Etah News: आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम मे एटा के बड़े स्वतंत्रता सेनानी रहे नबाब सिंह यादव के बेटे और पूर्व सांसद कैलाश यादव ने बताया कि कैसे उनके पिता ने आजादी की लड़ाई मे अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था. उन्होंने बताया कि 1942 में पिता चौधरी नबाब सिंह अंग्रेजो के खिलाफ लड़ने के आरोप मे 17 लोगों के साथ जेल गए थे जिनमे हमारे गांव लाल गढ़ी के 11 आदमी थे.
आंधी का फायदा उठाकर भाग निकले थे नबाब सिंह
भारत के प्रसिद्द लवी बलवीर सिंह रंग भी उसी समय जेल गए थे. बाद में सभी को सजाएं हुईं किसी को 6 महीने की तो किसी को 8 महीने की. मेरे पिता को 6 महीने की सजा हुई, उसके बाद 1 साल की सजा हुई थी. 25 रुपये का जुर्माना भी हुआ था उस समय 25 रुपये पूरे गांव पर नहीं थे. लालगढ़ी एक ऐसा गांव है जहां के फ्रीडम फाइटरों का जैसा पूरे उत्तर प्रदेश मे नहीं है. नबाब सिंह मेहता लाइब्रेरी की छत से गिरफ्तार हुए थे. उनके ऊपर टेलीफोन लाइन के तार काटकर संचार सेवा ठप्प करने की जिम्मेदारी थी. उसके बाद आमलखेड़ा मे अंग्रेजो से गोली चली थी जिसमे 14 आदमी मारे गए थे. उस समय पिता जी आंधी का फायदा उठाकर भाग निकले थे.
स्वतंत्रता की लड़ाई में मुसलमानों का भी बहुत बड़ा योगदान
चौधरी नबाब सिंह 5 जिलों से एमएलसी रहे, वे पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी थे. वे आगरा, मथुरा, मैनपुरी से भी एमएलसी रहे. 35 साल तक जिला कोऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन रहे और 8 साल तक पीसीएफ के चेयरमैन रहे. इस दौरान वे कहते हैं कि एटा जनपद के सबसे सीनियर स्वतंत्रता सेनानी महावीर सिंह राठौर और बाबूराम वर्मा थे. उसके बाद होतीलाल दास, टुंडमाल, ईश्वरी सिंह और जैथरा के खा साहब थे. एटा में स्वतंत्रता की लड़ाई में मुसलमानों का भी बहुत बड़ा योगदान था. कई मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी रहे.
इसी के साथ उन्होंने कहा कि अच्छी बात है कि सरकार आजादी का अमृत महोत्सव के तहत हर घर तिरंगा अभियान चला रही है. किसी भी देश की आजादी के लिए 75 साल बहुत होते हैं लेकिन वे दो बातों पर अपना ऐतराज जताते हैं. कहते हैं कि तिरंगा खादी का होना चाहिए और हर घर तिरंगा अभियान के बाद इस तिरंगे का दुरूपयोग न हो ये भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
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