UP Assembly Election 2022: यूपी विधानसभा चुनाव के पांचवे चरण में आज वोटिंग हो रही है. वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ (CM yogi Adityanath) के शहर गोरखपुर (Gorakhpur) में छठें चरण में मतदान होने हैं. इस बीच शहर के बारे जानने की जिज्ञासा लोगों में दिख रही है. दरअसल गोरखपुर की पहचान 80 के दशक में जरायम की दुनिया में टेक्सास के बाद दूसरे नंबर होती रही है. लेकिन इसके इतर गोरक्षपीठ (Gorakshpeeth), विश्व प्रसिद्ध गीता प्रेस, दुनिया के सबसे लंबे रेलवे प्लमेटफार्म, साहित्यकारों की नगरी और योग के साथ-साथ बड़े शायरों के गढ़ के रूप में भी इसे जाना जाता है.
बहुत ही कम लोग जानते हैं कि गोरखपुर में संघ (आरएसएस) ने विश्व के पहले सरस्वती शिशु मंदिर की नींव भी रखी थी. जहां संघ की नई पौध तैयार होती है. गोरखपुर सदर लोकसभा सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार पांच बार चुनाव जीत कर सांसद रहे हैं. ऐसे में जब वे गोरखपुर शहर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, तो गोरक्षपीठ और संघ की करीबी को लेकर भी जिज्ञासा होना स्वाभाविक है. संघ की शैक्षणिक संस्था विद्या भारती ने जब संघ के पहले सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना गोरखपुर में की, तो इसमें गोरक्षपीठ का भी बड़ा योगदान रहा है.
संघ ने चुनाव में लगाया एड़ी-चोटी का जोर
यही वजह है कि गोरक्षपीठ और संघ का सामंजस्य गोरखपुर में हमेशा से देखने को भी मिला है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की घोषणा हुई, तो संघ ने भी बैठकों और कार्यक्रमों के माध्यम से उन्हें भारी बहुमत से जीत दिलाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है. गोरखपुर के दुर्गाबाड़ी रोड स्थित सरस्वती शिशु मंदिर पक्कीबाग संघ के देश और दुनिया के पहले शिक्षा के केन्द्र के रूप में पहचान रखता है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शैक्षणिक संस्थान विद्या भारती ने सन् 1952 में दुर्गाबाड़ी में सरस्वती शिशु मंदिर पक्कीबाग की नींव रखी.
कृष्णकांत वर्मा रहे पहले प्रधानाचार्य
आरएसएस के गोरखपुर विभाग के विभाग प्रचारक नानाजी देशमुख, प्रचारक कृष्ण चंद गांधी, प्रचारक भाऊ राव देवरथ की प्रेरणा से इसका शुभारम्भ हुआ. पहले प्रधानाचार्य कृष्णकांत वर्मा रहे हैं. आज यहां पर 12वीं तक की शिक्षा दी जाती है. आज देश-दुनिया में 30 हजार से अधिक शाखाएं विद्या भारती के अलग-अलग नामों से संचालित हो रही हैं. संघ के प्रचारक रहे कृष्ण चंद गांधी ने इसका शुभारम्भ कर शिक्षा की अलख जगाई थी. सरस्वती शिशु मंदिर पक्कीबाग नई पौध से आज वटवृक्ष का रूप ले चुका है.
राम मंदिर के लिए एक दिन में जुटाए गए थे 9 करोड़ से ज्याद रुपये
आज देश ही नहीं, बल्कि कई दुनिया के अन्य देशों में इसकी शाखाएं संचालित हो रही हैं. संघ के प्रभाव के कारण राम मंदिर और इमरजेंसी के दौरान गोरखपुर के बड़े केंद्र और आंदोलन का ये साक्षी रहा है. आरएसएस का प्रभाव इससे भी पता चलता है कि राम मंदिर निर्माण के लिए चले धन संग्रह अभियान में संगठन ने एक ही दिन में लगभग साढ़े नौ करोड़ रुपए जुटा कर अपनी क्षमता दिखाई. संघ का गोरखपुर में हर वर्ग के बीच अच्छी पकड़ है.
गोरखपुर और आस-पास के क्षेत्रों में आरएसएस की रही है गहरी पैठ
1925 में संघ की स्थापना के कुछ ही साल बाद ही गोरखपुर में संघ का व्यापक कार्य खड़ा हो गया था. गोरखपुर और आस-पास के क्षेत्रों में आरएसएस की गहरी पैठ है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि संघ के शैक्षणिक संस्थान विद्या भारती की नींव सन् 1952 में सरस्वती शिशु मंदिर पक्कीबाग के रूप रखी गई, तो यहां पर बच्चों के अभिभावकों की प्रवेश के लिए कतार लगने लगी. हर अभिभावक बच्चों को सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ाने की इच्छा मन में पाले यहां प्रवेश के लिए आने लगा, ताकि बच्चे संस्कारवान बन सकें.
भाजपा, संघ का राजनैतिक अनुषांगिक संगठन है, जो राजनीति में सक्रिय होकर संघ के विचारों पर कार्य करता है. ऐसा माना जाता है कि भाजपा के हर फैसले में संघ की मंजूरी होती है. गोरखपुर में संघ और गोरक्षपीठ के संबंध से भाजपा को लगातार मजबूती मिलती रही है. इसका परिणाम चुनाव में देखने को मिलता रहा है. संघ के प्रयास और रणनीति से ही पिछले तीन चुनावों (दो लोकसभा और 2017 विधानसभा) में भाजपा को आपार सफलता मिली है. 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए संघ ने अपनी तैयारी जोर-शोर से शुरू कर दी है.
संघ ने 12 से 15 लोगों की बनाई टोली
इसके लिए संघ ने महानगर और जिले में समन्वयक, सह समन्वयक के रूप में 12 से 15 लोगों की टोली बनाई है. महानगर की बात करें तो दो भागों में 20 नगर बनाए गए हैं. इसमें 130 शाखाएं संचालित होती हैं, जो शाखा के बाद टोली बनाकर गली-मोहल्लों में अधिक से अधिक मतदान करने की अपील कर रहे हैं. संघ ने अपने अलग-अलग अनुसांगिक संगठनों को भी इस कार्य में लगा दिया है. संघ के प्रान्त के पदाधिकारी लगातार श्रेणीश: बैठक कर रहे है. संघ हर वर्ग हर तबके को साधने के लिए अपने संगठन जैसे विश्व हिंदू परिषद, अधिवक्ता परिषद, विद्यार्थी परिषद, विद्वत परिषद, सेविका समिति, सेवा भारती सहित अन्य संगठनों को सक्रिय कर दिया है.
यही वजह है कि गोरक्षपीठ, विश्व प्रसिद्ध गीता प्रेस, हिन्दी के कालजयी उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद, उर्दू के प्रख्यात शायर रघुपति सहाय फिराक, मजनूं गोरखपुरी, अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी, दुनिया के सबसे लंबे प्लेटफार्म के अलावा संघ की नई पौध तैयार करने के लिए देश-दुनिया के पहले सरस्वती शिशु मंदिर के रूप में भी इसकी पहचान है.
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