UP Assembly Election 2022: यूपी चुनाव से पहले कैसा रहा है इन दिग्गज नेताओं का राजनीतिक सफर, एक क्लिक में जानें सबकुछ
Uttar Pradesh Election: यूपी चुनाव से पहले नेताओं का दल बदलने का सिलसिला जारी है. कुछ ऐसे नेता भी हैं जिन्होंने अपनी शुरुआत किसी और पार्टी से की थी और आज वो किसी और पार्टी में अपना भविष्य देख रहे हैं.
UP Election: यूपी में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद यूपी के सभी राजनीतिक दलों में भूचाल आ गया है, बड़े-बड़े नेता और मंत्री दल बदल कर रहे हैं, और उनके आने-जाने का सिलसिला लगातार जारी है. वहीं यूपी के चंदौली की बात करें तो यहां के चकिया विधानसभा में नेता माननीय बनने के लिए दल बदलते हैं और येन-केन-प्रकारेण उनका उद्देश्य माननीय बनना होता है.
शारदा प्रसाद की कहानी
शारदा प्रसाद 2017 में कमल का फूल चुनाव चिन्ह पर सवार होकर चकिया से लखनऊ पहुंचे हैं, शारदा प्रसाद इसके पहले बहुजन समाज पार्टी के कद्दावर नेता के रूप में चदौली जिले में जाने जाते थे, वो 2002 में हाथी चुनाव चिन्ह पर सवार होकर चदौली से लखनऊ पहुंचे थे, 2004 में राज्य मंत्री भी बने शारदा, फिर 2007 में चदौली के चदौली विधानसभा सुरक्षित सीट से जीत दर्ज की, उसके बाद 2012 में पहली बार सैयद राजा विधानसभा अस्तित्व में आया था, वहां से चुनाव लड़े और उनको हार मिली. उसके बाद उनके मन में फिर दोबारा माननीय बनने की चाहत हुई और 2016 में उन्होंने BJP का दामन थामा, और 2017 में चकिया सुरक्षित सीट से जीत दर्ज कर लखनऊ पहुंचे.
जितेन्द्र कुमार और पुनम सोनकर की कहानी
जितेन्द्र कुमार 2 महीने पहले अखिलेश यादव के यहां जाकर लखनऊ में समाजवादी पार्टी ज्वॉइन किया और माननीय बनने की चाहत में इन दिनों सपा के साइकिल पर सवार होकर चकिया से लखनऊ पहुंचना चाहते हैं. जितेन्द्र कुमार 2007 में चकिया से बसपा के हाथी चुनाव चिन्ह पर जीत दर्ज की थी और उन दिनों इनकी बसपा में तूती बोलती थी, बिना इनके आदेश से कुछ भी करना किसी भी अधिकारी के लिए संभव नही था, लेकिन बसपा से मोह भंग के बाद जितेन्द्र साईकिल पर सवार हो गए हैं और माननीय बनने की फिराक में लगे हैं. वहीं सपा से 2012 में जीत दर्ज किया था पुनम सोनकर ने और आज भी माननीय बनने की चाहत में सपा से चकिया विधानसभा से टिकट भी जोरदार तरीके से मांग रही हैं.
विकास आजाद की कहानी
विकास आजाद (BSP), ये भी माननीय बनने की फिराक में आजमगढ़ जिले से चलकर चंदौली आए हैं, और चकिया विधानसभा से बसपा के उमीदवार भी घोषित किए जा चुके हैं, इनके पिता गांधी आजाद बसपा कोटे से राज्य सभा सदस्य रह चुके हैं, और पूर्व में बिहार के प्रभारी भी.
कुल मिलाकर सभी नेता दल बदलकर या जिला बदलकर एक ही चाहत में हैं कि, किसी तरह माननीय बन जाया जाए, चाहे सवारी कोई भी हो.
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