UP Assembly Election 2022: यूपी विधानसभा चुनाव के पांचवे चरण में 27 फरवरी को गोंडा (Gonda) में वोट डाले जाएंगे. गोंडा के गौरा विधानसभा (Gaura Assembly Seat) का गठन 2012 में हुआ और अब तक यहां 2 बार विधानसभा के चुनाव हो चुके हैं. कुछ हिस्सा गोंडा का और कुछ हिस्सा बलरामपुर (Balrampur) का जोड़कर यह विधानसभा बनाया गया था. गौरा विधानसभा सीट पर बीजेपी (BJP) ने एक बार फिर से विधायक प्रभात वर्मा (Prabhat Verma) पर भरोसा जताया है, तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से संजय विद्यार्थी (Sanjay Vidyarthi) मैदान में हैं.
इसके अलावा कांग्रेस से राम प्रताप सिंह ताल ठोक रहे हैं. वहीं बसपा ने इस बार निगार उस्मानी को टिकट दिया है. इस विधानसभा में सबसे अधिक वोटों की संख्या ओबीसी समाज की है. सभी प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन यह तो आने वाले 10 मार्च को ही साफ हो पाएगा कि यहां किसको जीत मिलती है. फिलहाल गौरा विधानसभा सीट पर बीजेपी-सपा और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय लड़ाई मानी जा रही है.
अधूरे कामों को किया जाएगा पूरा- प्रभात वर्मा
बीजेपी प्रत्याशी और विधायक प्रभात वर्मा ने अपनी जीत का दावा करते हुए कहा कि वह केंद्र और प्रदेश सरकार की नीतियों के साथ जनसभा कर रहे हैं. जनता का आशीर्वाद मिल रहा है और सरकार ने बहुत से काम किए हैं, जो भी काम रह गए हैं, उसको पूर्ण किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सड़कों का जाल बिछाया गया है. लाइट की व्यवस्था की गई, शिक्षा पर ध्यान दिया गया है और स्वास्थ्य पर भी काम हुआ है.
संजय विद्यार्थी बोले- छुट्टा जानवरों से निजात दिलाएगी सपा सरकार
समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी संजय विद्यार्थी का कहना है कि यह सीट जीतने के बाद छुट्टा जानवरों से निजात दिलाने के लिए सरकार काम करेगी. समाजवादी पार्टी की सरकार में बहुत काम हुए हैं. गौरा विधानसभा में कोई बड़ा चिकित्सालय नहीं है और खस्ताहाल सड़कों पर ध्यान दिया जाएगा, बेरोजगारी की समस्या भी बड़ी है. वहीं बीजेपी से चार बार विधायक रहे राम प्रताप सिंह 5 सालों से समाजवादी पार्टी के बड़े चेहरा थे और इस बार भी टिकट की दावेदारी कर रहे थे. टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया है और जीत का दावा कर रहे हैं. साथी ही उन्होंने मौजूदा विधायक प्रभात वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं.
2012 में सपा के प्रत्याशी को मिली थी जीत
गौरा विधानसभा की बसपा प्रत्याशी निगार उस्मानी ने बताया कि वह बहन मायावती की नीतियों के साथ जनसंपर्क कर रही हैं. उनके शासनकाल में कानून-व्यवस्था सबसे अच्छी थी. लोग चाहते हैं कि फिर से बहन मायावती की सरकार बने. 2012 विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो यहां कुमार आनंद सिंह ने समाजवादी पार्टी से जीत हासिल की थी और समाजवादी सरकार में कैबिनेट कृषि मंत्री का पद हासिल किया था, लेकिन उनके बेटे कीर्तिवर्धन सिंह के बीजेपी में शामिल होने के बाद पार्टी ने इनके पास से कृषि मंत्री का पद ले लिया था, उसके बाद फिर वे राजनीति में सक्रिय नहीं रहे.
मुस्लिम और ओबीसी मतदाता है सबसे अधिक
इसके बाद दूसरे नंबर पर कांग्रेस के प्रत्याशी अब्दुल कलाम मलिक थे. 2017 चुनाव की बात की जाए तो यहां पर प्रभात वर्मा ने जीत हासिल कर कमल खिलाया था. समाजवादी पार्टी के राम प्रताप सिंह दूसरे नंबर पर थे. 2017 के चुनाव में बसपा से अब्दुल कलाम मलिक चुनाव मैदान में थे और तीसरे नंबर पर रहे थे और कांग्रेस के तरुण चंद पटेल पांचवें स्थान पर थे. गौरा में अगर जातिगत आंकड़ों की बात की जाए तो मुस्लिम, ओबीसी, ब्राह्मण, दलित और क्षत्रिय मतदाता निर्णायक भूमिका में रहते हैं. गौरा विधानसभा में सबसे अधिक मतदाता मुस्लिम और ओबीसी वर्ग से आते हैं.
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