प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में यूपी के कई शहरों में हुई हिंसा पर यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है। इस रिपोर्ट में सरकार ने यह माना है कि पिछले साल 19 और 20 दिसंबर को हुई हिंसा की वारदातों में 23 लोग मारे गए थे, जबकि सैकड़ों लोग जख्मी हुए थे। घायलों में 87 लोगों की हालत बेहद गंभीर थी।
सरकार ने यह भी माना है कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस पर बर्बर कार्रवाई का आरोप लगाते हुए तमाम लोगों ने अपनी शिकायतें भेजी हैं। हालांकि अभी सिर्फ 9 मामलों में ही केस दर्ज हुआ है और बाकी मामलों में लोकल लेवल पर गठित की गई एसआईटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
यूपी सरकार ने हिंसा पर 600 पन्नों से ज्यादा की रिपोर्ट हाईकोर्ट में दाखिल की है। सरकार की इस रिपोर्ट पर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच 18 मार्च को सुनवाई करेगी। यह पहला मौका है जब CAA के विरोध में हुई हिंसा को लेकर यूपी सरकार ने आधिकारिक तौर पर कोर्ट में कोई आंकड़ा जारी किया है।
यूपी सरकार द्वारा हाईकोर्ट में 613 पन्नों की जो रिपोर्ट दाखिल की गई है, उनमें पिछले साल 19 और 20 दिसंबर को अलग-अलग जिलों में हुई हिंसा में 23 लोगों के मारे जाने की बात कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक अकेले 19 और 20 दिसम्बर की हिंसा में सबसे ज्यादा 7 मौतें फिरोजाबाद में हुई हैं। इसके अलावा मेरठ में 5, कानपुर नगर में 3, मुजफ्फरनगर, बिजनौर व संभल में 2-2 और रामपुर व वाराणसी में एक- एक की मौत की बात कही गई है।
सरकारी रिपोर्ट में बताया गया है कि तमाम लोग घायल हुए हैं। इनमे से 87 गंभीर रूप से जख्मी हुए थे। घायलों में सबसे ज्यादा 27 बिजनौर जिले के हैं। इसके अलावा फिरोजाबाद में 17, कानपुर नगर में 11, और वाराणसी में 10 लोग जख्मी हुए हैं। रामपुर में 6, मेरठ में 5, मुजफ्फरनगर में 3 और लखनऊ में 2 लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक हिंसा में पुलिस पर भी आरोप लगे हैं। लोगों की शिकायत पर पुलिस के खिलाफ 9 एफआईआर दर्ज की गईं हैं। इनमें कानपुर नगर में 5 और बिजनौर व मेरठ में दो दो मामले दर्ज हैं। इसके अलावा कई जगहों पर मिली शिकायतों की अभी जांच की जा रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक हिंसा में जिन 23 लोगों की मौत हुई है, उनमें से 13 मुकदमों में अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज हैं। हालांकि, यूपी सरकार की इस रिपोर्ट में कई मृतकों का जिक्र नहीं हैं। लखनऊ के वकील खान का नाम भी इस रिपोर्ट में नहीं है। वकील भी 19 दिसंबर की हिंसा के दौरान मारा गया था।
गौरतलब है कि, मुम्बई के वकील अजय कुमार और पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया समेत तमाम व्यक्तियों व संगठनों ने सीएए के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में पुलिस व प्रशासन पर बर्बरता करने, फायरिंग व लाठीचार्ज करने के आरोप लगाते हुए सभी मामलों की न्यायिक जांच की मांग की थी।
चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर की अगुवाई वाली डिवीजन बेंच ने इन सभी मामलों में एक साथ सुनवाई करते हुए यूपी सरकार से रिपोर्ट तलब कर ली थी। हाईकोर्ट के आदेश पर यूपी सरकार ने 613 पन्नों की रिपोर्ट अदालत में दाखिल की है। इस रिपोर्ट में हरेक मृतक और घायल का विवरण मौजूद है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच इस रिपोर्ट के आधार पर 18 मार्च को सुनवाई करेगी। अदालत उसी दिन अपना फैसला भी सुना सकती है।