'मैं अब मिट्टी में मिल चुका हूं. माफियागिरी भी खत्म हो गई है. अब तो बस रगड़ा जा रहा है. मैं सरकार और पुलिस से निवेदन करता हूं कि मेरे बच्चे और परिवार के औरतों को परेशान न करें...',12 अप्रैल को साबरमती से प्रयागराज आने के बाद बाहुबली माफिया अतीक अहमद ने पत्रकारों से ये बात कही थी.
इस बयान के ठीक एक दिन बाद यानी 13 अप्रैल को उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी और अतीक के बेटे असद का एनकाउंटर हो जाता है. बेटे की मौत की खबर सुन 'काहे का डर' कहने वाला अतीक कोर्ट में ही रोने लगता है. बेटे की हत्या के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराता है. यह पहला मौका था, जब अतीक सार्वजनिक तौर पर अपने अपराध को कोस रह था.
उमेश पाल हत्याकांड के बाद से ही पुलिस और प्रशासन की टीम ने अतीक और उसके परिवार पर नकेल कसना शुरू कर दिया था. पहले अतीक के परिवार की कानूनी घेराबंदी की गई और फिर उसके बेटे का एनकाउंटर हो गया.
40 साल से प्रयागराज और आसपास के जिलों में आतंक का प्रयाय बन चुके अतीक का दबदबा खत्म करने में यूपी के 3 अधिकारियों ने बड़ी भूमिका निभाई है. अतीक पर पहले भी एक्शन हुआ है, लेकिन इन तीन अधिकारियों ने अतीक के साम्राज्य को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया. इस स्टोरी में इन्हीं तीनों अधिकारियों के बारे में विस्तार से जानते हैं...
1. संजय खत्री, कलेक्टर प्रयागराज- 2010 बैच के आईएएस अधिकारी संजय कुमार खत्री को 2021 में प्रयागराज का जिलाधिकारी बनाया गया था. खत्री गाजीपुर में माफिया पर कार्रवाई को लेकर भी सुर्खियों में रहे थे. खत्री गाजीपुर और रायबरेली के जिलाधिकारी रह चुके हैं.
खत्री के जिलाधिकारी बनने के बाद अतीक पर नकेल कसना शुरू हो गया. अतीक के अपराध जगत से कमाए पैसों को जिला प्रशासन ने तेजी से जब्त करना शुरू कर दिया. यानी अतीक पर पुलिसिया कार्रवाई के साथ ही आर्थिक कार्रवाई भी तेजी से होने लगी.
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 3 साल में अतीक अहमद और उसके परिवार से जुड़े करीब 300 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की गई है. इनमें लखनऊ और प्रयागराज का आलीशान बंगला भी शामिल है. अतीक की संपत्ति जब्त होने के बाद ईडी भी एक्टिव हुई है और मनी लॉन्ड्रिंग एंगल से केस की जांच कर रही है.
खत्री के मोर्चा संभालने के बाद अतीक के 12 मददगारों पर भी शिकंजा कसा गया. इनमें कुछ उसके शूटर भी शामिल थे. प्रयागराज के नैनी जेल में अतीक और उसके गुर्गों का दरबार लगता था, जिस वजह से उसका रंगदारी का धंधा अनवरत चलता रहता था. खत्री ने छापेमारी कर इस पर भी रोक लगाई.
उमेश पाल हत्याकांड के बाद प्रयागराज प्रशासन पर सवाल उठने शुरू हो गए थे. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी जिला प्रशासन की खिंचाई की थी. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि धूमनगंज थाने में अतीक का ही रिट चलता है, वहां सरकार फेल है.
पुलिस और प्रशासन ने इसके बाद छवि सुधारने पर फोकस किया. उमेश पाल हत्याकांड की जांच में तेजी आई और धूमनगंज थाने में ही अतीक की पत्नी, बहन और भांजियों पर केस दर्ज किया गया. अतीक को जिला प्रशासन ने साबरमती जेल से बायरोड लाने का फैसला किया, जिसके बाद अतीक ने एनकाउंटर की आशंका भी जताई थी.
संजय खत्री के नेतृत्व में अभी भी पिपरी और कौशांबी में अतीक के अवैध संपत्तियों की शिनाख्त की जा रही है. माना जा रहा है कि इन पर भी जल्द ही कार्रवाई की जाएगी.
राजस्थान निवासी खत्री यूपी काडर के 2010 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. डीएम के रूप में खत्री की पहल पोस्टिंग गाजीपुर में हुई थी, जो काफी विवादित रहा. उस वक्त खत्री से तंग आकर सरकार में मंत्री रहे ओम प्रकाश राजभर ने इस्तीफा देने की धमकी दे दी थी.
(Photo- Social Media)
खत्री मायावती सरकार के समय सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने जालौन में खनन सिंडिकेट पर छापेमारी की थी. यह सिंडिकेट सीधे पॉन्टी चड्ढा से जुड़ा हुआ था. राजनीतिक दबाव के बावजूद खत्री ने यह कार्रवाई की थी.
2. अमिताभ यश, एडीजी एसटीएफ- यूपी स्पेशल टास्क फोर्स के प्रमुख एडीजी अभिताभ यश भी अतीक के साम्राज्य को ध्वस्त करने में प्रमुख भूमिका में निभा रहे हैं. उमेश पाल की हत्या के बाद यूपी सरकार ने एसटीएफ को जांच की जिम्मेदारी सौंपी. केस में अतीक अहमद और उसके करीबी आरोपी बनाए गए.
