी उन्हें हराने के लिए विशेष तैयारी कर रही है. 


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