Uttar Pradesh Election News: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Elections) के पहले भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में अधिक से अधिक नेताओं को शामिल करने की होड़ लगी हुई है. कभी बीजेपी के विधायक सपा में शामिल हो रहे हैं तो कहीं सपा के नेता बीजेपी में जा रहे हैं.


इन सबके बीच बुधवार को सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की बहू अपर्णा बिष्ट यादव (Aparna Bisht Yadav), बीजेपी में शामिल हो गईं. अपर्णा ने साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ा था लेकिन हार गईं थीं. हालांकि बीजेपी का दामन थामने वालों में अपर्णा, मुलायम परिवार से पहली शख्स नहीं हैं. इससे पहले मुलायम के समधी और सपा के विधायक रहे हरिओम यादव भी बीजेपी के साथ जा चुके हैं.


सिरसागंज से विधायक थे हरिओम
हरिओम, सिरसागंज से विधायक थे. सपा ने बीते साल फरवरी में उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था. हरिओम ने साल 2002 में पहली बार सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था. इसके बाद साल 2012 और फिर साल 2017 में वह जीतकर विधानसभा पहुंचे थे.


बता दें हरिओम के सगे भाई रामप्रकाश नेहरू की बेटी मृदुला से रणवीर सिंह यादव की शादी हुई थी. रणवीर, मुलायम के बड़े भाई रतन सिंह यादव के बेटे थे. रणवीर और मृदुला के बेटे भी मैनपुरी से सांसद रह चुके हैं. उन्हें भी मुलायम और अखिलेश का करीबी बताया जाता है. 


मुलायम की भतीजी भाजपा में
हरिओम पर आरोप था कि उन्होंने जिला पंचायत चुनाव में बीजेपी की मदद की जिसके चलते फिरोजाबाद में पार्टी जीती. माना जाता है कि हरिओम, शिवपाल सिंह यादव के करीबी हैं लेकिन उनके पार्टी छोड़कर जाने के बाद भी वह सपा में बने रहे.


वहीं यूपी में पंचायत चुनाव से पहले सपा नेता धर्मेंद्र यादव की सगी बहन संध्या यादव, बीजेपी में शामिल हो गईं थीं.  संध्या और उनके पति अनुजेश, दोनों ने बीते साल बीजेपी का दामन थाम लिया था. इनता ही नहीं बीजेपी ने संध्या को जिला पंचायत का टिकट भी दिया था, हालांकि उन्हें सपा के समर्थन वाले प्रत्याशी प्रमोद कुमार से मात खानी पड़ी थी. संध्या, मुलायम के भाई अभयराम यादव की बेटी हैं.   


संध्या सपा से जिला पंचायत अध्यक्ष रही हैं. बीते साल पंचायत चुनाव में मैनपुरी के वार्ड संख्या 18 से संध्या ने बीजेपी समर्थित प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा लेकिन 1900 वोटों से हार गईं. संध्या की बीजेपी से करीबी उस वक्त बढ़ी जब पार्टी ने उनकी अध्यक्ष पद की कुर्सी बचा ली थी. दरअसल, जनवरी 2015 में जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं संध्या के खिलाफ जुलाई 2015 में अविश्वास प्रस्ताव आया जिसके बाद भाजपा ने उनका समर्थन किया और प्रस्ताव पारित नहीं हुआ है. उसके बाद ही संध्या और उनके पति अनुजेश बीजेपी में आ गए.


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