हमीरपुर: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में यमुना नदी के तट पर स्थित हजारों साल पुराने दुर्लभ, प्राचीन और पौराणिक कल्पवृक्ष का संरक्षण यूपी सरकार करेगी. जिसके लिए अब वन विभाग के अधिकारियों ने कमर कस ली है. शास्त्रों और पुराणों में कल्पवृक्ष का ये पेड़ मनोकामना पूरी करने वाला बताया जाता है.


महाभारत में पेड़ का जिक्र


हमीरपुर जिला मुख्यालय में यमुना नदी के किनारे लगे इस पेड़ को हजारों साल से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है. जिसका जिक्र महाभारत में भी देखने को मिलता है. वृक्ष में भगवान गणेश के मुख जैसी आकृति होने से इसे हाथी स्वरूप मानते हैं. इस कल्पवृक्ष में फल फूल तो होते हैं लेकिन इसमें कोई बीज नहीं होता, जिस कारण इसके जैसा दूसरा पेड़ बहुत कम मिलता है. इस वृक्ष को पर्यटन के क्षेत्र में भी जगह मिली है.


समुद्र मंथन में निकला था वृक्ष


कल्प वृक्ष की आयु पुराणों के अनुसार हजारों वर्ष बताई जाती है और स्थानीय लोगों की माने तो यह वृक्ष काफी समय से इसी प्रकार खड़ा है. बताया जाता है कि, देव काल में समुद्र मंथन के समय 14 रत्नों में यह अत्यंत प्राचीन कल्प वृक्ष निकला था, वैज्ञानिक तौर पर माना जाता है कि कल्पवृक्ष में सबसे अधिक ऑक्सीजन की मात्रा होती है, जिस कारण इसकी उपयोगिता और भी ज्यादा है. इसके दर्शन मात्र से ही मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.


इस पेड़ को संरक्षित किया गया


प्रदेश सरकार 100 वर्ष से अधिक पुराने व ऐतिहासिक महत्व के दुर्लभ वृक्षों को विरासत वृक्ष घोषित कर रही है. इस सूची में फिलहाल अभी तक जिले का एक अकेले पेड़ कल्पवृक्ष को शामिल किया गया है. हमीरपुर जिले के डीएफओ का कहना है कि स्वर्ग के इस पेड़ को प्रदेश सरकार विरासत वृक्ष के रूप में दर्ज कर इसका सर्वांगीण विकास किया जायेगा. हमीरपुर जिले के डीएफओ ने बताया कि यह पुराणिक महत्व का वृक्ष है. पुराणों के अनुसार इसे स्वर्ग से भगवान श्री कृष्ण द्वारा सत्यभामा की मांग पर धरती पर लाया था, अब इसे संरक्षित करके इसकी देखभाल प्रदेश सरकार करेगी.


वृक्ष कल्पवृक्ष या कोई और लेकिन इनका संरक्षण बहुत जरूरी है. इस युग में जब लोग वृक्षारोपण करने की जगह वृक्षों का दोहन और कटान कर रहे हैं, ऐसे में योगी सरकार का ये कार्य सराहनीय है जिसकी लोग खूब तारीफ कर रहे हैं.


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