UP Assembly Election 2022: यूपी में बीजेपी विकास और हिंदुत्व के एंजेडे पर 2022 में फिर से सत्ता काबिज होने का दावा कर रही है. तो दूसरी तरफ अखिलेश यादव किसान आंदोलन और गठबंधन के जोर से यूपी में बदलाव की बात कर रहे हैं. सूत्रों के हवाले से खबर है कि आज आरएलडी और एसपी के गठबंधन पर आधिकारिक मुहर लग सकती है.
सूत्रों की मानें तो आज समाजवादी पार्टी कार्यालय में अखिलेश और जयंत चौधरी के बीच मुलाकात होगी. इस बैठक में सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर भी चर्चा हो सकती है. 7 दिसंबर को मेरठ में अखिलेश और जयंत चौधरी की रैली होने वाली है. दोनों नेता इस रैली से पहले सीटों के पेंच को सुलझाना चाहते हैं.
इस गठबंधन के मायने बड़े क्यों हैं इसे आंकड़ो की भाषा से समझिए...
2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी के पश्चिमी यूपी में 20 सीटें मिली और समाजवादी पार्टी को 58 सीटें. इसके बाद अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने. 2017 में समीकरण उलट गए, बीजेपी को पश्चिमी यूपी से 109 सीट मिली और समाजवादी पार्टी सिर्फ 21 सीटों पर सिमट गई. अखिलेश सत्ता से बाहर हो गए और योगी की सरकार बन गई. यानी साफ है कि अगर दिल्ली पहुंचने का रास्ता लखनऊ विधानसभा से आता है तो लखनऊ पहुंचने का रास्ता पश्चिमी यूपी के जाटलैंड होकर जाता है. लेकिन इस बार किसान आंदोलन और लखमीपुर हिंसा ने पश्चिमी यूपी को लेकर बीजेपी की चिंता बढ़ा दी है.
आरएलडी से गठबंधन का एलान बीजेपी की मुश्किल बढ़ा सकता है
पूर्वांचल में भी अखिलेश यादव महागठबंधन का एलान पहले ही कर चुके हैं. अब पश्चिमी यूपी में आरएलडी से गठबंधन का एलान बीजेपी की मुश्किल बढ़ा सकता है.
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