लखनऊ: उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव मामले पर उत्तर प्रदेश सरकार ने कैविएट दाखिल किया है. सरकार का कहना है कि पंचायत चुनाव से जुड़ी सुनवाई के दौरान उनका पक्ष भी सुना जाए. बता दें कि, यूपी में होने वाले पंचायत चुनाव के लिये जारी की गई आरक्षण सूची के लेकर हाईकोर्ट की फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 2015 के नियम के अनुसार ही आरक्षण को लागू करने की व्यवस्था की थी.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका क्या है
अब ये मामला चुंकि सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. इस बीच आज यूपी सरकार ने भी इस पर कैविएट दाखिल कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के मुताबिक, हाईकोर्ट के फैसले के बाद जारी की गई नई आरक्षण लिस्ट में दलितों और वंचितों को संविधान में प्रदत्त अधिकारों का हनन हो रहा है. इसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है.
वहीं, दूसरी तरफ प्रदेश में इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले में बड़ी संख्या में लोग अपनी सहमति दे चुके हैं, और सरकार 2015 को आधार वर्ष मानकर नई सूची भी तैयार करा रही है. लेकिन, दिलीप कुमार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) में कहा है कि हाईकोर्ट के फैसले पर विचार किया जाना चाहिए.
क्या होती है कैविएट अर्जी
कैविएट एक लैटिन शब्द है. इसका अर्थ होता है सतर्क (Be Aware). ये एक सूचना है जो एक पक्ष के द्वारा कोर्ट को दी जाती है. इसके तहत ये कहा जाता है कि, अदालत वादी को बिना नोटिस भेजे विपक्षी पार्टी को कोई भी राहत न दें, और ना ही कोई कार्रवाई करे. ये एक तरह का बचाव होता है जो एक पक्ष द्वारा लिया जाता है. सिविल प्रोसीजर कोड 148(a) के अंतर्गत कैविएट अर्जी दाखिल की जाती है.
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