UP Election 2022: कभी लखनऊ यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में पहुंचे सीएम योगी को काला झंडा दिखाकर जेल जाने वाली 25 वर्षीय पूजा शुक्ला ( Pooja Shukla) की  उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) लड़ने जा रही हैं. उन्हें समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने लखनऊ नॉर्थ (Lucknow North)  से अपना उम्मीदवार बनाया है. गौरतलब है कि  पूजा शुक्ला यूपी चुनाव में सबसे कम उम्र के उम्मीदवारों में से एक हैं.


सीएम योगी के काफिले को काले झंड़े दिखाकर सुर्खियों में आई थी पूजा शुक्ला


बता दें कि पूजा शुक्ला जून 2017 में सुर्खियों में आई थीं, जब उन्होंने 10 अन्य लोगों के साथ, लखनऊ विश्वविद्यालय रोड पर आदित्यनाथ के काफिले को रोकने की कोशिश की और सरकारी नीतियों के विरोध में काले झंडे लहराए।


शुक्ला ने पीटीआई को बताया था कि, "7 जून, 2017 को जब योगी 'हिंदी स्वराज दिवस' कार्यक्रम में भाग लेने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में जा रहे थे, तब ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया और समाजवादी छात्र सभा से संबद्ध छात्र सड़क पर बैठ गए और योगी के  काफिले को रोका, उन्हें काले झंडे दिखाए और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की, हमें गिरफ्तार कर लिया गया और अगले दिन जेल भेज दिया गया.मैंने कभी नहीं सोचा था कि हमें गिरफ्तार किया जाएगा. वहीं20 दिन बाद जेल से छूटने पर पूजा शुक्ला ने सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की और पार्टी की छात्र शाखा समाजवादी छात्र सभा का चेहरा बनीं.


पूजा शुक्ला समाजवादी पार्टी की फायर ब्रांड युवा नेता हैं


पूजा शुक्ला समाजवादी पार्टी की फायर ब्रांड युवा नेता बन चुकी हैं. पूजा शुक्ला समाजवादी छात्रसभा की तेज तर्रार लीडर हैं  पूजा शुक्ला एक बहुत ही सामान्य परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उनके पिता प्रॉपर्टी डीलर है और उनकी मां एक हाउस वाइफ हैं. उनकी एक छोटी हैं बहन जो अभी पढ़ाई कर रही हैं.


समाजवादी पार्टी से बहुत प्रभावित हैं पूजा शुक्ला


वहीं यह पूछे जाने पर कि उन्होंने एसपी को क्यों चुना, पूजा ने कहा, "मैं मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक संघर्ष और अखिलेश यादव की नीतियों से प्रभावित हूं. इसके अलावा, एक युवा के रूप में, मैं एसपी को लोकतांत्रिक मूल्यों के करीब पाती हूं.


युवाओं और छात्रों के अधिकारों के लिए लड़ना है मकसद


एक राजनेता के रूप में, शुक्ला कहती हैं कि, वह युवाओं और छात्रों के अधिकारों के लिए लड़ना जारी रखना चाहती हैं.उन्होंने कहा, 'मेरा मानना ​​है कि शिक्षा के नाम पर युवाओं, खासकर छात्रों को राजनीति से दूर रखा जाता है. इसे बदला जाना चाहिए. एक राजनीतिक रूप से जागरूक छात्र ही एक बेहतर नेता चुन सकता है. इस तरह युवा देश की राजनीति को बदल कर विकास की ओर ले जा सकते हैं. बता दें कि शुक्ला जनवरी 2020 में लखनऊ के घंटाघर पर नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में महिलाओं के एक समूह में शामिल हुईं थीं.


पूजा शुक्ला का मुकाबला बीजेरी के नीरज बोरा से है


गौरतलब है कि सपा द्वारा टिकट दिए जाने से पहले से ही वह लखनऊ उत्तर निर्वाचन क्षेत्र में सक्रिय रूप से प्रचार कर रही हैं. उनका मुकाबला भाजपा के नीरज बोरा से है.यह पूछे जाने पर कि वह भाजपा को कैसे टक्कर देने की योजना बना रही हैं, शुक्ला ने कहा, “मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से आती हूं और भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ लड़ने के लिए संसाधनों की कमी है. हालांकि, पार्टी और स्थानीय लोगों, खासकर युवाओं के समर्थन से, मुझे विश्वास है कि मैं जीत हासिल करूंगी. बता दें कि  लखनऊ में चौथे चरण में 23 फरवरी को मतदान होना है.


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