(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
UP Assembly Election: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार क्यों कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के दौरा
UP Assembly Election : यूपी विधानसभा की 33 फीसदी सीटें पूर्वांचल के जिलों में हैं. इनमें से ज्यादातर सीटें बीजेपी के कब्जे में हैं. कब्जा बनाए रखने को बीजेपी पूर्वांचल पर खास तौर पर जोर दे रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सोमवार को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) को कई विकास योजनाओं की सौगात देंगे. इससे पहले उन्होंने 20 अक्तूबर को कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की शुरूआत की थी. सोमवार को वो सिद्धार्थनगर और वाराणसी के दौरे पर हैं. वो 9 मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन करेंगे. वो प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना की शुरुआत भी करेंगे. प्रधानमंत्री 5 दिन में दूसरी बार पूर्वांचल के दौरे हैं. चुनाव की घोषणा से पहले बीजेपी (BJP) यहां पीएम की कई और रैलियां करने की योजना बना रही है. यह दिखाता है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव ( UP Assembly Election) में पूर्वांचल बीजेपी के लिए कितना महत्वपूर्ण है. बीजेपी यहां 2017 के विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी.
बीजेपी ने कितनी सीटें जीती
केंद्र की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है. इसलिए सभी दल उत्तर प्रदेश में खासा जोर लगाते हैं. विधानसभा की 33 फीसदी सीटें पूर्वांचल के 28 जिलों में हैं. इन 28 जिलों में कुल 164 सीटें हैं. अगर 2017 के चुनाव के परिणाम की बात करें तो इन 164 सीटों में से 115 सीटें अकेले बीजेपी ने जीती थीं. इसके अलावा सपा ने 17, बसपा ने 14 और कांग्रेस ने 2 सीटें जीती थीं. और 16 सीटें छोटे दलों के खाते में गई थीं.
बीजेपी ने 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष दलों का पूर्वांचल से एक तरह से सफाया ही कर दिया था. पार्टी अब उसी सफलता को पूर्वांचल में दोहराना चाहती है. इसलिए वह पूर्वांचल में फोकस कर रही है. बीजेपी ने चुनाव इतना करीब आ जाने के बाद भी पश्चिम उत्तर प्रदेश या बुंदेलखंड के इलाके में अभी ध्यान नहीं दिया है. दरअसल किसान आंदोलन और लखीमनपुर में किसानों के कुचले जाने की घटना के बाद से पश्चिम उत्तर प्रदेश और तराई के इलाके में बिजेपी के खिलाफ रोष है. हालत यहां तक पहुंच गए हैं कि पश्चिम में कई जगह लोग बीजेपी नेताओं को गांवों में घुसने ही नहीं दे रहे हैं.
अप्रैल-मई में हुए पंचायत चुनाव में बीजेपी को झटका लगा था. उसे बड़े पैमाने पर हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी ने हर हथकंडे अपना कर सत्ता पर कब्जा जमाया था. इसे पंचायत चुनाव के नजीतों को नकारने की कोशिश के तौर पर देखा गया था.
कौन करता है जाति की राजनीति
पूर्वांचल पहले से ही बीजेपी की मजबूत पकड़़ वाला इलाका रहा है. लेकिन यह इलाका अपना मिजाज बदलता भी रहा है. कभी यहां सपा-बसपा की भी तूती बोलती थी. पूर्वांचल को जाति आधारित राजनीति के लिए जाना जाता है. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भी जाति की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभसपा), अनुप्रिया पटेल का अपना दल (सोनेलाल) और संजय निषाद की निषाद पार्टी को जाति आधारित माना जाता है. निषाद पार्टी को केवट, मल्लाह और बिंद जैसे पिछड़े दलों की पार्टी माना जाता है. वहीं सुभासपा राजभरों की राजनीति करते हैं. अपना दल को कुर्मी समाज की पार्टी माना जाता है. इन जातियों की पूर्वांचल में अच्छी खासी जनसंख्या है.
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा बीजेपी के साथ थी. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद वो उससे अलग हो गई थी. लेकिन अनुप्रिया पटेल और संजय निषाद अभी भी बीजेपी के साथ हैं. ओमप्रकाश राजभर ने अभी समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की घोषणा की है. इसने बीजेपी की परेशानी बढ़ा दी है.
पूर्वांचल के महत्व को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी सभाओं में विकास की बात कर रहे हैं. इनमें में प्रदेश में बनने वाले मेडिकल कॉलेजों, गोरखपुर और रायबरेली में बन रहे एम्स, गोरखपुर के खाद कारखाने और पूर्वांचल की सड़क परियोजनाओं की खासतौर पर चर्चा कर रहे हैं.
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