UP Election 2022: स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से बीजेपी में बजी खतरे की घंटी, शाह के प्लान पर शुरू हुआ 'डेमैज कंट्रोल'
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले स्वामी प्रसाद मौर्य का इस्तीफा बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. वहीं बीजेपी अब मौर्य की मान-मनौव्वल में कोई कसर नहीं छोड़ रही है.
UP Election 2022: स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से पैदा हुए हालात से बीजेपी सकपका गई है. उसने पिछले चुनाव में यूपी में गैर-यादव ओबीसी में सेंधमारी की थी, लेकिन मौर्य के इस्तीफे ने बीजेपी के उस कामयाब चुनावी फॉर्मूले को झटका दे दिया है, यही बीजेपी की असली चिंता है. इसीलिए मौर्य की मान-मनौव्वल और पूरे प्रकरण में डैमेज कंट्रोल की कोशिशें हो रही हैं.सूत्रों के मुताबिक अमित शाह ने स्वामी प्रसाद मौर्य को मनाने का जिम्मा डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को सौंपा है. केशव प्रसाद मौर्य इस्तीफा देने वाले दूसरे असंतुष्ट विधायकों को भी मनाने में जुटे. यही नहीं, यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और संगठन महामंत्री सुनील बंसल को भी इस काम में लगाया गया है.
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर स्वामी प्रसाद मौर्य का मान-मनौव्वल किया
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया के जरिये भी मान मनौव्वल में देरी नहीं की...उन्होंने ट्वीट किया, ''आदरणीय स्वामी प्रसाद मौर्य जी ने किन कारणों से इस्तीफा दिया है, मैं नहीं जानता हूँ, उनसे अपील है कि बैठकर बात करें, जल्दबाजी में लिये हुये फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं.'' लेकिन जब तक केशव प्रसाद मौर्य का ये ट्वीट आता, तब तक बात बहुत आगे निकल चुकी थी...
आदरणीय स्वामी प्रसाद मौर्य जी ने किन कारणों से इस्तीफा दिया है मैं नहीं जानता हूँ उनसे अपील है कि बैठकर बात करें जल्दबाजी में लिये हुये फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं
— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) January 11, 2022
स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से बीजेपी को इतनी चिंता क्यों
अब सवाल ये आता है कि ऐन चुनावी बेला पर स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से बीजेपी को इतनी चिंता क्यों सता रही है? तो इसका जवाब छिपा है स्वामी प्रसाद मौर्य के जनाधार में...जोकि पिछड़े समाज के बड़े नेता हैं. गैर-यादव ओबीसी के बड़े वोट बैंक पर उनकी पकड़ है. खास तौर से कोइरी-कुशवाहा जाति के वोटबैंक पर उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है. यूपी में कोइरी-कुशवाहा वोट लगभग 5 फीसदी है.
बीजेपी भी स्वामी प्रसाद मौर्य की ताकत को अच्छी तरह से जानती है. मौर्य की सियासी पकड़ का फायदा बीजेपी 2017 के चुनाव में उठा चुकी है...तब स्वामी प्रसाद मौर्य बीएसपी के बड़े कद्दावर नेता थे और चुनावी मौसम में मायावती को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे.
यूपी की चुनावी राजनीति में ओबीसी समुदाय बेहद अहम
यूपी की चुनावी राजनीति में ओबीसी समुदाय कितना अहम है, इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि यूपी में ओबीसी की आबादी 42 से 43 % के बीच है. 2017 के चुनाव बीजेपी ने 125 ओबीसी उम्मीदवार मैदान में उतारे थे.
स्वामी प्रसाद मौर्य का कितना असर है, इसकी एक बानगी 2019 के लोकसभा चुनाव में भी दिखा...जब उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य ने समाजवादी पार्टी की पारंपरिक बदायूं सीट पर मुलायम सिंह यादव के परिवार के सदस्य धर्मेंद्र यादव को हराकर हलचल मचा दी थी. अब यूपी की चुनावी बेला पर मौर्य के बीजेपी छोड़ने के बाद नजर इस पर रहेगी कि क्या उनकी सांसद बेटी भी पिता की राह पर चलेंगी.
आज अखिलेश यादव ने लखनऊ में बुलाई है बैठक
बहरहाल,यूपी में बीजेपी के भीतर मची इस भगदड़ से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की बांछें खिली हुई हैं. इस पूरे घटनाक्रम के बीच उन्होंने आज दोपहर 12 बजे लखनऊ में समाजवादी पार्टी ऑफिस में एक बड़ी बैठक बुलाई है.
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