नई दिल्ली: हाथरस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज यूपी सरकार से 3 सवाल पूछे. कोर्ट ने कहा है कि वह सही जांच सुनिश्चित करना चाहता है. इसके लिए वह सरकार का जवाब देख कर आदेश देगा.


SC के 3 सवाल
मामले में दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह माना कि पहले याचिकाकर्ताओं को हाई कोर्ट जाना चाहिए था. सुनवाई कर रही बेंच के अध्यक्ष चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा कि हाई कोर्ट भी एक संवैधानिक कोर्ट है. वह मामले में आदेश देने में पूरी तरह से सक्षम है. याचिकाकर्ताओं को पहले वहां जाना चाहिए था.


हालांकि जजों ने यह माना कि मामला असाधारण है. ऐसे में तात्कालिक तौर पर कुछ चीजें देखे जाने की जरूरत है. कोर्ट ने यूपी सरकार से तीन बिंदुओं पर जवाब देने के लिए कहा :-


1. पीड़ित परिवार और गवाहों को किस तरह की सुरक्षा दी गई है?
2. क्या पीड़ित परिवार ने अपने लिए वकील नियुक्त कर लिया है?
3. इलाहाबाद हाईकोर्ट में मामला किस स्थिति में है?


यूपी सरकार के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह इन सवालों के जवाब 2 दिन में दाखिल कर देंगे. इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई अगले हफ्ते करने की बात कही.


यूपी सरकार का बिन मांगा हलफनामा
आमतौर पर किसी मामले में कोर्ट का नोटिस मिलने के बाद ही सरकार जवाब दाखिल करती है. लेकिन इस मामले में यूपी सरकार ने मुस्तैदी दिखाते हुए सुनवाई से भी पहले हलफनामा दाखिल कर दिया.


यूपी सरकार ने मामले में 14 सितंबर से लेकर अब तक उठाए गए अपने कदमों को सही ठहराया. कहा कि कानून के मुताबिक सभी आवश्यक कदम उठाए गए. पीड़िता ने जब-जब जैसा बयान दिया, उसके आधार पर एफआईआर में धाराएं जोड़ी गईं. आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. मेडिकल जांच में भले ही रेप की पुष्टि नहीं हुई हो, लेकिन पीड़िता के बयान को गंभीरता से लेते हुए जांच आगे बढ़ाई जा रही है.


यूपी सरकार ने रात 2:30 बजे पीड़िता का दाह संस्कार किए जाने पर भी अपना बचाव किया है. हलफनामे में कहा गया है कि इलाके में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने का खतरा था. इसलिए प्रशासन को यह कदम उठाना पड़ा. ऐसा करने से पहले परिवार की मंजूरी ली गई.


खुद को पूरी तरह से पाक साफ बताते हुए हलफनामे में लिखा गया है कि सरकार चाहती है कि इस तरह के दुखद हादसे में मारी जाने वाली युवती को न्याय मिले. मामले का सच सामने आए. इसलिए, उसने पहले एसआईटी का गठन किया. अब पुलिस को जांच से दूर रखने के मकसद से मामला सीबीआई को सौंपने की सिफारिश कर दी गई है.


यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से दरख्वास्त की है कि वह अपनी तरफ से जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दे दे और खुद जांच की निगरानी करे. हलफनामे में यह बताया गया है कि राजनीतिक स्वार्थ और दुर्भावना के तहत राज्य को जातीय दंगों में झोंकने की एक बड़ी साजिश रची गई है. इस पहलू की भी जांच करवाई जा रही है. अगर मामला सीबीआई को सौंपा गया, तो इसके मामले की तह तक पहुंचने में बहुत मदद मिलेगी.


अगले हफ्ते फिर सुनवाई
आज की सुनवाई में सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मौजूद थे. उन्होंने हलफनामे में लिखी गई कुछ बातों को जजों के सामने रखा. लेकिन उस पर ज्यादा चर्चा नहीं हुई. याचिकाकर्ता पक्ष की तरफ से इंदिरा जयसिंह समेत कई वकील मौजूद थे. उन्होंने गवाहों की सुरक्षा, पीड़ित परिवार को अच्छा वकील दिए जाने जैसी बातों पर जोर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इन बिंदुओं पर विचार को उचित मानते हुए यूपी सरकार से जवाब मांग लिया. मामला अब अगले हफ्ते सुना जाएगा.


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