UP: गाजियाबाद में ब्लैक और व्हाइट फंगस का पहला मरीज मिला, जानिए क्या होती है ये बिमारी
UP: ब्लैक फंगस उन मरीजों में पाया जाता है, जिन्हें बहुत ज्यादा स्टेरॉयड दिए गए हों. ये आंख और ब्रेन को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है. इसमें डेथ रेट 50 फीसदी के आसपास है.
UP News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गाजियाबाद (Ghaziabad) में ब्लैक और वाइट दोनों फंगस का एक मरीज पाया गया है. मरीज में दोनों फंगस मौजूद हैं. उत्तर प्रदेश में यह अपने आप में एक पहला केस है. गाजियाबाद के हर्ष ईएनटी हॉस्पिटल से 55 साल के व्यक्ति का सैंपल 24 दिसंबर को नोएडा की पैथोलॉजी कंस्लटेंसी सर्विस लैब में भेजा गया था. 27 दिसंबर को जांच में ये सैंपल फंगस पॉजिटिव पाया गया है.
हॉस्पिटल के डॉक्टर बीपीएस त्यागी ने क्या बताया
हॉस्पिटल के डॉक्टर बीपीएस त्यागी ने बताया कि मरीज में ब्लैक और व्हाइट दोनों तरह का फंगस पाया गया है. स्वास्थ्य विभाग के जिला सर्विलांस ऑफिसर डॉक्टर आरके गुप्ता ने कहा की सरकारी हॉस्पिटल में ब्लैक-व्हाइट फंगस का कोई मरीज नहीं मिला है. मीडिया से प्राप्त जानकारी के आधार पर प्राइवेट डॉक्टर से संपर्क करके मरीज की हिस्ट्री ली गई. इस मरीज का कोविड से कोई संबंध नहीं है. ये फंगस नॉन कोविड मरीज को भी हो सकता है, इसमें घबराने जैसी कोई बात नहीं है. मरीज की हिस्ट्री से पता चला है कि इसको नाक से ब्लड आया था. जांच कराने पर उसमें फंगस की पुष्टि हुई है. 27 दिसंबर को जांच में मरीज का सैंपल फंगस पॉजिटिव पाया गया है.
ब्लैक फंगस
ये उन मरीजों में पाया जाता है, जिन्हें बहुत ज्यादा स्टेरॉयड दिए गए हों. ये आंख और ब्रेन को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है. इसमें डेथ रेट 50 फीसदी के आसपास है. यानि हर दो में से एक व्यक्ति की जान को खतरा है.
व्हाइट फंगस
ये बीमारी उन मरीजों को भी संभव है, जिन्हें कोरोना नहीं हुआ. ये फंगस लंग्स, किडनी, आंत, पेट और नाखूनों को प्रभावित करता है. ये एक आम फंगस से है, जो कोरोना महामारी से पहले भी लोगों को होता था. जिनकी इम्युनिटी कम होती है, उन्हें ऐसी बीमारी हो सकती है.