UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के सात में से पांच चरणों के मतदान के दौरान डाले गए वोटों का प्रतिशत पिछले विधानसभा चुनाव के लगभग बराबर ही है. ऐसे में राजनीतिक पार्टियां और प्रेक्षक इस पसोपेश में हैं कि इसे सत्ता के पक्ष में मतदान माना जाए या सत्ता विरोधी लहर का असर.
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में हुए मतदान के प्रतिशत पर भी नजर डालें तो कोई खास फर्क नहीं दिखाई देता. जहां मतदान का प्रतिशत नहीं बढ़ने के पीछे कोविड-19 महामारी को एक प्रमुख वजह के तौर पर देखा जा रहा है, वहीं कुछ लोगों का कहना है कि मतदाताओं ने चुनाव में अब तक सभी पार्टियों को आजमा लिया है लिहाजा उनमें अब मतदान के प्रति वह जोशोखरोश नहीं रहा. प्रदेश में सात में से पांच चरणों का विधानसभा चुनाव हो चुका है. बाकी दो चरणों का मतदान आगामी तीन और सात मार्च को होगा.
पहले चरण के चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 58 विधानसभा सीटों पर पिछली 10 फरवरी को औसतन 62.43% मतदान हुआ था जो वर्ष 2017 के 63.47% के मुकाबले एक फीसद से ज्यादा कम था. वहीं, 14 फरवरी को हुए दूसरे चरण के मतदान में 64.42 फीसद मतदान हुआ और यह भी पिछली बार के मुकाबले 1.11 प्रतिशत कम रहा. तीसरे चरण में 62.28% मतदान हुआ जो पिछली बार के मुकाबले 0.07 प्रतिशत ज्यादा था. चौथे चरण में 23 फरवरी को राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश की 59 सीटों पर औसतन करीब 61.52% मतदान हुआ जो वर्ष 2017 में हुए 62.55 फीसद मतदान से 1.03% कम रहा. पांचवें चरण में अयोध्या, प्रयागराज, अमेठी और रायबरेली समेत विभिन्न जिलों की 61 विधानसभा सीटों पर औसतन 57.32% मतदान हुआ. यह भी वर्ष 2017 के मुकाबले लगभग एक फीसद कम रहा.
तीन मोर्च को होगा छठे चरण का चुनाव
प्रदेश विधानसभा के छठे चरण का चुनाव आगामी तीन मार्च को होगा. इस चरण में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उम्मीदवारी वाली गोरखपुर नगर की हाई प्रोफाइल सीट के लिए भी वोट पड़ेंगे. वर्ष 2017 में इस चरण की सीटों पर 56.52% मतदान हुआ था. सातवें चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी की सीटों समेत कुल 54 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होगा. वर्ष 2017 में इस चरण की सीटों पर 59.56% मतदान हुआ था.
पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने दी ये जानकारी
मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी नहीं होने के बारे में देश के पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एसवाई कुरैशी ने बताया, "मुझे ताज्जुब है कि आखिर इस बार मत प्रतिशत में बढ़ोतरी क्यों नहीं हुई. हो सकता है कि इस बार मतदाताओं को जागरूक करने के प्रयासों में कुछ कमी रह गई हो." सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज के अनुसंधान कार्यक्रम 'लोक नीति' के सह निदेशक प्रोफेसर संजय कुमार ने बताया, "अगर आप पिछली बार के मत प्रतिशत से तुलना करें तो बहुत ज्यादा गिरावट नहीं आई है. आमतौर पर जब लोग सरकार बदलना चाहते हैं तो ज्यादा मतदान का माहौल बनता है. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में यह नजर भी आया था." उन्होंने कहा कि मतदाताओं के मन में मतदान के प्रति एक उदासीनता भी है. यह सत्ता के पक्ष की बात है या फिर उसके विरोध की, यह तो चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद ही पता चलेगा.
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने किया ये दावा
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने दावा करते हुए कहा कि मत प्रतिशत चाहे जो भी हो लेकिन बीजेपी के मतदाता पार्टी को वोट देने के लिए अपने घरों से निकल रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ हालांकि, दूसरी पार्टियों के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता क्योंकि उनके मतदाता निष्क्रिय हैं. हो सकता है कि सपा की अगुवाई वाले गठबंधन में आपसी खींचतान के कारण ऐसा हुआ हो.’’ समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजपाल कश्यप ने कहा कि मतदाता सूचियों में बहुत गड़बड़ियां हैं. पर सपा को चुनाव के हर चरण में अच्छी सफलता मिली है लखनऊ मध्य विधानसभा क्षेत्र के निवासी वयोवृद्ध मनोज गोस्वामी (75) ने कहा, "मैंने इसलिए वोट नहीं डाला क्योंकि मुझे डर था कि कहीं मुझे कोविड-19 संक्रमण ना हो जाए." लखनऊ की लाटूश रोड पर चाय बेचने वाले सुशील कश्यप ने कहा, "हमने सभी पार्टियों की सरकारों को देख लिया है. सभी एक जैसे ही हैं." वहीं दूसरी ओर प्रयागराज के अल्लापुर निवासी 78 वर्षीय भंवरी पाठक ने कूल्हे में फ्रैक्चर होने के बावजूद एंबुलेंस से पहुंचकर अपना वोट डाला. वहीं, एक महिला ने बच्चे को जन्म देने के अगले ही दिन मतदान केंद्र जाकर वोट दिया.
यूपी में पहली बार वोट डाल रहे 14 लाख से ज्यादा वोटर
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार 14,66,000 से ज्यादा ऐसे मतदाता हैं, जो पहली बार वोट डालने के योग्य बने हैं. उत्तर प्रदेश में मतदाताओं की संख्या 15 करोड़ दो लाख से ज्यादा है.
ये भी पढ़ें-