Gorakhpur Basti News: अफ्रीकी देश सूडान में जारी गृहयुद्ध में फंसे भारतीयों की स्वदेश वापसी की मुहिम में ऑपरेशन कावेरी के तहत वहां से वापस आने वालों में 31 लोग प्रदेश के गोरखपुर-बस्ती मंडल के रहने वाले हैं. एक सरकारी बयान में इसकी जानकारी दी गयी है. बयान में कहा गया है कि इन लोगों में देवरिया के 12, कुशीनगर के 13, गोरखपुर के पांच तथा तथा सिद्धार्थनगर का एक व्यक्ति शामिल है और वतन वापसी पर राज्य सरकार ने पूरी देखभाल के साथ उन्हें वातानुकूलित बसों के जरिये उनके घर तक पहुंचाया .
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बयान में बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश के अधिकारी लगातार विदेश मंत्रालय की टीम के साथ संपर्क में हैं. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री का स्पष्ट निर्देश है कि उप्र के जो भी लोग सूडान से लौट रहै हैं, उनकी वापसी के बाद उनके भोजन-नाश्ते की उत्तम व्यवस्था करते हुए सुविधाजनक साधन से घर तक पहुंचाया जाए. उन्होंने बताया कि इसी क्रम में दिल्ली लाए गए उप्र के लोगों को बृहस्पतिवार को वातानुकूलित बसों और फिर गाड़ियों से उनके घर पहुंचाया गया.
गोरखपुर-बस्ती मंडल के रहने वाले 31 लोगों का दल बस से बृहस्पतिवार की दोपहर बाद सहजनवा पहुंचा. इन सबको उनके घर भेजने की व्यवस्था की गयी. सूडान से लौटे लोगों ने कहा, ‘‘वहां हाल में बिताए गए दिन बेहद खौफनाक रहे. पर, सरकार की पहल से सुरक्षित वतन वापसी और यहां इतनी आत्मीयता से देखभाल के साथ घर तक पहुंचाने की व्यवस्था से खौफ छू मंतर हो गया. भारत सरकार ने जिस तरह हमें संकट से निकाला और उप्र सरकार ने घर पहुंचने तक हर कदम ख्याल रखा, वह अभिभूत कर देने वाला है.’’
कुछ दिन और फंसे रहते तो भूख से मर जाते
मीडिया से बातचीत में गोरखपुर के हथियापरास निवासी जनार्दन त्रिपाठी, राजेंद्र नगर के मनीष गुप्ता, गगहा के देव नारायण, कुशीनगर के राघवेंद्र यादव, देवरिया के संतोष चौरसिया ने कहा कि गृहयुद्ध के कारण सूडान में पिछले 15 दिनों से जीवन नारकीय हो गया था, हमारी कमाई तो वहीं लूट ली गई तथा कुछ दिन और फंसे रहते तो भूख से मर जाते.
कोई सामान नहीं ला पाए
उन लोगों ने कहा कि कोई शरीर पर पहने वस्त्र में ही लौटा तो कोई एक छोटे से बैग में एक-दो जोड़ी कपड़ा लेकर, और कोई सामान नहीं ला पाए. नागरिकों ने बताया कि उन्हें भारतीय दूतावास ने पोर्ट सूडान से नेवी, आर्मी और एयरफोर्स की मदद से जेद्दा भिजवाया. वहां से उन्हें हवाई जहाज से दिल्ली लाया गया. उत्तर प्रदेश भवन में भोजन एवं विश्राम कराने के बाद सरकार ने उन्हें घर भेजने और रास्ते भर खानपान की उत्कृष्ट व्यवस्था की.