UP Assembly Election: बलहा विधानसभा सीट ने पांच साल में दो बार देखा उपचुनाव का मुंह, जानें क्या हैं यहां की समस्याएं
UP Election 2022: बहराइच जिले की बलहा विधानसभा सीट अभी बीजेपी के पास है. 2019 में हुए उपचुनाव में यहां बीजेपी प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी. 2014 से लेकर 2019 तक यहां दो बार उपचुनाव हो चुके हैं.
Balha Assembly Seat: यूपी (Uttar Pradesh) में होने वाले विधानसभा (Assembly Election) चुनाव में अब कुछ ही दिनों का वक्त रह गया है. ऐसे में हम प्रदेश की महत्वपूर्ण विधासभा सीटों के बारे में बात करेंगे. बात करेंगे इन सीटों में चुनाव लड़ने वाले जनप्रतिनिधियों की. साथ ही बताएंगे की यहां की समस्याएं क्या हैं. इसी कड़ी में आज बात करेंगे बहराइच जिले की बलहा विधानसभा सीट की.
बलहा सुरक्षित सीट है. 2012 के चुनाव में बलहा सीट पर बीजेपी का कब्ज़ा हुआ था. यहां से सावित्री बाई फुले विधायक चुनी गयी थीं, लेकिन 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में सावित्री बाई फुले को लोकसभा प्रत्याशी बनाया गया. फुले के चुनाव जीतने के बाद ये सीट खाली हो गई. 2015 में उपचुनाव कराए गए तो सपा बंसीधर बौद्ध विधायक चुने गए. उपचुनाव में बंसीधर ने 25,181 मतों से बीजेपी के अक्षय बरलाल गौड़ को हराया था.
2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर अक्षयबर लाल को प्रत्याशी घोषित किया. जबकि सपा ने बंसीधर बौद्ध को मैदान में उतारा था. इस बार सपा को हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी के अक्षयबर लाल गौड़ चुनाव जीत गए. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अक्षयबर को मैदान में उतारा. अक्षयबर लोकसभा चुनाव जीत गए और एक बार फिर ये सीट खाली हो गई. 2019 में हुए उपचानाव में बीजेपी की सरोज सोनकर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचीं.
क्या हैं समस्याएं?
बलहा इलाके की समस्याओं की बात करें तो इस क्षेत्र में ज्यादातर हिस्सा जंगल में आता है. किसानों के लिए यहां जंगली जानवर बड़ी समस्या है. बाकी का इलाका बाढ़ ग्रस्त है. इस कारण भी ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यहां के लोगों की मुख्य आजीविका खेती पर निर्भर है, लेकिन बाढ़ के डर से किसान खेती भी नहीं कर पाते हैं. इसके अलावा इलाके में सड़कों की बहुत बड़ी समस्या है जिससे विकास कार्य अधूरा दिखाई देता है.
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