UP Lok Sabha Election Result 2024: उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ-साथ छोटे दलों की सियासी जमीन सिकुड़ गई. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी गठबंधन ने 80 सीटों में 43 सीटों पर जीत दर्ज की. वहीं राज्य में सरकार होने के बाद भी बीजेपी गठबंधन को उससे कम सीटें मिली. बीजेपी ने 33, जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी ने दो और अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल (सोनेलाल) ने एक सीट पर जीत दर्ज की. दिलचस्प है कि जयंत चौधरी और अनुप्रिया पटेल वोट ट्रांसफर कराने में बीजेपी की खास मदद नहीं कर सके. 


वहीं कांग्रेस-सपा गठबंधन ने बीजेपी गठबंधन में शामिल ओम प्रकाश राजभर और संजय निषाद को चारों खाने चित कर दिया. दोनों ही दलों का दावा रहा है कि उनकी जाति के वोटर्स उन्हीं के साथ हैं. गठबंधन के लिहाज बीजेपी ने पूरब से लेकर पश्चिम तक साधा, पश्चिम में जहां आरएलडी को अपने साथ जोड़ा वहीं पूरब में ओम प्रकाश राजभर को अपने साथ लेकर आई, लेकिन इसका परिणाम पर असर नहीं पड़ा.


अनुप्रिया पटेल का हाल


बता दें कि लोकसभा चुनाव में वोटिंग से पहले अखिलेश यादव के साथ गठबंधन में रहे पल्लवी पेटल, संजय चौहान, केशव देव और स्वामी प्रसाद मौर्य ने किनारा कर लिया था. पूर्व सीएम ने इसके बाद कांग्रेस से गठबंधन पर मुहर लगाई और टीएमसी को एक सीट दी.


सबसे बड़ा झटका अनुप्रिया पटेल की पार्टी को लगा. मिर्जापुर से 2014 से वो लगातार सांसद हैं और मोदी कैबिनेट में मंत्री भी हैं, लेकिन इस बार वो मात्र 37 हजार वोट से जीत दर्ज कर सकीं. उन्हें 471631 वोट मिले, जबकी सपा उम्मीदवार रमेश चंद्र बिंद को 433821 वोट मिले. यहां से बीएसपी के उम्मीदवार मनीष कुमार को 144446 वोट मिले.


अनुप्रिया पटेल 2014 और 2019 में 2 लाख से ज्यादा वोटों से जीती थीं. इतना ही नहीं बीजेपी ने इस बार अपना दल को 2 सीटें दी थीं. सोनभद्र जिले की राबर्ट्सगंज से अपना दल के उम्मीदवार को सवा लाख अधिक वोटों से हार का सामना करना पड़ा. अपना दल को 0.92 को वोट मिले हैं.


सुहेलदेव समाज पार्टी?
अपने बयानों से चर्चा में रहने वाले सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर अपने बेटे को भी जीत दिलाने में असफल रहे. घोसी सीट से समाजवादी पार्टी के राजीव राय ने अरविंद राजभर को 162943 वोटों से हराया. घोसी में सबसे अधिक राजभर वोटर हैं.


राजभर कभी सीएम योगी और पीएम मोदी के लिए तीखे बयान दिए थे लेकिन 2022 के बाद अखिलेश को छोड़ कर बीजेपी के पाले में चले गए. पूरे चुनाव में अखिलेश और सामाजवादी पार्टी जम कर हमला बोला और कई बार दावा किया कि 2022 में पूर्वांचल में सपा को जो जीत मिली थी, वो उनके कारण थी और लोकसभा में खाता नहीं खुलेगा.


ओपी राजभर ये भी दावा करते थे कि तो बीजेपी को पूर्वांचल की कम से कम पांच सीटों पर जीत मिलेगी. इनमें गाजीपुर, चंदौंली, बलिया, घोसी और सलेमपुर सीट है. यहां राजभर एक तरफा बीजेपी के लिए वोट करेगा, लेकिन इन सभी सीटों पर बीजेपी हार गई, ज्यादातर सीटों पर अंतर एक लाख से पार है.


निषाद पार्टी
संजय निषाद पार्टी के अध्यक्ष हैं यूपी सरकार में मंत्री हैं, लेकिन अपने बेटे को बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ाया. प्रवीण निषाद संतकबीर नगर से 2019 में बीजेपी के टिकट से जीते थे, इस बार फिर लड़े लेकिन इस बार सपा के पप्पू निषाद से 92 हजार वोटों से हार गए. इससे साफ है कि निषादों ने संजय निषाद के बेटे तक को वोट नहीं दिया. ये संजय निषाद के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.


अपना दल (कमेरावादी)
अपना दल के संस्थाक सोनेलाल पटेल की पत्नी कृष्णा पटेल और छोटी बेटी पल्लवी पटेल का ये दल है. 2022 के चुनावों मे पल्लवी पटेल नें यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को कौशांबी जिले की सिराथू सीट से हराकर सनसनी मचा दी थी. पल्लवी पटेल समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ी थी.


2024 के चुनाव से पहले पल्लवी पटेल और अखिलेश यादव में राज्यसभा चुनाव में खटास आ गई थी, पल्लवी ने लोकसभा सीटों को लेकर अड़ गईं, लेकिन अखिलेश ने इनकार कर दिया. लिहाजा गठबंधन टूट गया और उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के साथ गठबंधन किया. ये गठबंधन कुछ खास नहीं कर सका.
 
उन्होंने यूपी के कई सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे लेकिन हालत का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि जिस कौशांबी जिले से वो विधायक हैं, उस जिले में उनके उम्मीदवार को महज 5 हजार वोट मिले हैं.


राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी
अपने बयानों के लिए मशहूर स्वामी प्रसाद मौर्य 2022 के चुनाव से पहले बीजेपी छोड़ कर सपा में आए और 2024 के चुनाव से पहले सपा को अलविदा कह दिया. फिर अपनी पार्टी बनाई और कुशीनगर से चुनाव लड़े. वो चौथे नंबर पर रहे और 36000 वोट मिले.


लोकसभा चुनाव में मिली पटखनी के बाद अब दिलचस्प होगा कि इन दलों का अगला रुख क्या होगा? दरअसल, हार के बाद मंत्री ओम प्रकाश राजभर को दिल्ली में एनडीए की बैठक में भी नहीं बुलाया गया. संजय निषाद भी बैठक में नहीं दिखे.


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