प्रयागराज के धूमनगंज थाने में दर्ज एफआईआर के आधार पर एसटीएफ की 18 टीमें जांच में जुट गई. यूपी एसटीएफ का पहला फोकस अतीक अहमद का बेटा असद, शूटर गुड्डू मुस्लिम और शूटर गुलाम मोहम्मद को गिरफ्तार करना था.
एसटीएफ की टीम ने इसके लिए 4400 सिम कार्ड को एक साथ ट्रेस किया. 9 राज्यों में एसटीएफ की छापेमारी हुई और करीब 600 संदिग्धों से पूछताछ की गई. यूपी एसटीएफ को जब झांसी में असद के होने का इनपुट मिला तो 10 लोगों की टीम को पीछे लगाया गया.
अमिताभ यश लखनऊ से इसकी मॉनिटरिंग करते रहे. असद के एनकाउंटर के बाद यश तुरंत मीडिया से मुखातिब हुए और उसके मारे जाने की पुष्टि की. यश इसके बाद यूपी के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी शामिल हुए.
यूपी एसटीएफ अब तक उमेश पाल हत्याकांड के 4 आरोपियों का एनकाउंटर कर चुकी हैं. 2 आरोपी अब भी फरार है. अमिताभ यश ने अपने बयान में कहा है कि कार्रवाई अभी पूरी नहीं हुई है.
कौन हैं अमिताभ यश?
1996 बैच के आईपीएस अधिकारी अमिताभ यश मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं. 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार आई तो अमिताभ को स्पेशल टास्क फोर्स में आईजी बनाया गया. अमिताभ यूपी के संत कबीर नगर बाराबंकी महाराजगंज, हरदोई, जालौन, सहारनपुर, सीतापुर, बुलंदशहर, नोएडा और कानपुर में पुलिस कप्तान की भूमिका निभा चुके हैं.
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2007 में अमिताभ उस वक्त सुर्खियों में आए थे, जब उनकी टीम ने खूंखार डकैत ददु्आ को एनकाउंटर में मार गिराया था. इसके कुछ दिन बाद ददुआ के करीबी ठोकिया भी एसटीएफ के मुठभेड़ में मारे गए थे.
योगी सरकार आने के बाद विकास दुबे, रमेश कालिया जैसे दुर्दांत अपराधियों का एनकाउंटर हुआ है. सभी एनकाउंटर में अमिताभ यश की भूमिका रही है. अमिताभ की निष्पक्षता को लेकर 2022 चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी ने सवाल भी उठाया था और आयोग से उन्हें हटाने की मांग की थी.
3. अनंत देव तिवारी, एसएसपी एसटीएफ- इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद बैकफुट पर आई योगी सरकार ने उमेश पाल हत्याकांड के लिए 5 मार्च को बड़ा बदलाव किया था. उमेश पाल हत्या में शामिल शूटरों को पकड़ने की जिम्मेदारी एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अनंत देव तिवारी को सौंपी गई थी.
यूपी सरकार के इस फैसले के बाद से ही अतीक का परिवार टेंशन में था. अनंत देव ने कमान मिलने के बाद एसटीएफ के कुछ अधिकारियों को छांटकर एक टीम बनाई थी. इस टीम में डीसपी नवेंदु और डीएसपी विमल जैसे अधिकारी शामिल थे.
अनंत की टीम ने कमान संभालते हुए केस से जुड़े शूटरों का 6 और 7 मार्च को मुठभेड़ में मार गिराया. इसके बाद अतीक और उसके भाई अशरफ के कई करीबियों पर शिकंजा कसा गया.
अनंत देव की टीम ने ही अतीक के बेटे असद का एनकाउंटर किया. उमेश पाल हत्याकांड के बाद अतीक पर कई कार्रवाई हुई, लेकिन बेटे की मौत के बाद उसे पहली बार रोते और नर्वस होते देखा गया.
असद पिता के जेल जाने के बाद उनका आपराधिक साम्राज्य देखता था. पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया है कि असद ने गुड्डू बमबाज के साथ मिलकर उमेश हत्या को अंजाम दिया था.
कौन हैं अनंत देव तिवारी?
1987 बैच के पीपीएस अधिकारी अनंत देव तिवारी का 2006 में बतौर आईपीएस पदोन्नत हुए. तिवारी की पहचान यूपी में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में रही है. अनंत देव तिवारी का नेटवर्क काफी मजबूत माना जाता है, इसी वजह से बड़े से बड़े दुर्दांत अपराधी को पकड़ने में यूपी एसटीएफ उनकी सहायता लेती है.
2007 में एसटीएफ में एसपी बनने के बाद ददुआ को मारने के लिए अनंत ने कई दिनों तक बीहड़ के गांवों को अपना ठिकाना बनाया था. ददुआ के एनकाउंटर के बाद उसका चेला ठोकिया ने एसटीएफ पर हमला कर दिया था, जिसमें 15 जवान शहीद हो गए थे.
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इसके बाद अनंत को ही ठोकिया को भी मारने की जिम्मेदारी मिली. गुप्तचर के सहारे अनंत ठोकिया को भी मारने में कामयाब रहे. अनंत देव बिकरू कांड के बाद सुर्खियों में आए थे, जिसके बाद उन्हें 23 महीने के लिए सस्पेंड कर दिया गया था.
अनंत देव एसटीएफ में रहते हुए अब तक 150 एनकाउंटर में शामिल हो चुके हैं. 40 से ज्यादा एनकाउंटर को खुद उन्होंने लीड किया है.