यूपी सरकार ने HC में माना 31 हज़ार पदों पर शिक्षक भर्ती में हुई गड़बड़ी, गलत नियुक्ति पाए अभ्यर्थियों का सेलेक्शन होगा रद्द
सरकार ने हाईकोर्ट में यह कहा है कि कम मेरिट वाले कुछ अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र मिल गया है, जबकि ज़्यादा मेरिट वाले कुछ अभ्यर्थी सूची से बाहर रह गए हैं.
प्रयागराज : यूपी के प्राइमरी स्कूलों में उनहत्तर हज़ार असिस्टेंट टीचर्स की भर्ती को लेकर विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है. सरकार ने विवाद को कम करने के लिए इकतीस हज़ार पदों पर काउंसलिंग कराकर अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी कर दिए, लेकिन अब इसमें भी गड़बड़ी व लापरवाही किए जाने का मामला सामने आया है.
मामला हाईकोर्ट की दहलीज तक पहुंचा तो बैकफुट पर आई सरकार ने गड़बड़ी की बात को न सिर्फ कबूल कर लिया है, बल्कि दो हफ्ते में ठीक कराने का एलान भी कर दिया है. यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में माना है कि बेसिक शिक्षा परिषद और एनआईसी की वजह से काउंसलिंग की लिस्ट तैयार करने में गड़बड़ी हुई है. सरकार ने हाईकोर्ट में यह कहा है कि कम मेरिट वाले कुछ अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र मिल गया है, जबकि ज़्यादा मेरिट वाले कुछ अभ्यर्थी सूची से बाहर रह गए हैं.
सरकार की तरफ एडवोकेट जनरल राघवेंद्र सिंह ने बताया कि गड़बड़ियों की जांच के लिए एक कमेटी गठित कर दी गई है. जांच रिपोर्ट के आधार पर कम नंबर मिलने के बावजूद नियुक्ति पत्र पाने वाले अभ्यर्थियों का सेलेक्शन रद्द किया जाएगा और साथ ही ज़्यादा नंबर पाने वालों को सूची में जगह दी जाएगी, ज़रुरत पड़ी तो सूची नए सिरे से जारी की जाएगी.
एडवोकेट जनरल राघवेंद्र सिंह के इस बयान को कोर्ट ने रिकार्ड पर लिया है. सरकार इस मामले में जल्द ही अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेगी. अदालत इस मामले में सत्रह नवंबर को फिर से सुनवाई करेगी. मामले की सुनवाई आज जस्टिस अजीत कुमार की सिंगल बेंच में हुई.
गौरतलब है कि यूपी के प्राइमरी स्कूलों में असिस्टेंट टीचर्स के उनहत्तर हज़ार पदों पर भर्ती प्रक्रिया पिछले काफी दिनों से लंबित है. सुप्रीम कोर्ट से पिछले दिनों रोक लगने के बाद सरकार ने इकतीस हज़ार ऐसे पदों पर भर्ती करने का फैसला किया, जिन्हे लेकर कोई विवाद नहीं था. इसके लिए पिछले हफ्ते काउंसलिंग कराकर अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी किए गए. बेसिक शिक्षा विभाग ने काउंसलिंग को लेकर अभ्यर्थियों की जो लिस्ट जारी की, उसे लेकर विवाद खड़ा हो गया. आरोप यह लगाया गया कि मेरिट में ज़्यादा नंबर पाने वालों का सेलेक्शन नहीं किया गया और कम नंबर वाले अभ्यर्थियों की काउंसलिंग कराकर उन्हें नियुक्ति पत्र दे दिया गया.
आरोप यह भी लगा कि चहेतों की खातिर अफसरों ने जानबूझकर धांधली कराई है. तमाम अभ्यर्थी इसके खिलाफ लगातार बेसिक शिक्षा विभाग के दफ्तर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बीच कुछ अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया. आज सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल ने गड़बड़ी की बात कबूल कर ली और साथ ही कमेटी से जांच कराने और सूची की समीक्षा किए जाने की बात कही. याचिकाकर्ताओं की तरफ से उनके वकील अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी और अनिल सिंह बिसेन ने पक्ष रखा.
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