UP Assembly Election 2022: पेट्रोल-डीजल के रोजाना बढ़ते दामों से त्रस्त जनता को राहत दिलाने के लिए टैक्स कम करने का मोदी सरकार का फैसला क्या पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की तस्वीर बदल सकता है. विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार के इस फैसले को चुनाव जीतने का एक सियासी दांव मान रही हैं. हालांकि, जनता के बीच इस फैसले को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया है. ज्यादातर लोग इस कटौती से खुश नही हैं. लोगों का मानना है कि पेट्रोल के दाम प्रति लीटर 70 से 80 रुपये के बीच ही होने चाहिए. यानि टैक्स कम करने से पेट्रोल और डीजल की कीमत में जो कमी हुई है, फिलहाल वोटरों को रिझाती नहीं दिख रही.


केंद्र सरकार ने देशवासियों को दीवाली का तोहफा देते हुए पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स में 5 और 10 रुपये प्रति लीटर की कमी का ऐलान किया था. केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने भी पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी कर दी. इससे कई राज्यों में पेट्रोल के दाम 100 रुपये से नीचे आ गए. डीजल भी सस्ता हो गया. दरअसल, बीते कई हफ्तों से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा था. करीब 1 महीने से तो रोज 35 पैसे प्रति लीटर दाम बढ़ रहे थे. पेट्रोल-डीजल की कीमत का असर महंगाई पर पड़ रहा था. माल भाड़ा बढ़ने से हर स्तर पर महंगाई बढ़ गई थी. सब्जियों के दाम तो आसमान छू रहे थे. खाद्य तेल से लेकर हर चीज महंगी थी. इसे लेकर न सिर्फ जनता में हाहाकार मचा था बल्कि विपक्षी दल भी सरकार पर हमलावर हो रहे थे क्योंकि 3 महीने बाद उत्तर प्रदेश समेत पांच प्रदेशों में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए पेट्रोल-डीजल के दाम बड़ा मुद्दा होने वाला था. 


केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव को देखते हुए पेट्रोल-डीजल में टैक्स की कमी करने का बड़ा फैसला लिया. इस फैसले के पीछे चुनाव को असली वजह माना जा रहा है. आपको ध्यान होगा कि लोकसभा चुनाव के पहले भी केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दाम में टैक्स हटाकर कमी की थी और उसका भाजपा को बहुत जबरदस्त फायदा भी मिला था. इस बार भी पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के पहले सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दाम में टैक्स घटाकर जनता को राहत देने की एक पहल की है. 


जनता की बहुत स्पष्ट प्रतिक्रियाएं सामने नहीं आई हैं


हालांकि, यह पहल कितनी कामयाब होगी, इस पर आम जनता की बहुत स्पष्ट प्रतिक्रियाएं सामने नहीं आई हैं. एबीपी गंगा ने लखनऊ में इस मुद्दे पर आम जनता से जब बातचीत की तो लोग बहुत खुश नहीं दिखे. लोगों का कहना था की 40 से 50 रुपये बढ़ाकर 10 से 12 रुपये दान कम करना कोई बहुत अच्छा फैसला नहीं है. कोरोना काल ने वैसे भी आम जनता की कमर तोड़ दी है. काम-धंधे चौपट हो चुके हैं. हजारों-लाखों लोगों की नौकरी छूट चुकी है. ऐसे में पेट्रोल-डीजल के दाम 70 से 80 रुपये करने पर ही महंगाई को नियंत्रित किया जा सकता है. लोगों ने सरकार से मांग भी की है कि पेट्रोल-डीजल का दाम अधिकतम 70 से 80 रुपये हो. अब देखना यह है कि चुनावी माहौल में पेट्रोल-डीजल का टैक्स घटाकर रेट कम करने का यह फंडा भाजपा को कितना लाभ पहुंचाता है. क्या इससे कुछ वोट बैंक हासिल होगा.


लखनऊ में इस रेट पर बिक रहा पेट्रोल-डीजल


आपको बता दें कि टैक्स में कटौती के बाद बीते गुरुवार को ऐन दीवाली के दिन लखनऊ में पेट्रोल की कीमत 101.01 रुपये हो गई थी जो इसके पहले 106.92 रुपए थी. वहीं डीजल की कीमत 98.88 से घटकर 87.07 रुपये प्रति लीटर हो गई थी. यानि, पेट्रोल की कीमत में 5.92 रुपये और डीज़ल की कीमत में 11.81 रुपये कम किये गए. हालांकि, केंद्र सरकार के आदेश के मुताबिक पेट्रोल और डीजल में अधिकतम 10 रुपये की कमी का प्रस्ताव रखा गया था इसलिए जनता में आक्रोश फैल गया. दरअसल, प्रदेश सरकार ने अपने टैक्स में कमी नहीं की थी इसलिए यह समस्या हुई. जनता की प्रतिक्रिया जानकर अगले ही दिन उत्तर प्रदेश सरकार ने पेट्रोल पर 7 और डीजल पर 2 रुपये टैक्स और घटा दिया. अब राजधानी लखनऊ में पेट्रोल के दाम प्रति लीटर 95.28 रुपये है तो डीजल 86.80 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है.


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