UP Electricity Crisis: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में शनिवार को भी आम लोगों को बिजली संकट (Electricity Crisis) के कारण होने वाली समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है. बिजली संकट के कारण कई जगह जल की आपूर्ति (Water Supply) भी ठप हुई है और लोगों को पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है. सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने बिजली संकट को लेकर उच्च स्तरीय बैठक की जिसमें ऊर्जा मंत्री एके शर्मा भी मौजूद रहे. वहीं, हड़ताल पर गए बिजली कर्मचारी सरकार की सुनने को तैयार नहीं दिख रहे. हाईकोर्ट के नोटिस के बावजूद वे अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं और अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दे रहे हैं. आइए जानते हैं क्या है उनकी मांगें...



  • बिजली कर्मचारियों ने अपने कार्यकाल के तीन पड़ाव यानी नौ, 14 और 19वें साल की सेवा के बाद तीन प्रमोशन के तहत वेतनमान देने की मांग की है यानी पदोन्नत पदों के समयबद्ध वेतनमान के आदेश को लागू करने की मांग की है. 

  • उनकी मांग है कि निर्धारित प्रक्रिया के तहत यानी कि समिति के जरिए ऊर्जा निगमों के चेयरमैन और प्रबंधन निदेशक का चयन हो.

  • कर्मचारियों ने सुरक्षा के लिहाज से पावर सेक्टर एम्पलॉइज प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की भी मांग की है.

  • कर्मचारियों ने स्वास्थ्य सेवा के संबंध में भी अपनी मांग रखी है. उनका कहना है कि उन्हें कैशलेश इलाज की सुविधा मिले.

  • नए बिजली सब-स्टेशन का निर्माण ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन से कराए जाने की मांग की गई है.

  • कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए यह मांग की गई है कि सभी निगमों में एक समान मानदेय हों और वेतन की विसंगतियां दूर की जाएं.

  • हड़ताली कर्मचारियों ने पुनरीक्षण और वेतन विसंगतियों के निराकरण की भी मांग की है.

  • इन कर्मचारियों की मांग है कि ट्रांसफॉर्मर वर्कशॉप के निजीकरण के जो आदेश दिए गए हैं, उसे वापस लिया जाए.

  • इसके अलावा पावर सब-स्टेशन में आउटसोर्स के जरिए संचालन करने के लिए गए फैसले को रद्द किया जाए.

  • दिल्ली, ओडिशा, पंजाब और तेलंगाना की ऊर्जा निगमों में जिस तरह कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को नियमित किया गया है यूपी में भी ठीक वैसे ही नियमित किया जाए.

  • हड़ताली कर्मचारियों ने लंबे समय से अटके बोनस के भुगतान की भी मांग की है.


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