UP Election: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव करीब है. ऐसे में सभी दल एक दूसरे को अपने साथ लाने में जुटे हुए हैं. वहीं कुछ सहयोगी दल बड़े दलों की परेशानियां बढ़ाते दिख रहे हैं. उत्तर प्रदेश और केंद्र में अपना दल भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल के रूप में साथ साथ चल रहा है. लेकिन कानपुर में 3 सीटों को लेकर अपना दल की सियासी तैयारी भारतीय जनता पार्टी को परेशान कर सकती हैं. 


कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी और सहयोगियों के लिए काफी खास रहा है. 52 विधानसभा सीटों वाले क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी और सहयोगियों को 45 के करीब सीटें पिछले चुनाव में मिली थी. सियासी नफे नुकसान का गुणा भाग करते हुए सभी पार्टियां विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियों में जुटी हुई है. ऐसे में कुछ दल जो पहले से बड़ी पार्टियों के सहयोगी के रूप में काम कर रहे हैं वह बड़े दलों की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं. कानपुर महानगर की अगर बात की जाए तो यहां 10 विधानसभा सीटें हैं. जिनमें से 7 पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. बाकी बची 3 सीटों पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी काबिज है. इन्हीं 3 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी अपना दल की नजरें टिक गई हैं.


अपना दल ने यूपी को चार जोन में बांटा


अपना दल ने उत्तर प्रदेश को चार जोन में बांट रखा है और कानपुर सेंट्रल जोन में आता है. कानपुर महानगर की वह तीन सीटें आर्य नगर, सीसामऊ और छावनी है. जिन पर भारतीय जनता पार्टी साल 2017 में भी हार गई थी. ऐसे में अपना दल के प्रादेशिक नेताओं ने राष्ट्रीय नेताओं को अवगत कराया है कि कानपुर महानगर की इन 3 सीटों में से किसी एक सीट पर अपना दल को सहयोगी भारतीय जनता पार्टी से टिकट लेना चाहिए.


अपना दल के प्रदेश महासचिव ने दी ये जानकारी 


अपना दल की इसके पीछे तमाम सियासी गुणा गणित है. अपना दल के प्रदेश महासचिव रजनीश तिवारी की मानें तो भारतीय जनता पार्टी सीसामऊ विधानसभा पिछले 25 सालों में कभी नहीं जीत पाई. छावनी और आर्य नगर विधानसभा भी दिग्गज भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को हराकर सपा और कांग्रेस ने अपने कब्जे में गई. अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल की जन्म भूमि और कर्म भूमि कानपुर ही है. इसीलिए साल 2017 में भी कानपुर से 1 सीट अपना दल ने भारतीय जनता पार्टी से मांगी थी लेकिन नहीं मिली. इस बार यह आवाज बुलंद की गई है और पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों को यह संदेश भिजवाया गया है कि कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट अपना दल को लड़ने के लिए दे दी जाए. 


बीजेपी को मिला था फायदा 


अपना दिल की इस जोर आजमाइश के बीच भारतीय जनता पार्टी बहुत फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. भारतीय जनता पार्टी के क्षेत्रीय अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह की मानें तो अपना दल भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी पार्टी है और टिकट का बंटवारा प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं का विषय है लेकिन पार्टी सभी सीटों पर चुनाव के लिए अपनी तैयारी जोर शोर से कर रही है.


साल  2014, 2017 और 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का एक फॉर्मूला सुपरहिट साबित हुआ था. यह फॉर्मूला छोटे-छोटे क्षेत्रीय क्षत्रपों को अपने पाले में समेट कर उनके वोटों को अपनी ओर लाना था. इसका सबसे बड़ा फायदा भारतीय जनता पार्टी ने इन तीनों चुनाव में सरकार बनाकर उठाया. ऐसे में अपना दल से उठ रही इस मांग से भारतीय जनता पार्टी आने वाले दिनों में किस तरह निपटेगी, यह देखना बड़ा दिलचस्प होगा. 


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